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कोरोना संक्रमितों को अल्जाइमर और पार्किं संस का खतरा

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By NS Desk | 21-Mar-2022

Corona infected are at risk of Alzheimer and Parkinson

लंदन: कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं पर शोध लगातार जारी है । इसी तरह के एक शोध से यह पता चला है कि जिन कोरोना मरीजों में संक्रमण के कारण न्यूरोलॉजिकल क्षति हुई है, वे बाद के वर्षोँ में अल्जाइमर या पार्किं संस से ग्रसित हो सकते है।

जर्नल मॉलिक्यूलर न्यूरोबायोलॉजी में प्रकाशित इस शोध अध्ययन में बताया गया है कि कोरोना वायरस मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिये जिस स्पाइक प्रोटीन का इस्तेमाल करता है, उसका मस्तिष्क की प्रतिरक्षा कोशिकाओं पर भी उतना ही प्रभाव पड़ सकता है, जितना शरीर के बाकी हिस्सों पर पड़ता है।

ब्रिटेन में हडर्सफील्ड विश्वविद्यालय की एक टीम ने चूहों से प्राप्त प्रतिरक्षा कोशिका का इस्तेमाल करके स्पाइक ग्लाइकोप्रोटीन एस1 के संभावित प्रभाव का परीक्षण किया। उन्होंने अब मनुष्यों के मस्तिष्क कोशिकाओं पर इस अनुसंधान को करने के लिये फंड की मांग की है।

शोधकर्ता मायो ओलाजिदे ने कहा, हमारी परिकल्पना के आधार हम अब यह पता कर रहे हैं कि जब कोरोनो वायरस ने मस्तिष्क को प्रभावित किया तो क्या यह न्यूरोडीजेनेरेटिव समस्याओं जैसे अल्जाइमर या पार्किं संस का जोखिम पैदा कर सकता है?

ओलाजिदे के अनुसार अन्य शोधों ने अब तक यह बताया कि कोरोना वायरस कैसे नाक के माध्यम से मस्तिष्क में प्रवेश करने में सक्षम है लेकिन उनका शोध पहला था जिसने यह बताया कि कोरोनो वायरस मस्तिष्क की अपनी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को कैसे सक्रिय करता है।

उन्होंने कहा,यह मस्तिष्क में बढ़ नहीं सकता है लेकिन जब यह मस्तिष्क में जाता है तो यह वास्तव में प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को प्रेरित कर सकता है । इसी कारण यह बात सामने आती रहती है कि जब लोग संक्रमित होते हैं तो उन्हें ब्रेन फॉग और मेमोरी लॉस होता है।

ओलाजिदे ने अपने पहले के शोध में यह खुलासा किया था कि कैसे अल्जाइमर रोग की शुरूआत को धीमा किया जा सकता है और अनार में पाये जाने वाले प्राकृतिक यौगिक द्वारा इसके कुछ लक्षणों पर अंकुश लगाया जा सकता है। (एजेंसी)
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डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।