By NS Desk | 14-Aug-2021
न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने स्पष्ट किया कि अदालत कोई निर्देश नहीं दे रही है, लेकिन अस्पताल से यह विचार करने को कह रही है कि क्या इस मामले में कुछ किया जा सकता है।
पीठ ने कहा, हम सरकार को कोई निर्देश नहीं दे रहे हैं, सिवाय इसके कि प्रतिनिधित्व पर विचार किया जाए, क्योंकि सरकार की अपनी बाधाएं हैं।
पीठ ने अस्पताल के वकील से कहा कि फेफड़े के प्रत्यारोपण की अनुमानित लागत की जांच करें और उन्हें बताएं कि क्या अस्पताल मरीज के प्रति दयालु हो सकता है और शुल्क कम कर सकता है।
अस्पताल के वकील ने पीठ को सूचित किया कि मरीज की स्थिति में सुधार हो रहा है और अगर यह जारी रहता है, तो उसे प्रत्यारोपण की आवश्यकता नहीं हो सकती है।
पीठ ने जवाब दिया, यह अच्छा है। अगर स्थिति में सुधार हुआ है तो आप हमें अगले सप्ताह बताएं।
पीठ मामले की आगे की सुनवाई सोमवार को करेगी।
शीर्ष अदालत शीला मेहरा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत चिकित्सा प्रक्रिया के लिए वित्तीय सहायता मांगी थी।
मेहरा ने अधिवक्ता कृष्ण कुमार सिंह के माध्यम से दायर याचिका में कहा, याचिकाकर्ता ने अपने पति की दवा पर 1 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं और केवल अपने पास उपलब्ध सभी धन को समाप्त करने के बाद मदद के लिए मुड़ी हैं। याचिकाकर्ता ने क्राउड फंडिंग, व्यक्तिगत की भी कोशिश की है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि वित्तीय बाधाओं के कारण किसी भी जीवन का अंत नहीं होना चाहिए और सरकार उचित मामले में मदद देने के लिए बाध्य है। उन्होंने जोर देकर कहा कि संकट की स्थिति में लोगों को राहत प्रदान करने के लिए पीएम केयर्स फंड एक राष्ट्रीय प्रयास है।
--आईएएनएस
एसजीके