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मप्र में 53 फीसदी आबादी को लगा वैक्सीन का पहला डोज

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By NS Desk | 10-Aug-2021

भोपाल, 10 अगस्त (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में कोरोना को रोकने का बड़ा हथियार टीकाकरण को माना गया है। राज्य में अब तक पात्र जनसंख्या में से 53 फीसदी आबादी को वैक्सीन की पहली डोज और 10 प्रतिशत को दूसरी डोज लगी है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वैक्सीनेशन की समीक्षा की। इस दौरान बताया गया कि प्रदेश की पात्र जनसंख्या के 53 प्रतिशत व्यक्तियों को कोरोना वैक्सीन का पहला डोज एवं 10 प्रतिशत जनसंख्या को दूसरा डोज लगा दिया गया है। अभी तक कुल दो करोड़ 93 लाख को पहला डोज और 57 लाख लोगों को वैक्सीन का दूसरा डोज लगाया जा चुका है।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा है कि प्रदेश के किसी भी जिले में कोरोना की टेस्टिंग कम न की जाए। हमें हर हालत में कोरोना की तीसरी लहर प्रदेश में आने से रोकना है। साथ ही मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग आदि सावधानियां अनिवार्य रूप से बरती जाएं।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में शत-प्रतिशत पात्र जनसंख्या का वैक्सीनेशन जल्दी से जल्दी किया जाना है। पहले डोज के बाद दूसरा डोज जरूर लगवाएं। दूसरे डोज के बाद ही कोरोना संक्रमण से पूरी सुरक्षा मिलेगी।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में वैक्सीनेशन कार्य को दोबारा गति दी जाए, बारिश के कारण व्यवधान हुआ था। वैक्सीनेशन के लिए पुन: महाअभियान भी चलाया जाए।

बैठक में बताया गया कि नए साप्ताहिक प्रकरण 108 आए हैं, जबकि इसके पहले के सप्ताह में 106 और उसके पहले के सप्ताह में 86 नए प्रकरण आए थे।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में प्रतिदिन लगभग 70 हजार कोरोना टेस्ट हो रहे हैं। अशोकनगर, श्योपुर, कटनी, राजगढ़, खरगोन, ग्वालियर, विदिशा, दतिया, रतलाम तथा बालाघाट जिलों में कोरोना टेस्टिंग कम है, इन जिलों में टेस्टिंग बढ़ाई जाए। दमोह, डिंडोरी, अलीराजपुर, इंदौर और देवास जिलों में लक्ष्य से अधिक टेस्टिंग किए जाने पर मुख्यमंत्री चौहान ने बधाई दी।

ज्ञात हो कि राज्य के बुंदेलखंड के हिस्से में पिछले दिनों में कोरोना के ज्यादा नए मामले सामने आए, जिसने सरकार की चिंता बढ़ाने का काम किया है। वहीं सरकार कोरोना की तीसरी लहर को रोकने की हर संभव कोशिश में लगी है।

--आईएएनएस

एसएनपी/एएनएम

डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।