By NS Desk | 04-Jan-2019
आयुर्वेद के सबसे ज्यादा बिकने वाले प्रोडक्ट में से एक च्वयनप्राश है। यही वजह है कि हरेक ब्रांड अपने च्वयनप्राश को सबसे बेहतर बताकर उसकी अच्छी ब्रांडिंग करने के लिए प्रयत्नशील रहता है। डाबर से लेकर पतंजलि तक में इसे लेकर जबरदस्त प्रतिस्पर्धा है। अब तो बाज़ार में सुगर फ्री च्वयनप्राश भी मौजूद है।
च्वयनप्राश का नाम च्वयन ऋषि के नाम पर है। कहा जाता है कि इसकी खोज उन्होंने ही की थी। लेकिन दूसरी कहानी है कि इसकी खोज च्वयन ऋषि के लिए अश्वनी कुमारों ने किया था। च्यवन ऋषि बहुत वृद्ध हो गये तो उन्होंने यौवन की पुनर्प्राप्ति के लिये अश्विनी कुमार से प्रार्थना की। अश्विनी कुमारों ने ऋषि च्यवन के लिये एक औषधि तैयार की जिससे ऋषि च्यवन ने फिर से युवा हो गए। इसी दैवीय औषधि को च्यवन ऋषि के नाम पर च्यवनप्राश कहा जाता है। इसके लिए अश्विनी कुमारों ने अष्टवर्ग के आठ औषधीय पौधों की खोज की तथा च्यवन ऋषि के कृश, वृद्ध शरीर को पुन: युवा बना देने का चमत्कार कर दिखाया।
च्यवनप्राश त्रिदोष नाशक है। इसमें लवण रस को छोडकर पांचों रस भरे हुये हैं। वायरस के फैलने की स्थिति में च्यवनप्राश शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देती है। आयुर्वेद के अनुसार कमजोरी, पुराने जुकाम-खांसी सहित फेफड़े व क्षय रोग के निदान के लिए दी जाने वाली औषधियों के साथ च्यवनप्राश जरूरी है। च्यवनप्राश में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली जड़ी बूटियां आँवला, गिलोय व तुलसी भरपूर मात्रा में होती है च्यवनप्राश स्मरण शक्ति, बुद्धि व शरीर के विकास में भी काफी मददगार साबित होता है। वैज्ञानिक खोजों से यह साबित हुआ है कि आंवले में पाया जाने वाला एंटी ऑक्सीडेंट एन्जाइम बुढापे को रोकता है। वैसे च्यवनप्राश में औषधीय महत्व वाली लगभग 36 तरह की जड़ी-बूटियां होती हैं। केशर, नागकेशर, पिप्पली, छोटी इलायची, दालचीनी, बन्सलोचन, शहद और तेजपत्ता, पाटला, अरणी, गंभारी, विल्व और श्योनक की छाल, नागमोथा, पुष्करमूल, कमल गट्टा, सफेद मूसली सहित कई वनस्पतियां मिलाकर च्यवनप्राश तैयार किया जाता है। कहने का अर्थ है कि च्यवनप्राश का लंबे समय तक सेवन करने से यह शरीर की इम्युनिटी को सुधारता है और शरीर को निरोगी बनाता है। आइये जानते हैं च्वयनप्राश के फायदे -
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