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बीएचयू में डाइबिटीज की किफायती दवा पर रिसर्च

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By NS Desk | 19-Feb-2022

Research on affordable medicine for diabetes in BHU in hindi

मधुमेह यानी डाइबिटीज के किफायती इलाज पर बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में रिसर्च

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय मधुमेह के उपचार के लिए किफायती दवा पर एक महत्वपूर्ण रिसर्च करने जा रहा है। केंद्रीय विश्वविद्यालय की इस रिसर्च के जरिए मधुमेह यानी डाइबिटीज का किफायती उपचार संभव हो सकता है।

यह अध्ययन मुख्य रूप से व्यवसायिक रूप से उपलब्ध सी-ग्लाइकोसाइड्स संश्लेषण के बारे में है। इस रिसर्च को लीड कर रहे बीएचयू के प्रोफेसर डॉ. नजर हुसैन ने बताया कि सी-ग्लाइकोसाइड्स कार्बोहाइड्रेट्स के वो डेरिवेटिव्स हैं जिनका मधुमेह के उपचार में व्यापक स्तर पर प्रयोग होता है।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित चिकित्सा विज्ञान संस्थान के आयुर्वेद संकाय के अन्तर्गत भैषज्य रसायन विभाग में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नजर हुसैन को इस एक अत्यंत महत्वपूर्ण परियोजना के लिए भारत सरकार के द्वारा अनुदान की मंजूरी मिल भी गई है।

इस परियोजना के अंतर्गत डॉ. नजर हुसैन नए तरीके से मधुमेह के उपचार के लिए किफायती दवा पर शोध करेंगे। ये अध्ययन मुख्य रूप से व्यवसायिक रूप से उपलब्ध सी-ग्लाइकोसाइड्स संश्लेषण के बारे में है। डॉ. हुसैन ने बताया कि सी-ग्लाइकोसाइड्स कार्बोहाइड्रेट्स के वो डेरिवेटिव्स हैं जिनका मधुमेह के उपचार में व्यापक स्तर पर प्रयोग होता है।

इस अध्ययन के लिए डॉ. हुसैन को 40 लाख रुपये से अधिक की अनुदान राशि स्वीकृत की गई है। परियोजना के दौरान डॉ. हुसैन कोविड समेत विभिन्न वायरल संक्रमणों के विरुद्ध गतिविधियों के परीक्षण हेतु पॉलिफेनल्स को कार्बोहाड्रेट्स के साथ मिलाने की संभावनाओं पर भी अध्ययन करेंगे।

यह देश में अपनी तरह की अत्यंत महत्वपूर्ण व व्यापक रूचि की परियोजना है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के लिए विशेष रूप ये यह गर्व का विषय है कि आयुर्वेद संकाय के भैषज्य रसायन विभाग के अंतर्गत इस परियोजना पर कार्य किया जाएगा।

वहीं इसके अलावा पुराने व लाइलाज समझे जाने वाले घावों के उपचार की दिशा में भी बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण शोध किया है। शोध में सामने आया है कि जो घाव महीनों से नहीं भरे थे वो चंद दिनों में ठीक हो गए। इस रिसर्च से मधुमेह रोगियों को खासतौर से होगा फायदा होगा। यह रिसर्च हाल ही अमेरिका में प्रकाशित हुआ है।

सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग, चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू के प्रमुख प्रोफेसर गोपाल नाथ की अगुवाई में हुए इस शोध में अत्यंत उत्साहजनक परिणाम सामने आए हैं। ये शोध अमेरिका के संघीय स्वास्थ्य विभाग के राष्ट्रीय जैवप्रौद्योगिकी सूचना केन्द्र में 5 जनवरी, 2022 को प्रकाशित हुआ है।

बीएचयू ने बताया कि किसी घाव को चोट के कारण त्वचा या शरीर के अन्य ऊतकों में दरार के रूप में परिभाषित किया जाता है। एक तीव्र घाव को हाल के एक विराम के रूप में परिभाषित किया गया है जो अभी तक उपचार के अनुक्रमिक चरणों के माध्यम से प्रगति नहीं कर पाया है।

वे घाव जहां सामान्य प्राकृतिक उपचार प्रक्रिया या तो अंतर्निहित विकृति (संवहनी और मधुमेह अल्सर आदि) के कारण रुक जाती है या 3 महीने से अधिक के संक्रमण को पुराने घाव के रूप में परिभाषित किया जाता है।
यह अंग्रेजी में भी पढ़े► BHU to Conduct Research on Economical Anti-Diabetic Drugs

डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।