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रक्षासूत्र,मौली या कलावा का स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से महत्व !

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By NS Desk | 28-Jul-2022

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ब्रिटिश पीएम की रेस में सबसे आगे 'ऋषि सुनक' की कलाइयों पर 'रक्षासूत्र', जानिए रक्षासूत्र का स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से फायदा

 

पाश्चात्य संस्कृति से प्रभावित भारतीय जब प्लास्टिक का बीइंग ह्यूमन, फ्रेंड फॉरेवर, लव इत्यादि का बेल्ट बांधने लगे हैं तब ब्रिटिश पीएम की रेस में सबसे आगे ऋषि सुनक को कलाइयों पर रक्षासूत्र बांधे देखना किसी सुखद आश्चर्य से कम नहीं। भारत में रक्षासूत्र बांधने का रिवाज अत्यंत प्राचीन है। हरेक धार्मिक अनुष्ठान में रक्षासूत्र अधिष्ठाता समेत परिवार के सभी सदस्यों को बांधा जाता है। वैसे तो भारत में रक्षासूत्र को धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाता है लेकिन स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी इसका विशेष महत्व है। वैद्य रेणुका तिवारी इस संबंध में सोशल मीडिया पर लिखती हैं-

"कच्चे सूत का ये लाल पीला सफेद रंग का अभिमंत्रित बंधन, तीन बार ही लपेटा जाता है ! शरीर में भी तीन नाड़ियां होती है, तीन दोष होते हैं इनका संबंध समझिए ये स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है। शरीर विज्ञान के अनुसार शरीर के कई प्रमुख अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से भी होकर गुजरती है। कलाई पर कलावा बांधने से इन नसों की क्रिया नियंत्रित रहती है।

आप वैद्य के पास नाड़ी दिखाने जाते हो तो यही नाड़ी तो पकड़ते हैं वैद्य भी न तो मौली भी त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ का सामंजस्य बने रहने में सहायता करती है। शरीर की संरचना का कुछ नियंत्रण कलाई में भी होता है इसीलिए कलाई में मौली बांधने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है।  माना जाता है कि कलावा बांधने से रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और लकवा जैसे गंभीर रोगों से काफी हद तक बचाव होता है तभी तो इसे रक्षा सूत्र कहा जाता है और त्रिदेव और त्रिदेवियों का आशीर्वाद माना जाता है । तो गर्व से जहां मिले तुरंत कलावा बांधो रक्षा बंधन हो या फ्रेंडशिप डे!"

वैद्य प्रशांत मिश्र 'भास्कर' अखबार के साथ बातचीत में कहते हैं कि सुश्रुत संहिता में बताया गया है कि सिर के बीच का हिस्सा और गुप्त स्थान का अगला हिस्सा मणि कहलाता है। वहीं, कलाई को मणिबंध कहा गया है। मानसिक विकृति और मूत्र संबंधी बीमारियों से बचने के लिए मणिबंध यानी कलाई वाले हिस्से को बांधना चाहिए।

आचार्य सुश्रुत ने अपने ग्रंथ में मर्म चिकित्सा में कलाई को भी शरीर का मर्म स्थान बताया है। यानी कलाई से शरीर की क्रियाओं को नियंत्रित किया जा सकता है। इस पर वैद्य मिश्र का कहना है कि जी मचलने पर या घबराहट होने पर एक हाथ की कलाई पर दूसरे हाथ की हथेली को गोल-गोल घुमाना चाहिए। इससे राहत मिलने लगती है।

कहने का अभिप्राय है कि रक्षासूत्र का धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी काफी ज्यादा महत्व है। यही वजह है कि यह हमारी प्राचीन संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है।
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डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।