By NS Desk | 20-Dec-2018
पंचकर्म के माध्यम से असाध्य रोगों का उपचार भी बिना किसी सर्जरी के संभव है. ऐसा ही एक मामले अभी प्रकाश में आया है जिसे दैनिक भास्कर अखबार ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है. पूरी रिपोर्ट इस तरह से है -
मरीज सीता के उपचार से पहले कराए गए एक्स-रे में पांव की दोनों हड्डियां एक-दूसरे से टकराने लगी थी। दोनों के बीच का सामान्य गेप खत्म हो गया था। उपचार के बाद मरीज सीता के उपचार के बाद डिस्चार्ज के समय कराए गए एक्स-रे में पांव की दोनों हड्डियां में होने वाला गेप सामान्य स्थिति में आ गया। दर्द से छुटकारा मिला रिछपाल सिंह का कहना है, कि 7-8 साल से घुटने के दर्द से परेशान था, लेकिन आयुर्वेद यू्निवर्सिटी में एक महीने का इलाज लेने के बाद अब मैं आराम से चल सकता हूं। मेरे रुटीन के सभी काम करने में कोई परेशानी नहीं होती है। इसी तरह सीता का कहना है, कि अब मैं आराम से चल फिर सकती हूं। पहले घुटने में दर्द के कारण चलने फिरने में दिक्कत होती थी। नागौर और जोधपुर सभी जगह डॉक्टरों को दिखाया। सभी ने नी-रिप्लेसमेंट कराने के लिए कहा था। आयुर्वेद युनिवर्सिटी में एक महीना इलाज के बाद अब दर्द में और घुटने पर आ रही सूजन कम हो गई और अब वे ठीक हैं।
आयुर्वेद चिकित्सा में शिरोधरा जिस प्रकार सिर पर कुछ ऊंचाई से तेल की धार बनाकर मरीज के सिर पर डाला जाता है। वैसे ही इसमें गर्म औषधीय तेल की धारा को निर्धारित ऊंचाई से मरीज के घुटने पर डाला जाता है। डॉ. ज्ञानप्रकाश शर्मा ने बताया, कि जानूधारा थैरेपी में मरीज को पहले विशिष्ट धारा टेबल पर लिटाया गया। उसके बाद महानारायण तेल और तिल के तेल के मिश्रण को 40-42 डिग्री तापमान पर गर्म कर 8 इंच की ऊंचाई से मरीज के घुटने पर आगे और पीछे की तरफ 21 दिन लगातार (30 मिनट प्रत्येक दिन) धारा को प्रवाहित किया गया। इस थैरेपी में मरीज के घुटने के तीन मर्म भागों पर धारा का प्रवाह और अभ्यंग किया गया। तेल की धारा के साथ ही मरीज के घुटने पर प्रेशर के साथ अभ्यंग (मालिश) की गई।
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