By NS Desk | 21-Dec-2018
आयुर्वेद का डंका पूरे विश्व में बज रहा है. विदेशी चिकित्सक भी अब इसका लोहा मान रहे हैं और इसके प्रचार-प्रसार में लगे हैं. फ़्रांस की नोइमी भी उन्हीं में से एक हैं. मूलतः वे फ्रांस की हैं लेकिन गुजरात के मनीष वोरा से शादी करके पूरी भारतीय बन चुकी हैं. उन्होंने अपना नाम बदलकर 'शक्तिबेन' रख लिया है. वे सिंदूर लगाती हैं, सूती कपड़े पहनती हैं और तांबे के बर्तन में उबला खाना खाती हैं और पूरी तरह से भारतीय परिवेश में रच-बस गयी हैं.
नोइमी शाकाहार और सादगीपूर्ण जीवनशैली की प्रबल समर्थक और प्राकृतिक व आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति द्वारा उपचार को श्रेष्ठ मानती हैं. उन्होंने फ्रांस में होम्योपैथी में मास्टर्स और आयुर्वेद में बैचलर डिग्री हासिल की है. ऐसे भारत से उनका रिश्ता पुराना है. उनके परदादा ने वर्षों पहले 'कन्याकुमारी' में अस्पताल खोला था जो अब भी चल रहा है.
भारत में 'प्रणायु' नाम से वे एनजीओ चलाती हैं जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों में आर्गेनिक मेडिसिन, देशी बीज के संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के साथ जीवन-यापन अपनाने के लिए प्रेरित करना है. फिलहाल वे लाडनू के जैन विश्वभारती इंस्टीट्यूट से संस्कृत में पीएचडी में कर रही हैं. उनके अनुसार प्राकृतिक और आयुर्वेद चिकित्सा के बदौलत ही सभी सुरक्षित हैं. ( मूल स्रोत - पत्रिका अखबार)