• Home
  • Blogs
  • Ayurveda Streetआयुर्वेद और योग का केंद्र बनने की राह पर गोरखपुर

आयुर्वेद और योग का केंद्र बनने की राह पर गोरखपुर

User

By NS Desk | 03-Jun-2022

Gorakhpur on the path to become Ayurveda and Yoga Centre

गोरखपुर को आयुर्वेद का हब बनाने की कोशिश

गोरखपुर (उत्तरप्रदेश) आयुर्वेद और योग का केंद्र बनने की राह पर चल पड़ा है। एक तरफ गोरखपुर में राज्य के पहले आयुष विश्वविद्यालय (महायोगी गुरु गोरक्षनाथ) का निर्माण कार्य चल रहा है तो दूसरी तरफ गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में आयुर्वेद और योग समेत इलाज के परंपरागत विधा से संबंधित कोर्स शुरू किये जा रहे हैं। आयुर्वेद और योग को लेकर की जा रही इस पहल से न केवल पूर्वांचल बल्कि उत्तरी बिहार और नेपाल की तराई के करोड़ों लोगों को इसका लाभ मिलेगा। 

गोरखपुर में आयुर्वेद एवं योग की संपन्न परंपरा रही है। यहाँ पहले से ही गोरखपुर में प्राकृतिक तरीके से इलाज के लिए एक केंद्र (आरोग्य मंदिर) है। इस सपंन्न परंपरा की वजह से गोरखपुर में आयुर्वेद एवं योग की संभावना बढ़ जाती है। इसी वजह से गोरखपुर में प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय बन रहा है।

इसका शिलान्यास 28 अगस्त 2021 को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने किया था। उम्मीद है कि यह 2024 तक बनकर तैयार हो जाएगा। बजट में भी इसके लिए 113.52 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके बनने से इलाज के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं शोध को बढ़ावा मिलेगा।

दरअसल आयुर्वेद भारत की अपनी और प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है। यह बिना किसी दुष्प्रभाव के रोगों के रोकथाम या निरोग करने की विधा। इसीलिए इसे दीर्घायु का विज्ञान भी कहा जाता है। विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका सम्बन्ध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने अथवा उसका शमन करने तथा आयु बढ़ाने से है।

यही वजह है कि आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए आयुष मिशन योजना के तहत अयोध्या में राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय की स्थापना की जा रही है। इसी योजना के तहत उन्नाव, श्रावस्ती, हरदोई, संभल, गोरखपुर एवं मीरजापुर में 50-50 बेड वाले एकीकृत आयुष चिकित्सालयों की भी स्थापना की जा रही है।

प्रदेश के आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु ने कहा कि इस विश्वविद्यालय के बनने से आस-पास के छात्रों को पढ़ाई के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। साथ ही स्थानीय लोगों के आसाध्य रोगों का इलाज भी इस विधा से आसानी से हो जाएगा।

आयुर्वेद के जरिए उत्तरप्रदेश को मेडिकल हब बनाने की कोशिश 

आयुर्वेद के जरिए उत्तरप्रदेश को मेडिकल हब बनाने की कोशिश भी चल रही है। यही वजह है कि सरकार आयुर्वेद को खासा प्रोत्साहन दे रही है और युद्धस्तर पर स्वास्थ्य सुविधाओं में तेजी से इजाफा किया जा रहा है। बेहतर हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए प्रदेश के सीमावर्ती व अन्य क्षेत्रों में सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सालयों की स्थापना करने का निर्णय लिया गया है।

प्रदेश में अन्तर राज्यीय और अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर मेडिकल कॉलेज की स्थापना किए जाने का निर्णय सरकार ने लिया है जिससे एक ओर प्रदेश में रेफरल केसों की संख्या में काफी कमी आएगी वहीं उत्तर प्रदेश मेडिकल टूरिज्म का हब बनेगा। इसके लिए योगी सरकार ने साल वित्तिय वर्ष 2022-2023 के बजट में 25 करोड़ रूपए की धनराशि प्रस्तावित की है।

आयुर्वेद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गोरखपुर में आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए योगी सरकार ने बजट में 113 करोड़ 52 लाख रुपए की धनराशि प्रस्तावित की है। करीब 268 करोड़ रुपये की लागत से 52 एकड़ के परिसर में प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय महायोगी गुरु गोरक्षनाथ के नाम से निमार्णाधीन है।

28 अगस्त 2021 को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने इसका शिलान्यास किया था। इसके अलावा आयुष मिशन योजना के तहत अयोध्या में राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय की स्थापना की जा रही है। इसी योजना के तहत उन्नाव, श्रावस्ती, हरदोई, संभल, गोरखपुर एवं मीरजापुर में 50-50 बेड वाले एकीकृत आयुष चिकित्सालयों की भी स्थापना की जा रही है।

प्रदेश के आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु ने कहा कि प्रदेश सरकार आयुर्वेद को बढ़ावा देने की दिश में काम कर रही है। आयुर्वेद, होम्योपैथ, यूनानी के अलग-अलग अस्पताल बनाएं जा रहे हैं। एक ही कैंपस में तीन विभागों के अस्पताल होंगे। 13 अस्पताल बनाएं जा रहे हैं। जिससे लोगों को किसी प्रकार की असुविधा न हो सके।
यह भी पढ़े► संस्कृत विश्वविद्यालयों में आयुर्वेद की पढ़ाई !

डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।