By NS Desk | 27-Nov-2021
डॉ. मीनल ने आयुर्वेद की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि आयुर्वेद उन सभी समस्याओं और कमियों का समाधान है जो वर्तमान स्वास्थ्य प्रणाली को कमजोर बनाती है।
आगरा (21 नवंबर, 2021)- आधुनिक जीवनशैली और पर्यावरण में लगातार हो रहे बदलाव ने मानव स्वास्थ्य के सामने गंभीर संकट पैदा कर दिया है। वायु प्रदूषण अपने सबसे खतरनाक स्तर पर पहुँच चुका है। स्वास्थ्य पर प्रतिदिन इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है। लेकिन ये समझ में नहीं आ रहा कि इस वैश्विक स्वास्थ्य समस्या से अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा कैसे की जाए? ऐसे में आयुर्वेद का प्राचीन विज्ञान आशा की किरण बनकर उभरा है। आयुर्वेद के माध्यम से इस स्वास्थ्य चुनौती का मुकाबला बखूबी किया जा सकता है क्योंकि इस चिकित्सा पद्धति में रोगों से लड़ने और प्राकृतिक घटकों के माध्यम से उसके निवारण की अद्भूत क्षमता निहित है। यही वजह है कि आयुर्वेद को स्वास्थ्य सेवाओं का भविष्य कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी।
प्रसिद्ध आयुर्वेद चिकित्सक और पंचकर्म की विशेषज्ञ डॉ. मीनल गुप्ता ने उपरोक्त बाते निरोगस्ट्रीट द्वारा आगरा में आयोजित संगोष्ठी में कही जिसमें बड़ी संख्या में चिकित्सकों ने भाग लिया। डॉ. मीनल ने आयुर्वेद की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि आयुर्वेद उन सभी समस्याओं और कमियों का समाधान है जो वर्तमान स्वास्थ्य प्रणाली को कमजोर बनाती है। आयुर्वेद बिरादरी को पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को बेहतर बनाने और दुनिया भर के रोगियों के लाभ के लिए इसे और अधिक सक्षम बनाने के साथ-साथ नियमित रूप से इस तरह के संगोष्ठियों और परिचर्चा को आयोजित करते रहने की जरूरत है।
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'आधुनिक दुनिया के परिप्रेक्ष्य में आयुर्वेद' (आधुनिक दुनिया में आयुर्वेद की प्राचीन प्रक्रियाएं) विषय पर आयोजित चिकित्सकों की संगोष्ठी में 'कोरोनावायरस' के बाद की स्वास्थ्य चुनौतियों और आयुर्वेद में उसकी भूमिका पर भी विस्तृत चर्चा हुई जिसमें बड़ी संख्या में चिकित्सकों ने भाग लिया। चर्चा के केंद्र में बिगड़ती हुई पर्यावरणीय परिस्थितियों में स्वस्थ जीवन के लिए आयुर्वेद की महत्ता रही जिसमें ये बात उभर कर सामने आयी कि 'प्रौद्योगिकी' (टेक्नॉलजी) के साथ 'आयुर्वेद' ग्लोबल हेल्थकेयर के भविष्य को पूरी तरह से बदल सकता है।
देश के सबसे बड़े आयुर्वेद चिकित्सकों के प्लेटफॉर्म 'निरोगस्ट्रीट' द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी को व्यापक सफलता मिली जिसमें आगरा के साथ - साथ देशभर के 50 चिकित्सकों ने अपनी सहभागिता दर्ज कराई। पंचकर्म केरली आयुर्वेद केंद्र के चिकित्सकों ने भी संगोष्ठी के दौरान अपने विचार रखे।
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