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आयुर्वेद, हनुमान जी और वात रोग को लेकर मान्यताएं - Ayurveda and Hanumanji in Hindi

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By NS Desk | 16-Apr-2022

Ayurveda and Hanumanji

हनुमान जी को आयुर्वेद का अच्छा ज्ञाता भी माना जाता है

आयुर्वेद की जड़ी-बूटियों का जिक्र जब भी आता है तो सबसे पहले हमारे जेहन में रामायण का वह दृश्य सामने आ जाता है जब वैद्यराज सुषेण के कहने पर हनुमान जी प्राणदायनी 'संजीवनी बूटी' को लेकर आते हैं और उससे लक्ष्‍मण जी के प्राणों की रक्षा होती है। 

हालांकि श्रीराम की सेना में एक-से-बढ़कर एक बलशाली और सामर्थ्यवान योद्धा थे, लेकिन संजीवनी बूटी लेने के लिए हनुमान जी को ही भेजा गया था। दरअसल हनुमान जी को आयुर्वेद का अच्छा ज्ञाता भी माना जाता है। 

शास्त्रों का मत है कि जब लक्ष्‍मण जी को शक्तिबाण लगा था तब वैद्यराज सुषेण ने संजीवनी बुटी लाने के लिए हनुमान जी को ही भेजा था क्योंकि वे जानते थे कि हनुमान जी आयुर्वेद के ज्ञाता हैं। 

हालांकि ये प्रसंग भी आता है कि संजीवनी बूटी को वे पहचान नहीं पाए थे, इसलिए पूरे पहाड़ को ही उठा लाए थे जिसे बाद में उन्होंने पुनः स्थापित भी किया। आयुर्वेद की परंपरा के अनुसार यह औषधीय पौधों के संरक्षण का सबसे अच्छा उदाहरण है।

आयुर्वेद का सिद्धांत 1. वात, 2. पित्त और 3. कफ के सिद्धांत पर आधारित है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार बजरंगबली को पवन पुत्र माना गया है उस नाते वायु से उनका घनिष्‍ठ संबंध है। इसलिए उन्हें 'वात' का अधिष्ठाता माना गया है और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गोस्वामी तुलसीदास रचित 'हनुमानबाहुक' का पाठ करने से संपूर्ण वात व्याधियों का नाश हो जाता है। 

हनूमन्नञ्जनीसूनो वायुपुत्र महाबल।
अकस्मादागतोत्पातं नाशयाशु नमोऽस्तु ते।।

इसके अलावा रोगों के नाश के लिए 'नासै रोग हरे सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।।' भी एक उनका एक लोकप्रिय मंत्र है।  कहा जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास की भुजाओं में वायु प्रकोप से भीषण पीड़ा हो रही थी, उसी समय उन्होंने 'हनुमानबाहुक' की रचना करके उसके चमत्कारिक प्रभाव का अनुभव किया था। हालांकि वात रोगों में इसकी उपयोगिता की आयुर्वेद पुष्टि नहीं करता। इसलिए इसे धार्मिक मान्यता मानना ही श्रेयस्कर होगा। लेकिन उपरोक्त संदर्भ से इस बात को मानने में शायद ही किसी को संदेह होगा कि आयुर्वेद से हनुमान जी का गहरा संबंध है। वैसे भी वे श्रीराम के भक्त हैं जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है और जिनके ही एक रूप में आयुर्वेद के भगवान धन्वंतरि हैं। 

आयुर्वेद चिकित्सक दीक्षा भावसार अपने मरीजों को इलाज के दौरान हनुमान चालीसा पढ़ने के लिए कहती हैं। इंस्टाग्राम पर वे हनुमान जी और रोगों के उपचार में उनके मंत्रों  की महत्व को इंगित करते हुए लिखती हैं - *drdixa_healingsouls*

नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरन्तर हनुमत बीरा ॥ This is one of the chaupai (verse) from hanuman-chalisa. It means 'whoever chants the name of lord hanuman with faith will get rid of all kinda diseases and pain.' I strongly believe in the healing power of mantras. Lord Hanuman is vayu-putra (the son of air-god) and vayu is our prana (oxygen), crucial to our being. Also in ayurveda, we believe Vayu (Vata-dosha) is responsible for most of the diseases in our mind & body.

By chanting hanuman chalisa, we can control any vata- disorder, be it physical or psychological especially diseases like Alzheimer's, Schizophrenia, Epilepsy, etc. All it needs is a little faith in your heart. Healing is all about trust.

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डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।