Home Blogs Vaidya Street कोरोना उपचार संबंधी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में आयुर्वेद का कोई जिक्र नहीं !

कोरोना उपचार संबंधी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में आयुर्वेद का कोई जिक्र नहीं !

By Dr Abhishek Gupta | Vaidya Street | Posted on :   18-Dec-2020

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय और मीडिया में हंगामा 

2 दिन से मीडिया में एक बात जोर शोर से प्रसारित की जा रही है की आयुष विद्या के डॉक्टर्स को-रो-ना से जुड़ा उपचार नहीं कर सकते, इस बात को हम सभी चिकित्सकों को सही से समझने और इसको अच्छे ढ़ंग से सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों से प्रसारित करने की आवश्यकता है, पहले तो यह समझने की आवश्यकता है की माननीय सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय सिर्फ होमियोपैथी से जुड़े चिकित्सकों को लेकर है, इसमें आयुर्वेद या अन्य चिकित्सा पद्धतियों से जुड़े चिकित्सकों के विषय में कुछ भी नहीं कहा गया है! 

केरल हाईकोर्ट का फैसला 

यह केस सबसे पहले केरल हाईकोर्ट में गया था जहाँ होमियोपैथी के एक डॉक्टर ने यह अपील की थी कि उनके सिस्टम के डॉक्टर्स को इसका उपचार करने की अनुमति दी जाये, जहाँ केरल हाई कोर्ट ने क्लियर कर दिया था की को-रो-ना का उपचार सिर्फ को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट, 2005) के प्रावधानों के अनुरूप किया जा सकता है आपके सिस्टम के लोग इसका उपचार नहीं कर सकते सिर्फ इम्युनिटी बढ़ाने वाली दवाओं को दे सकते हैं!

केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 

केरल हाई कोर्ट के इसी निर्णय के खिलाफ होमियोपैथी के डॉक्टर सुप्रीम कोर्ट में गए थे, जहाँ माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी यह स्पष्ट कर दिया कि आपके सिस्टम के लोग आयुष मंत्रालय के द्वारा बताई गई इम्युनिटी बढ़ाने वाली दवाओं को दे सकते हैं, इसके साथ-साथ कोर्ट ने यह भी कहा "बाकि किसी भी अन्य सिस्टम के लोग को-रो-ना के उपचार का दावा नहीं कर सकते!" (कोर्ट की इस टिप्पणी को सही से समझने की आवश्यकता है - "देश में किसी भी रोग को सही करने का दावा कोई भी चिकित्सा पद्धति का डॉक्टर नहीं कर सकता, यह "मैजिक रेमेडी एक्ट" के अंतर्गत आता है, यह नियम को-रो-ना की स्थिति में भी लागू होती है) 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की गलत विवेचना 

चूँकि सुप्रीम कोर्ट के इस केस में आयुष विभाग भी एक पार्टी था इसलिए कोर्ट ने इसमें आयुष चिकित्सक - होमियोपैथी कहकर अपना निर्णय दिया है, जिसे मीडिया में बैठे कुछ लोगों ने गलत ढ़ंग से यह कहकर प्रचारित किया है की आयुर्वेद या कोई भी आयुष चिकित्सा से जुड़ा चिकित्सक को-रो-ना का उपचार नहीं कर सकता! 

को-रो-ना के केस में आयुर्वेद सिस्टम के चिकित्सकों, अस्पतालों व सरकारी स्तर पर जो भी प्रयास या सफलता मिल रही है यह सभी जानते हैं, बस कोई भी इसको पूरी तरह से ठीक कर देगा यह दावा नहीं किया जा सकता, माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए इस निर्णय में आयुर्वेद का कोई जिक्र नहीं है, इसलिए ऐसे अख़बारों की खबरों से न भ्रमित हों और नहीं इसको अपने द्वारा प्रसारित करके बेवजह इनको तवज्जों दें!

इसके अलावा एक और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी रोग से पीड़ित रोगी किसी भी सिस्टम से जुड़े चिकित्सक के पास अपनी सहमति से उपचार करवाने जाता है तो यह न सिर्फ उसका संवैधानिक अधिकार है बल्कि उसे ऐसा करने से दुनिया का कोई भी व्यक्ति या कोर्ट नहीं रोक सकता, इसलिए उपचार के समय अपने रोगियों से उनकी सहमति के साथ उपचार करें।  (डॉ. अभिषेक गुप्ता, आयुर्वेदाचार्य) 

(आप सभी से एक विनम्र अपील : कृपया किसी भी कोर्ट के निर्णय को सही ढ़ंग से समझकर ही उसे सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों से प्रसारित किया करें, कई बार हम जाने अनजाने में किसी विषय को गलत रूप से प्रसारित करके अपना और अपने सिस्टम का ही नुकसान कर देते हैं) 

माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से जुड़ी यह लिंक आप सभी देख सकते हैं: http://bit.ly/3gVnUKc

Co-Founder - Nirog Street, Consultant Physician and Surgeon Ex Advisor - Apollo Pharmacy, Editor- Brahm Ayurved Magazine

डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।