Home Blogs Vaidya Street महिलाओं को 'नाक में लौंग' पहनाने का 'मर्म चिकित्सा' से गहरा संबंध - डॉ हेमंत शर्मा

महिलाओं को 'नाक में लौंग' पहनाने का 'मर्म चिकित्सा' से गहरा संबंध - डॉ हेमंत शर्मा

By NS Desk | Vaidya Street | Posted on :   25-Feb-2019

नाक मसल्स पेन का मर्म स्थान, इसलिए नाक में लौंग पहनाने का रिवाज़ , नाक में लौंग पहनने से सांस नियंत्रित होती है और श्वांस संबंधी रोगों से बचाव होता है।

स्त्रियों को मसल पेन ज्यादा होता है, इसलिए नाक में लौंग पहनाने का रिवाज़ है, नाक मसल्स पेन का मर्म स्थान है, मानव मानव शरीर में कुल 107 मर्म स्थान है. जब किसी बात का आशय समझना या समझाना होता है, तब अक्सर यही कहा जाता है मर्म समझो। प्राण ऊर्जा इन्हीं मर्म स्थानों पर केंद्रित होती हैं। जब भी लाइफ फोर्स (प्राण ऊर्जा) डिस्टर्ब होगी, शरीर में बीमारी का प्रवेश होता है ।

प्रीतमलाल दुआ सभागार में हुए सेमिनार में बड़ौदा से आए डॉ हेमंत शर्मा ने यह बात कही। उन्होंने आयुर्वेद की इस पुरातन पद्धति की उपयोगिता और इतिहास से भी अवगत कराया। उन्होंने बताया कि ढाई हजार साल पुरानी प्रैक्टिस है मर्म चिकित्सा। उत्तर के मुकाबले दक्षिण भारत ने इसे खूब अपनाया। यही वजह है कि ताड़पत्र पर मौजूद सारगर्भित ज्ञान संस्कृत के बाद तमिल भाषा में मिलता है। अंग्रेजों ने इस चिकित्सा को इसलिए प्रतिबंधित कर दिया क्योंकि यह एलोपैथी की तरह मेडिसिन और सर्जरी का समर्थन नहीं करती थी। बर्बरता इस कदर की इसके विशेषज्ञों की अंगुलियां तक कटवाई जाने लगीं। और ये विधा लुप्तप्राय हो गई।

मर्म चिकित्सा से अंग्रेज इतने आतंकित थे कि उन्होंने इसके प्रैक्टिशनर की अंगुलियां काटने का फरमान जारी कर दिया था जिन्हें नींद नहीं आती उनके न्यूरो केमिकल्स इससे रिलीज़ करा सकते हैं

डॉ हेमंत शर्मा ने सेमिनार में डेमो भी दिए।

मर्म प्राचीन वैज्ञानिक थैरेपी है। सुश्रुत संहिता में उल्लेख है कि मर्म स्थान पर हल्के से किया गया स्पर्श या मसाज एनर्जी चैनल के ब्लॉक खोल अधिकांश बीमारियों में राहत देता है। कुछ सेकंड में ही आराम महसूस होता है। ये एक्यूपंचर नहीं है इसलिए इसमें सुई का इस्तेमाल नहीं होता। मर्म चिकित्सा से पेन मैनेजमेंट, टॉक्सिन क्लियरेंस, ऑर्गन फंक्शनिंग इम्प्रूवमेंट, हेल्दी स्किन और बेहतर नींद के लिए न्यूरो कैमिकल्स रिलीज़ कराए जा सकते हैं।

मर्म स्थानों पर हल्के स्पर्श से फ्रोजन शोल्डर, रेस्पिरेटरी प्रॉब्लम और पार्किन्संस डिसीज़ में भी फायदा होगा.

(दैनिक भास्कर से साभार)

NS Desk

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