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कुंभ आयोजन में आयुर्वेद चिकित्सा की उपादेयता पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

By NS Desk | NirogStreet News | Posted on :   19-Feb-2019

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प्रयागराज (15 फरवरी, 2019). विश्व आयुर्वेद मिशन एवं राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय, कुंभ -2019, प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में "कुम्भ आयोजन में आयुर्वेद चिकित्सा की उपादेयता'" विषय पर एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन कुम्भ मेला क्षेत्र स्थित राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय प्रशासनिक शिविर, सेक्टर -2, काली मार्ग पर डाबर इण्डिया के सौजन्य से सम्पन्न हुंआ । सेमिनार की अध्यक्षता विश्व आयुर्वेद मिशन के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) जी एस तोमर ने की तथा हरिद्वार, उत्तराखण्ड से पधारे आयुर्वेद के ख्यातिलब्ध चिकित्सक डॉ. अरुण कुमार कौशिक ने मुख्य अतिथि के रूप में सेमिनार में प्रतिभाग किया ।

सेमिनार के साथ साथ इस अवसर पर 108 रोगियों का नि:शुल्क ब्लड सुगर परीक्षण भी श्री मनोज श्रीवास्तव, श्री विवेक कुमार गुप्ता एवं सुश्री दीपा प्रजापति के सहयोग से किया गया । रक्त शर्करा परीक्षण के नि: शुल्क शिविर का उदघाटन डॉ शारदा प्रसाद, क्षेत्रीय आयुर्वेद अधिकारी, प्रयागराज एवं डॉ अनिल कुमार राय, मेला प्रभारी आयुर्वेद ने किया । इसके अलावा सेमिनार में डॉ जी के सिंह, वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ सरोज शंकर राम एवं डॉ शशांक द्विवेदी भी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे । कार्यक्रम का संचालन डॉ एन बी सिंह ने किया । इस अवसर पर डॉ कौशिक ने चिकित्सा को पुण्यतम वताते हुए इसमें समर्पण के भाव के महत्व पर प्रकाश डाला । रोजमर्रा की चिकित्सा में उपलब्ध बनौषधियों की कार्यकारिता की विशेष चर्चा करते हुए उन्होंने वताया कि आयुर्वेद में ऐसी प्रभावी वनस्पतियाँ उपलब्ध हैं जो गम्भीर से गम्भीर रोगों की चिकित्सा में भी कारगर हैं । अपने अनुभव को साझा करते हुये डॉ राजेश कुमार मौर्य एवं डॉ दीपक सोनी ने कुम्भ मेले में अधिकांश रोगी गठिया, खाँसी, दमा, अतिसार एवं अपच से सम्बन्धित आते हैं । इसके अलावा एलर्जी, त्वक रोग, नेत्र रोग तथा प्रोस्टेट वृद्धि के रोगियों की संख्या भी पर्याप्त है ।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. (डॉ) जी एस तोमर ने कहा कि कुंभ एक धार्मिक आयोजन है और इसमें आये हुए अधिकांश रोगियों की पहली प्रथमिकता आयुर्वेद चिकित्सा होती है । अत: इन आयोजनों में आयुर्वेद चिकित्सकों का दायित्व और अधिक बढ़ जाता है । आयुर्वेद की सीमाओं की चर्चा करते हुए डॉ तोमर ने वताया कि अधिकांश जीवनशैली जन्य रोगों में आयुर्वेद ही सबसे कारगर विधा है । चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की वैश्विक परिदृश्य पर प्रकाश डालते हुए डॉ तोमर ने वताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का ध्यान वर्तमान में औपसर्गिक रोगों से हटकर मधुमेह, उच्चरक्तचाप, केंसर, दमा, गठिया एवं वातव्याधि जैसे अनौपसर्गिक रोगों पर केन्द्रित हो रहा है । इनका मानना है 75% से अधिक इस प्रकार के रोगों से वचाव किया जा सकता है । आयुर्वेदीय जीवनशैली एक आदर्श जीवनशैली है जिसका सम्यक प्रचार प्रसार आवश्यक है । कुम्भ मेले से मिले आँकड़ों का संज्ञान में लेते हुए डॉ तोमर ने कहा कि कुम्भ आयोजन में औषधियों की आपूर्ति करते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिये कि किन किन रोगों के रोगी अधिक आते हैं । इसके अलावा हमें रोगियों को आहार विहार की सही सही जानकारी भी उपलब्ध कराना चाहिये ।

सेमिनार में 75 चिकित्सकों ने प्रतिभाग किया । सेमिनार के अन्त में डाबर इण्डिया लिमिटेड के टेरिटरी मैनेजर श्री राजेन्द्र कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया ।

(प्रेस विज्ञप्ति)

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डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।