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ClinicsBy NS Desk | NirogStreet News | Posted on : 31-Oct-2019
आयुष मंत्रालय के अधीनस्थ अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) और जर्मनी की फ्रैकफर्टर इनोवेशन्सजेन्ट्रम बायोटेक्नोलॉजी, जीएमबीएच (एफआईजेड) के बीच आज नई दिल्ली में एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। एआईआईए की निदेशक प्रोफेसर तनुजा नेसारी और फ्रैकफर्टर इनोवेशन्सजेन्ट्रम बायोटेक्नोलॉजी, जीएमबीएच (एफआईजेड) के प्रबंध निदेशक डॉ. क्रिश्चियन गार्बे द्वारा हस्ताक्षरित एमओयू पर सहमति एफआईजेड में इस वर्ष सितम्बर के दौरान ‘स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में वर्तमान घटनाक्रमों के बारे में जर्मन/भारतीय ज्ञान के आदान-प्रदान’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम के अवसर पर जताई गई थी। यह सहमति डॉ. गार्बे और आयुष मंत्रालय में सचिव वैद्य राजेश कोटेचा द्वारा जताई गई थी।
इस गठबंधन का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य जीनोमिक्स के क्षेत्र में अनुसंधान करना और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं मशीन लर्निंग जैसी नवीनतम प्रौद्योगिकियों के सहयोग से प्राप्त साक्ष्य-आधारित दिशा-निर्देश तैयार करना है, ताकि आम जनता तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए आयुर्वेद से जुड़े सिद्धांतों एवं व्यवहार को आधुनिक चिकित्सा में एकीकृत किया जा सके। इसके अलावा, ज्ञान एवं अनुभवों का आदान-प्रदान इस एमओयू का एक और घटक होगा।
इस एमओयू पर हस्ताक्षर के बाद आयुष सचिव डॉ. वैद्य ने कहा कि पहली नजर में ये प्रणालियां बिल्कुल भिन्न नजर आती हैं। उन्होंने कहा कि ज्यादा गहराई से गौर करने पर ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों ही विज्ञान एक-दूसरे को आवश्यक सहयोग दे सकते हैं। डॉ. वैद्य ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी की पारम्परिक अवधारणाओं के साथ परम्परागत आयुर्वेद चिकित्सा का उपयोग पूरक के तौर पर करने पर ऐसे साक्ष्य सृजित होने की आशा है, जिनसे वैश्विक स्वास्थ्य सेवा में और भी अधिक योगदान करने में मदद मिलेगी।
इस अवसर पर डॉ. गार्बे ने कहा कि विगत कई वर्षों से भारत के साथ विविधतापूर्ण संपर्क रहे हैं, ताकि हमारे नेटवर्क में संबंधित अनुभवों एवं जानकारियों को साझा करने के साथ-साथ आर्थिक दृष्टि से किफायती तकनीकी ज्ञान प्रदान करने को बढ़ावा मिल सके। उन्होंने विस्तार से बताया कि अनुभवजन्य चिकित्सा और सटीक चिकित्सा आगे चलकर उत्पादक साझेदार बन जाएंगी।
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की निदेशक प्रो. तनुजा नेसारी ने कहा कि आयुर्वेद दरअसल समय की कसौटी पर खरा उतरा विज्ञान है, जिसके तहत पर्यावरणीय कारकों सहित विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए शरीर, मन और आत्मा की पूर्णता के माध्यम से स्वस्थ जीवन प्रदान करने पर फोकस किया जाता है।
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