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भारत में बनी खांसी की दवाओं पर स्वास्थ्य मंत्रालय सख्त

By NS Desk | NirogStreet News | Posted on :   07-Oct-2022

भारत में बनी खांसी की दवाओं पर डब्ल्यूएचओ के अलर्ट पर भारत का स्वास्थ्य मंत्रालय 'एक्शन' में आ गया है। केंद्र सरकार ने हरियाणा स्थित फार्मास्युटिकल फर्म द्वारा निर्मित कफ सिरप की जांच शुरू कर दी है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने चार मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा निर्मित दवाओं के एक ही बैच के नमूने भेजे हैं, जिन पर डब्ल्यूएचओ ने अलर्ट जारी किया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने जांच के बाद आगे की कार्रवाई की बात कही है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि नमूने (सभी चार दवाओं के लिए मेसर्स मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा निर्मित एक ही बैच के नियंत्रित नमूने) को सीडीएससीओ द्वारा क्षेत्रीय ड्रग टेस्टिंग लैब, चंडीगढ़ में परीक्षण के लिए भेजा गया है, जिसके परिणाम आगे की कार्रवाई का मार्गदर्शन करेंगे और साथ ही डब्ल्यूएचओ से प्राप्त होने वाले इनपुट पर स्पष्टता लाएंगे।

मंत्रालय ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने भारत के राष्ट्रीय दवा नियामक डीसीजीआई को सूचित किया कि वह इस समय गाम्बिया को सहायता और सलाह प्रदान कर रहा है, जहां बच्चों की मौत हो गई है और डायथाइलीन ग्लाइकॉल या एथिलीन ग्लाइकॉल से दूषित दवाओं के उपयोग का संदेह है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बुधवार को चेतावनी दी थी कि हरियाणा के सोनीपत स्थित मैडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा उत्पादित चार कफ सिरप पश्चिम अफ्रीकी राष्ट्र गाम्बिया में मौतों का कारण हो सकते हैं।

मंत्रालय ने कहा, सीडीएससीओ ने तुरंत हरियाणा राज्य नियामक प्राधिकरण के साथ मामला उठाया, जिसके अधिकार क्षेत्र में मेडेन फार्मास्युटिकल लिमिटेड, सोनीपत की दवा निर्माण इकाई आती है। इसके अलावा, राज्य औषधि नियंत्रक, हरियाणा के सहयोग से मामले में तथ्यों/विवरणों का पता लगाने के लिए एक विस्तृत जांच शुरू की गई।

आगे कहा गया, सीडीएससीओ की प्रारंभिक जांच से यह पता चला है कि मेडेन फार्मास्युटिकल्स प्रोमेथाजि़न ओरल सॉल्यूशन बीपी, कोफेक्सनालिन बेबी कफ सिरप, माकॉफ बेबी कफ सिरप और मैग्रिप एन कोल्ड सिरप उत्पादों के लिए स्टेट ड्रग कंट्रोलर द्वारा लाइसेंस प्राप्त एक निर्माता है। कंपनी ने इन उत्पादों का निर्माण और निर्यात केवल गाम्बिया को किया है।

मंत्रालय ने कहा, यह एक सामान्य प्रथा है कि आयात करने वाला देश इन आयातित उत्पादों का गुणवत्ता मानकों पर परीक्षण करता है, और आयात करने वाले देश द्वारा देश में उपयोग के लिए ऐसे उत्पादों को जारी करने का निर्णय लेने से पहले उत्पादों की गुणवत्ता के रूप में खुद को संतुष्ट करता है।

डब्ल्यूएचओ द्वारा प्राप्त किए गए अस्थायी परिणामों के अनुसार, जिन 23 नमूनों का परीक्षण किया गया था, उनमें से 4 नमूनों में डायथाइलीन ग्लाइकॉल/एथिलीन ग्लाइकॉल पाया गया है। डब्ल्यूएचओ की ओर से यह भी बताया गया है कि जांच का प्रमाणपत्र उपलब्ध कराया जाएगा और वह इसे भारत के साथ साझा करेगा।

मंत्रालय ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने अभी तक मौत से जुड़े मामलों की विस्तृत जानकारी मुहैया नहीं करवाई है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने अभी तक प्रोडेक्ट्स के निर्माता की पुष्टि करने वाले लेबल के जानकारी और फोटो शेयर नहीं की हैं। अभी तक डब्ल्यूएचओ ने यह जानकारी भी नहीं दी है कि ये मौतें कब हुईं।

मंत्रालय ने कहा, स्टेट ड्रग कंट्रोलर ने उस कंपनी को केवल इन चार दवाओं प्रोमेथाजि़न ओरल सॉल्यूशन बीपी, कोफेक्सनालिन बेबी कफ सिरप, मैकॉफ बेबी कफ सिरप और मैग्रिप एन कोल्ड सिरप के निर्यात के लिए लाइसेंस दिया था। इसके अलावा इन सभी चार दवाओं का निर्माण केवल निर्यात के लिए किया गया था। मेसर्स द्वारा मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड को भारत में निर्माण और बिक्री के लिए लाइसेंस नहीं दिया गया है। वास्तव में, मेसर्स मेडेन फार्मास्युटिकल्स की इन चार दवाओं में से कोई भी भारत में घरेलू स्तर पर नहीं बेची जाती।
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NS Desk

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