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ClinicsBy NS Desk | NirogStreet News | Posted on : 29-Dec-2018
पतंजलि आयुर्वेद के लिए अब राह आसान नहीं
आयुर्वेद के बढ़ते प्रचार - प्रसार की वजह से आयुर्वेद प्रोडक्ट्स की भी मांग तेजी से बढ़ी है और इसका बाजार भी व्यापक हुआ है. इसका सबसे ज्यादा फायदा बाबा रामदेव की कंपनी 'पतंजलि आयुर्वेद' ने उठाया और देखते-देखते छोटी सी कंपनी चंद वर्षों में दस हजार करोड़ रूपये की कंपनी बन गयी. डाबर से लेकर वैद्यनाथ तक सब पीछे छूट गए. यहाँ तक कि एफएमसीजी सेक्टर में आयुर्वेद प्रोडक्ट्स के जरिए एंट्री कर पतंजलि आयुर्वेद ने हिन्दुस्तान यूनिलीवर के सामने भी चुनौती पेश कर दी. पतंजलि की इस सफलता के बाद कहा जाने लगा कि पतंजलि आयुर्वेद भारत का दूसरा रिलायंस बनने की राह पर चल पड़ा है.
लेकिन हाल के आंकड़े चौंकाने वाले रहे. रिसर्च प्लैटफॉर्म टॉफलर से मिले फाइनैंशल डेटा के मुताबिक, फिस्कल इयर 2017-18 में पतंजलि की आमदनी 10% गिरकर 8,135 करोड़ रुपये रह गई, जो सालभर पहले 9,030 करोड़ रुपये थी. 2013 के बाद यह कंपनी का सबसे कमजोर परफॉर्मेंस रहा. उस साल कंपनी की ऐनुअल सेल डबल हो गई थी. केयर रेटिंग्स के प्रविजनल डेटा के मुताबिक, फिस्कल इयर 2017-18 में कंपनी का नेट प्रॉफिट भी लगभग 50% की गिरावट के साथ 529 करोड़ रह गया.
रिपोर्ट के मुताबिक़ पतंजलि आयुर्वेद की आमदनी में कमी की सबसे बड़ी वजह जीएसटी को बताया गया. लेकिन दूसरी बड़ी वजह के रूप में आयुर्वेद प्रोडक्ट को लेकर बाज़ार में बढ़ रही प्रतिद्वंदिता को बताया गया. रिपोर्ट के मुताबिक़ पतंजलि आयुर्वेद के प्रतिस्पर्धियों ने कंपनी पर जवाबी हमला बोलते हुए अपना खोया मार्केट शेयर हासिल कर लिया. जेफरीज के ऐनालिस्टों वरुण लोचब और तन्मय शर्मा का कहना है कि मार्केट में पतंजलि का प्रभाव घटा है और डाबर ने उसके हाथों खोया मार्केट शेयर वापस हासिल कर लिया है.
पतंजलि ने आयुर्वेद दवाइयों के माध्यम से शुरुआत की और देखते-देखते टूथपेस्ट, शैंपू और दूसरे पर्सनल केयर प्रॉडक्ट्स से लेकर कॉर्नफ्लेक्स और इंस्टैंट नूडल्स तक दो दर्जन मेनस्ट्रीम एफएमसीजी प्रॉडक्ट्स लॉन्च कर दिए और इसमें उसे सफलता भी मिली.
पतंजलि को मिली शुरुआती कामयाबी ने हर्बल, आयुर्वेदिक और नैचरल प्रॉडक्ट्स के बाजार के लिए जबरदस्त आधार खड़ा कर दिया. अब इसके लिए कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा तेज हो गयी है और बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी इसमें कूद पड़ी है. उधर हिन्दुस्तान यूनिलीवर और डाबर भी हमलावर हो गए हैं. डाबर ने अपना खोया मार्केट काफी हद तक हासिल भी कर लिया है. उधर हिन्दुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड आयुर्वेदिक पर्सनल केयर प्रॉडक्ट्स वाले लीवर आयुष ब्रैंड को रीलॉन्च किया है, इंदुलेखाने हेयरकेयर ब्रैंड को खरीदा है और सिट्रा स्किनकेयर ब्रैंड लॉन्च किया है. स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में आयुर्वेद प्रोडक्ट्स के बाजार पर कब्ज़ा करने के लिए और अधिक प्रतिस्पर्धा होगी और पतंजलि आयुर्वेद के लिए अब राह आसान नहीं होगी.
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