AYURVEDA
MedicineDOCTOR
e-ConsultAYURVEDA
ClinicsBy Ram N Kumar | NirogStreet News | Posted on : 28-Jan-2019
अखबार में लिपटा खाना जहर के समान है. इस संबंध में भारतीय खाद्य सुरक्षा व मानक प्राधिकार (fssai) ने एक सलाह (एडवाइजरी) भी जारी की थी और अखबार या प्लास्टिक पर खाना देने की मनाही की थी.
मुंबई का बड़ा पाव प्रसिद्ध है और इसे आसानी से कहीं भी खरीदकर खाया जा सकता है. चौक-चौराहों पर स्ट्रीट फूड के रूप में ये आसानी से उपलब्ध होता है और इसका जाएका भी जबरदस्त होता है. लेकिन आपने गौर किया होगा कि अक्सर दूकानदार आपको बड़ा पाव पुराने अखबार में लपेटकर देता है जिसे बिना सोंचे-समझे बहुतेरे लोग खा लेते हैं. यदि आप ऐसा करते हैं तो आप कैंसर जैसी कई बीमारियों को सीधे-सीधे न्योता देते हैं. ये बात बड़ा पाव समेत तमाम खाद्य पदार्थों पर लागू होती है.
दरअसल अखबार में लिपटा खाना जहर के समान है. इस संबंध में भारतीय खाद्य सुरक्षा व मानक प्राधिकार (fssai) ने एक सलाह (एडवाइजरी) भी जारी की थी और अखबार या प्लास्टिक पर खाना देने की मनाही की थी. फूड अथॉरिटी की मानें तो अखबार में लपेटकर रखे गए फूड आइटम को खाना कई तरह से जानलेवा साबित हो सकता है क्योंकि अखबार की स्याही में मल्टिपल बायोऐक्टिव मटीरियल मौजूद होते हैं जिससे शरीर पर गलत असर पड़ता है और अगर यह स्याही खाने के जरिए शरीर के अंदर पहुंच जाए तो कैंसर समेत कई दूसरी खतरनाक बीमारियां भी हो सकती हैं.
एफएसएसएआई (fssai) की मानें तो भारत के लोग जाने-अनजाने धीमे जहर का शिकार हो रहे हैं क्योंकि देशभर में बड़े पैमाने पर छोटे होटलों से लेकर फूटपाथ पर खाने-पीने की दूकान लगाने वाले खाद्य पदार्थों को लपेटने में धड़ल्ले से अखबारों का इस्तेमाल कर रहे हैं. लोगों में इसे लेकर इतनी कम जागरूकता है कि वे घरों में भी तैलीय पदार्थों को सोखने या फिर रोटी लपेटने में अखबार का प्रयोग कर अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य को खतरे में डालते हैं.
1- कैंसर का खतरा - अखबार की स्याही स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होती है और यदि यह शरीर के अंदर जाती है तो मुंह से लेकर पेट का कैंसर तक हो सकता है. अखबार में जब गर्म खाने की चीज रखी जाती है तो उसकी स्याही पिघलकर खाने में चिपक जाती है. इससे स्याही में मौजूद ग्राफाइट नामक विषैला तत्व खाद्य पदार्थ में मिल जाता है. इसके शरीर में जाने से गुर्दे एवं फेफड़े से संबंधित रोग हो सकते हैं.
2- आँखों और त्वचा के लिए नुकसानदेह - अखबार में रखे खाने से आँखों की रौशनी के जाने का भी खतरा पैदा हो जाता है. क्योंकि प्रिंटिंग में इस्तेमाल हुए केमिकल में डाई कलर का इस्तेमाल होता है. ये काफी तेज होते हैं. इनसे आंखों एवं त्वचा को नुकसान हो सकता है. त्वचा कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है.
3- पेट की समस्या - अखबार में खाना लपेटने से खाना विषैला हो जाता है और इससे पेट में संक्रमण (infection) और पेट खराब होने का डर भी हमेशा बना रहता है. अखबार के कागज को रिसाइकल करके बनाया जाता है. इसके बाद प्रिंटिंग होने की प्रक्रिया से लेकर लोगों तक पहुंचने तक के दौरान इसमें कई तरह के बैक्टीरिया आ जाते हैं और इसे खाने से कई तरह के हानिकारक जीवाणु शरीर मेें चले जाते हैं जिससे पेट दर्द और गैस की समस्या होने लगती है.
4- शरीर के विकास पर प्रतिकूल असर - अखबार में लिपटा खाना शरीर के विकास में भी बाधक है. इसलिए बच्चों को अखबार में लिपटा खाना कभी नहीं देना चाहिए. उनके बौद्धिक विकास पर भी इसका उल्टा असर पड़ता है.
5- हार्मोनल असंतुलन - कई विशेषज्ञों का कहना है कि अखबार में लिपटे खाने से हार्मोनल संतुलन बिगड़ने का भी खतरा रहता है. इंक वाले खाद्य पदार्थ को खाने से बेनजीफीनोन्स नामक हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है. इससे प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ सकता है.
अखबार की स्याही में कई तरह के रसायन (chemical) होते हैं और जब हम इसका इस्तेमाल खाना लपेटने में करते हैं तो इसमें मौजूद रसायन खाने से चिपक जाता है और शरीर के अंदर जाकर स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए आप भी जब स्ट्रीट फूड खाएं तो ध्यान रखे कि आपको दिया जाने वाला खाना अखबार में न रखा गया हो.
CEO, NirogStreet & Ayurveda Expert
He is a proactive evangelist of Ayurveda whose aim is to make Ayurveda the first call of treatment