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ClinicsBy NS Desk | NirogStreet News | Posted on : 10-Dec-2019
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएगा काला गेंहू ( चित्र - दैनिक जागरण)
काला गेहूं आपके दिल का डॉक्टर साबित होगा. आपको ह्रदय रोग के साथ - साथ कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाएगा. एक शोध में ये बात सामने आयी है. शोध के मुताबिक़ सामान्य गेहूं की तुलना में काला गेंहूँ ज्यादा सेहतमंद होता है. कृषि विज्ञान केंद्र में इसकी खेती हो रही है. दैनिक जागरण की रिपोर्ट -
बरेली। काला गेहूं आपके स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखते हुए इम्यून सिस्टम भी बेहतर करेगा। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) में इन दिनों इसकी खेती हो रही है। शोध में इन गेहूं की मेडिकल वैल्यूज (चिकित्सकीय प्रकृति) बेहतर मिली। इससे दिल के रोग और कैंसर जैसी बीमारी को दूर रखने में मदद मिलती है। यानी, एक तरह से काला गेहूं आपके दिल का डॉक्टर साबित हो रहा। अब संस्थान में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक किसानों को काला गेहूं की खेती के बारे में जागरूक कर रहे हैं।
एंटी ऑक्सीडेंट, जिंक और लौह तत्व से भरपूर :
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक बताते हैं कि अनाज, सब्जी और फलों के रंग उनमें मौजूद पिगमेंट के कारण होते हैं। गेहूं का काला रंग होने की वजह एंथोसायनिन है। एंथोसायनिन एक प्राकृतिक एंटी ऑक्सीडेंट है, जो विटामिन-ई का अच्छा स्नोत माना जाता है। सामान्य गेहूं में एंथोसाएनिन महज पांच पीपीएम (पार्ट पर मिलियन) होता है। यानी एक किलोग्राम गेहूं में पांच मिलीग्राम हिस्सा। वहीं, काले गेहूं में यह 100 से 200 पीपीएम के करीब है। यानी एक किलोग्राम गेहूं में 200 मिलीग्राम तक। काले गेहूं में जिंक और लौह (आयरन) तत्व की मात्र ज्यादा होती है। सामान्य गेहूं में यह पांच से 15 पीपीएम होती है। वहीं, काले गेहूं में ये 40 से 140 पीपीएम।
कैंसर और हृदय संबंधी बीमारियों से निजात :
वैज्ञानिकों ने शोध में पाया कि गेहूं कई बीमारियों से निजात पाने में मददगार साबित हुआ है। काला गेहूं में पाए जाने वाले तत्व कई बीमारियों से निजात दिलाने में सहायक होते हैं। एंटी ऑक्सीडेंट होने की वजह से ये शरीर से गैर जरूरी तत्व (फ्री रेडिकल्स) बाहर निकालते हैं, जिससे तनाव, मोटापा, मधुमेह घटता है। यह प्रजनन क्षमता बढ़ाने समेत शरीर पर झुर्रियां पड़ने की प्रक्रिया धीमी करने समेत कई रूप में भी लाभकारी है। वहीं, तमाम अशुद्धियां बाहर होने की वजह से हृदय संबंधी बीमारियों और कैंसर से भी लड़ने में मददगार है।
इज्जतनगर आइवीआरआइ के कृषि विज्ञान केंद्र में काला गेहूं की खेती हुई है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के अनुसार, काला गेहूं की खेती भी सामान्य गेहूं की तरह ही होती है। बढ़वार की अवस्था में यह गेहूं भी हरा होता है, लेकिन पकने पर काला हो जाता है। हालांकि, इसकी रोटी सामान्य गेहूं की तरह ही बनती है। अब नवाबगंज तहसील के बढ़ेपुरा गांव में भी प्रगतिशील किसान वीरेंद्र सिंह गंगवार ने काला गेहूं की खेती शुरू कर दी है।
(दैनिक जागरण अखबार से साभार)
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