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ClinicsBy NS Desk | NirogStreet News | Posted on : 07-Jul-2021
लखनऊ, 7 जुलाई (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान (आरएमएलआईएमएस) में एक रेजिडेंट डॉक्टर के फेफड़े के ट्रांसप्लांट के लिए 1.5 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है।
आरएमएलआईएमएस की रेजिडेंट डॉक्टर 31 वर्षीय शारदा सुमन पिछले दो महीनों से जीवन के लिए संघर्ष कर रही हैं, क्योंकि कोविड ने उनके दोनों फेफड़ों को अपूरणीय क्षति पहुंचाई थी।
संस्थान से स्त्री रोग में पीजी करने वाली सुमन आठ महीने की गर्भवती थी, जब उन्हें 14 अप्रैल को वेंटिलेटर पर रखा गया था।
बच्चे को बचाने के लिए जब वह वेंटिलेटर सपोर्ट पर थी तब उनका सी-सेक्शन किया गया। उन्होंने एक बच्ची को जन्म दिया, जो ठीक बताई जा रही है।
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने मंगलवार को घोषणा की कि सरकार उनके सभी चिकित्सा खचरें का वहन करेगी।
चार दिन पहले सुमन के पति अजय कुमार, जो बिहार में काम करते हैं, मुख्यमंत्री से मिले और उन्हें बताया कि परिवार फेफड़ों के ट्रांसप्लांट का खर्च वहन करने की स्थिति में नहीं है।
कुमार के साथ आरएमएलआईएमएस निदेशक सोनिया नित्यानंद, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक राजन भटनागर और चिकित्सा अधीक्षक विक्रम सिंह भी थे।
मुख्यमंत्री ने तत्काल विशेष ड्यूटी पर तैनात अपने चिकित्सा अधिकारी को स्थिति का आकलन कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। जब ओएसडी ने अस्पताल का दौरा किया और मुख्यमंत्री को स्थिति से अवगत कराया, तो 1.5 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई।
आरएमएलआईएमएस के एक अधिकारी के मुताबिक ड्यूटी के दौरान संक्रमित होने के बाद सुमन पांच दिनों तक होम आइसोलेशन में रहीं।
उनकी हालत बिगड़ने के बाद उसे संस्थान के कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया था। हालांकि, उसकी हालत लगातार बिगड़ती गई और उसके फेफड़ों ने 1 मई को काम करना बंद कर दिया।
उसके बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया और उसके बच्चे की जान बचाने के लिए एक आपातकालीन सी-सेक्शन सर्जरी की गई। हालांकि, रेजिडेंट डॉक्टर की हालत में सुधार नहीं होने पर उन्हें ईसीएमओ सपोर्ट पर रखा गया था। उनके पति को बताया गया कि अब फेफड़े का ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उम्मीद है।
आरएमएलआईएमएस के प्रवक्ता श्रीकेश सिंह ने कहा, हम चेन्नई और बैंगलोर के अस्पतालों के साथ लगातार संपर्क में हैं जहां प्रक्रियाएं की जाएंगी। एक बार शव दान को अंतिम रूप देने के बाद वे उसे एयरलिफ्ट करने के लिए एक टीम भेजेंगे। अस्पताल से हवाईअड्डा तक एक ग्रीन कॉरिडोर भी बनाया जाएगा। संस्थान प्रत्यारोपण टीम के डॉक्टरों की सहायता के लिए एक टीम भी भेज सकता है।
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