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बीमारियों को न्योता देता है विरुद्ध आहार

By Vaidya Anirudha Mohite | NIrog Tips | Posted on :   13-Oct-2021

आयुर्वेद में वर्णित विरुद्ध आहार की अनूठी अवधारणा खान-पान की विसंगतियों के बारे में बताती है.

आयुर्वेद में विरुद्ध आहार - Viruddh Ahara in Ayurveda in Hindi 

स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से पौष्टिक भोजन का विशेष महत्व है. लेकिन शरीर का पोषण और ऊर्जा देने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन गलत समय और गलत तरीके से किया जाए तो शरीर पर उसका प्रतिकूल असर भी पड़ सकता है. आयुर्वेद में वर्णित विरुद्ध आहार की अनूठी अवधारणा खान-पान की ऐसी ही विसंगतियों के बारे में बताती है. विरुद्ध आहार का अभिप्राय ऐसे दो भोजन या खाद्य पदार्थ से है जिसका एकसाथ सेवन करना स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से हानिकारक सिद्ध हो सकता है. इसके अलावा गलत समय, गलत खुराक और गलत मौसम में भोजन का सेवन भी विरुद्ध आहार का कारण बन सकता है. विरुद्ध आहार कई तरह के रोगों जैसे त्वचा रोग, बवासीर, जुकाम, मधुमेह आदि का कारण बन सकता है. आइये जानते हैं कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों के बारे में जिनका एक साथ सेवन विरुद्ध आहार का कारण बन सकता है - 

विरुद्ध आहार - Viruddh Ahara in Hindi 

भोजन के साथ फल : फलों का सेवन उत्तम स्वास्थ्य के लिए जरुरी है. लेकिन फलों के सेवन को लेकर कई तरह के सवाल आम लोगों के मन में उठते रहते हैं. मसलन, क्या फलों को भोजन के साथ लेना सही है? इसी तरह, क्या फलों का सेवन खाली पेट करना चाहिए या भोजन से कम से कम 30-40 मिनट पहले करना चाहिए? आयुर्वेद की माने तो यह वास्तव में फल की प्रकृति और व्यक्ति की पाचन शक्ति पर निर्भर करता है। फलों का सेवन भोजन के दौरान या भोजन से पहले या बाद में और साथ ही व्यक्ति के पाचन के अनुसार किया जा सकता है। भोजन के क्रम में पहले मीठे पदार्थों का सेवन करना चाहिए, उसके बाद खट्टा, नमकीन, तीखे, कड़वे और कसैला फलों का स्वाद लेना चाहिए। इसलिए मीठे फलों को भोजन के पहले भाग में शामिल किया जा सकता है।

फल के साथ दूध - दही : मीठे फलों के साथ दूध लेना ठीक है और इसका स्वास्थ्य पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। लेकिन खट्टे फल के साथ दूध से परहेज करना बेहतर है। आयुर्वेद के अनुसार किसी भी डेयरी प्रोडक्ट के साथ खट्टा फल नहीं खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह पाचन को प्रभावित कर सकता है। साथ ही शरीर में विषाक्त पदार्थों का उत्पादन कर सकता है। साइनस, सर्दी-खांसी और एलर्जी का यह कारण बन सकता है। 

मछली और दूध : आयुर्वेद में मछली और दूध का सेवन एक साथ करने की सख्त मनाही है. दोनों के एकसाथ सेवन से अपच और त्वचा रोग हो सकता है। इन दोनों की प्रकृति अलग - अलग होती है। दूध ठंडा होता है और मछलियाँ गर्म। इन्हें एक साथ लेने से दोष उत्पन्न होता है जिससे त्वचा रोग होने की संभावना प्रबल हो जाती है। 

केला और दूध : आयुर्वेद में केला और दूध को एक साथ खाने की सलाह नहीं दी जाती है। आयुर्वेद इस संयोजन को विष के समान मानता है। ऐसा कहा जाता है कि यह शरीर में भारीपन पैदा करता है और दिमाग को धीमा कर देता है। लेकिन इसके बावजूद केला और दूध आपका प्रिय भोजन है तो यह सुनिश्चित करें कि केला बहुत पका हुआ हो। साथ ही पाचन संबंधी विकारों से बचने के लिए उसमें इलायची और जायफल मिला ले तो बेहतर होगा। 

दही के सेवन का समय : दही का सेवन हमेशा दिन के समय करना चाहिए। रात के समय दही के सेवन से बचें। इससे कफ की प्रवृति बढ़ने की संभावना रहती है। साथ ही दही को गर्म नहीं करना चाहिए क्योंकि गर्म करने से दही के गुण खत्म हो जाते हैं। मोटापे, कफ रोग और रक्तस्राव विकारों और सूजन संबंधी बीमारियों वाले लोगों को इससे बचना चाहिए। खट्टे दही से बचना चाहिए क्योंकि इससे गैस्ट्राइटिस हो सकता है।

दूध और चावल : दूध और चावल को एक साथ लिया जा सकता है लेकिन इसका भी एक तरीका है. यदि पके हुए चावल को दूध के साथ मिलाकर सेवन किया जाए तो कोई नुकसान नहीं होता. दूध और चावल के साथ नमक का प्रयोग वर्जित है क्योंकि इससे अपच की समस्या हो सकती है। 

मीठे खाद्य पदार्थ : रात के समय मीठे खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना बेहतर है क्योंकि इससे कफ दोष बढ़ सकता है।

सब्जियां और दूध : हरी पत्तेदार सब्जियों और मूली का सेवन करने के बाद दूध पीने से बचना चाहिए। इससे अपच, त्वचा का रंग फीका पड़ना और त्वचा रोग हो सकते हैं।

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Vaidya Anirudha Mohite

Co-Founder & AVP- Ayurveda Growth at NirogStreet

डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।