Home Blogs NIrog Tips अच्छी नींद चाहिए तो सोते वक़्त इन 3 बातों का रखे ध्यान

अच्छी नींद चाहिए तो सोते वक़्त इन 3 बातों का रखे ध्यान

By NS Desk | NIrog Tips | Posted on :   01-Mar-2020

Health Tips in Hindi : Sound Sleep Tips in Hindi अगर आप मानसिक तनाव, दबी हुई इच्छाएं और मन में तीव्र कड़वाहट लिए हुए बिस्तर पर लेटे हैं तो आप अनिद्रा का शिकार हो सकते हैं। उच्च रक्तचाप, कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर, डायबिटीज व अन्य बीमारियों से भी अनिद्रा का सीधा संबंध है। हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, "आयुर्वेद में नींद का वर्णन वात और पित्त दोष के बढ़ने के रूप में मिलता है। इसका सबसे प्रमुख कारण है मानसिक तनाव, दबी हुई इच्छाएं और मन में तीव्र कड़वाहट।"

उन्होंने कहा, "इसके अलावा अनिद्रा के अन्य कारणों में कब्ज, अपच, चाय, कॉफी और शराब का अधिक सेवन तथा पर्यावरण में परिवर्तन, यानी अधिक सर्दी, गर्मी या मौसम में बदलाव। ज्यादातर मामलों में ये सिर्फ प्रभाव होते हैं न कि अनिद्रा के कारण। अनिद्रा तीन प्रकार तीव्र, क्षणिक और निरंतर चलने वाली होती है।"

अनिद्रा से तात्पर्य है सोने में कठिनाई। इसका एक रूप है, स्लीप-मेंटीनेंस इन्सोम्निया, यानी सोये रहने में कठिनाई, या बहुत जल्दी जाग जाना और दोबारा सोने में मुश्किल। पर्याप्त नींद न मिलने पर चिंता बढ़ जाती है, जिससे नींद में हस्तक्षेप होता है और यह दुष्चक्र चलता रहता है। उच्च रक्तचाप, कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर, डायबिटीज व अन्य बीमारियों से भी अनिद्रा का सीधा संबंध है।

एक हालिया शोध में पता चला है कि लगभग 93 प्रतिशत भारतीय अच्छी नींद से वंचित हैं। इसके कारक जीवनशैली से जुड़ी आदतों से लेकर स्वास्थ्य की कुछ स्थितियों तक हैं। अनिद्रा को आमतौर पर एक संकेत व एक लक्षण दोनों रूपों में देखा जाता है, जिसके साथ नींद, चिकित्सा और मनोचिकित्सा विकार सामने आ सकते हैं। इस तरह के व्यक्ति को नींद आने में लगातार कठिनाई होती है।

डॉ. अग्रवाल ने अनिद्रा से निपटने हेतु सुझाव देते हुए कहा, "अगर आप कैफीन के प्रति संवेदनशील हैं तो एक या दो बजे के बाद कैफीनयुक्त पेय पदार्थ लेने से बचें। अल्कोहल की मात्रा सीमित करें और सोने से दो घंटे पहले अल्कोहल न लें। टहलने, जॉगिंग करने या तैराकी करने जैसे नियमित एरोबिक व्यायाम में हिस्सा लें। इसके बाद आपको गहरी नींद आ सकती है और रात के दौरान नींद टूटती भी नहीं है। जितनी देर आप सो नहीं पाते हैं उन मिनटों का हिसाब रखने से दोबारा सोने में परेशानी हो सकती है। नींद उचट जाए तो घड़ी को अपनी निगाह से दूर कर दें।"

उन्होंने कहा, "एक या दो सप्ताह के लिए अपने नींद के पैटर्न को ट्रैक करें। अगर आपको लगता है कि आप सोने के समय में बिस्तर पर 80 प्रतिशत से कम समय बिना सोये बिता रहे हैं, तो इसका अर्थ है कि आप बिस्तर पर बहुत अधिक समय बिता रहे हैं। बाद में बिस्तर पर जाने की कोशिश करें और दिन के दौरान झपकी न लें। यदि आप शाम को जल्दी सोने लगें, तो रोशनी को तीव्र कर दें।"

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि अगर आपका दिमाग सोच-विचार में लगा है या आपकी मांसपेशियां तनाव में हैं, तो आपको सोने में मुश्किल हो सकती है। दिमाग को शांत करने और मांसपेशियों को आराम देने के लिए, ध्यान करना, गहरी सांस लेना या मांसपेशियांे को आराम देने से लाभ हो सकता है।

NS Desk

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डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।