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ClinicsBy NS Desk | NIrog Tips | Posted on : 14-Jan-2020
हम हर साल मकर संक्रांति भारत देश के साथ साथ नेपाल, भूटान,म्यांमार इत्यादि देशो में भी अपने-अपने रीति रिवाजों के हिसाब से मनाया जाता है जिसमें सूर्य की उपासना,स्नान और दान किया जाता है. आज के दिन सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होकर मकर राशि मे अवस्थित होने की वजह से ही हम इसे मकर संक्रांति के नाम से जानते हैं . लेकिन यह केवल त्योहार ही नही,अपितु दो ऋतुओ का संगम है. मकर संक्रांति का अपना आयुर्वेदिक वैज्ञानिक महत्व है.
आयुर्वेदानुसार आज से आदान काल शुरू होकर हेमंत ऋतु का समापन होकर शिशिर ऋतु का प्रारंभ होता है. इस ऋतु में शीत अधिक होने के कारण वायु एवं कफ दोष से संबंधित रोगों का प्रादुर्भाव होता है. इसलिए उससे बचाव के लिए तिल-गुड़ एवं उससे बने लड्डू,मूंग चावल की खिचड़ी इत्यादि खाने का विधान इस पर्व में बताया है वो इसलिए क्योंकि तिल प्रबल वात कफ शामक होता है, मतलब दर्द एवं खासी व सर्दी वाले रोगों की प्रभावी औषधि है, खिचड़ी भी एक महौषधि है जो विभिन्न रोगों में पथ्य है ।
मकर राशि का संबंध मांस, हड्डी,स्नायु से होता है और इस ऋतु में इनसे संबंधित रोग भी होते हैं ,अतएव मकर संक्रन्ति के पर्व को स्वस्थ रहने के लिए भी बनाया गया है, इसलिए हमें इससे धूम धाम से मनाना चाहिए .
(डॉ. अनुपम ऋषिकल्प, हेल्थ केअर इंटरनेशनल)