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ClinicsBy Dr Abhishek Gupta | NIrog Tips | Posted on : 18-Oct-2019
डिप्रेशन का इलाज जरुरी , आयुर्वेद में है निदान
डिप्रेशन को आयुर्वेद में चित्तोदवेग या मनोअवसाद के रूप में जानते हैं। आइये जानते हैं कि डिप्रेशन के बारे में क्या कहता है आयुर्वेद और उससे निपटने के क्या हैं उपाय?
मनोअवसाद मन की वह अवस्था होती है जो मानसिक दोषों (रज और तम) के दूषित होने से होती है, मानसिक दोषों के दूषित होने या बिगड़ने के कई कारण होते हैं जोकि शारीरिक समस्याओं से जुड़े हो सकते हैं, भावनात्मक हो सकते हैं या व्यावहारिक हो सकते हैं!
सामान्यतः डिप्रेशन एक ऐसा मानसिक विकार है जो जीवन में घटित किसी अनचाही दुर्घटना से उत्पन्न हो सकता है, किसी कारण से हीन भावना, सही ढंग से नींद का पूरा न हो पाना, अनियमित खान-पान, लम्बे समय से कोई लाइलाज शारीरिक रोग बने रहना जैसे डायबिटीज, कैंसर, थाइरोइड आदि से उत्पन्न होता है, कई बार यह बुजुर्ग लोगों में या शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों में भी होता है।
यदि डिप्रेशन का सही समय पर उपचार न किया जाये तो संभव है कि इससे ग्रस्त व्यक्ति शराब, नशीले पदार्थों का सेवन यहाँ तक कि कई बार आत्महत्या जैसे जोखिम उत्पन्न कर सकता है। सामान्यतः पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में यह समस्या अधिक पाई जाती है, विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार 2020 तक डिप्रेशन दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी बीमारी होगी।
डिप्रेशन से ग्रस्त व्यक्ति में सामान्यतः यह लक्षण देखने को मिलते हैं:
1. सोने, खाने की आदतों या भूख में बदलाव।
2. मूड स्विंग होना कभी अच्छा और कभी बेहद बदतर स्थिति में।
3. अपराधबोध या निराशा की भावना।
4. नकारात्मक विचार, मृत्यु / आत्महत्या के विचार।
5. बिना किसी कारण के अशांति, असफलता की अवास्तविक भावना।
6. एकाग्रता में कमी किसी विषय पर निर्णय लेने में कठिनाई आदि
निदान परिवर्जन:
जिन कारणों से ऐसा हो रहा हो सबसे पहले उनकी रोकथाम आवश्यक है, ऐसे रोगी को अकेला न रहने दें, मैडिटेशन, योग, प्राणायाम को करें, सकारात्मक व मनोबल बढ़ाने वाली पुस्तकें व ऐसे साहित्य को पढ़ें जिससे प्रेरणा मिलती हो जैसे धर्म ग्रन्थ : भगवद गीता, कुरान, बाइबल आदि, स्वामी विवेकानंद की जीवनी, प्रेमचंद्र, रविंद्र नाथ टैगोर आदि के उपन्यास आदि को पढ़ें, मन को प्रसन्न करने वाला संगीत, पसंदीदा आहार व स्थान जहाँ इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति जाना चाहता है ऐसी चीज़ें करें।
आयुर्वेद में मनोअवसाद का विस्तृत उपचार मौजूद है जिसमें पंचकर्म चिकित्सा से बेहद सकारात्मक परिणाम मिलते हैं, इसमें नेत्र तर्पण, शिरोधारा, शिरोअभ्यंग, नस्य, शरीर का शोधन आदि बेहद कारगर उपचार हैं, इसके अतरिक्त आयुर्वेद में मन से सम्बंधित विकारों में मेध्य रसायन (मण्डूकपर्णी, ब्राह्मी, यष्टिमधु, अश्वगंधा) का प्रयोग बेहद कारगर बताया गया है।
किसी भी मानसिक परेशानी में अपने चिकित्सक से यथा शीघ्र परामर्श करें!
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