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ClinicsBy Ram N Kumar | NIrog Tips | Posted on : 13-Mar-2019
Antibiotics can cause kidneys failure
हाल के वर्षों में एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग तेजी से बढ़ा है. यह प्रवृति शहरों के साथ गाँवों में भी तेजी से फैला है. छोटी-मोटी बीमारियों में भी लोग बिना सोंचे - समझे एंटीबायोटिक दवाएं ले रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एंटीबायोटिक दवाएं आपके शरीर को कितना नुकसान पहुंचा सकता है? स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विश्व स्वाास्य् आ संगठन ने इसे 2019 की टॉप 10 वैश्विक स्वानस्य्नह चुनौतियों में शामिल किया है और इस संकट को ऐंटीमाइक्रोबॉयल रेसिस्टेंठस (एएमआर) का नाम दिया है.
चीन के कार्डिफ विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने एंटीबायोटिक दवा को लेकर मरीजों पर अध्ययन किया। अध्ययन के बाद वैज्ञानिक ने पाया कि अगर इसी तरह एंटीबायोटिक काम में लेते रहे तो 10 साल बाद स्थिति भयावह हो जाएगी। सामान्य सा संक्रमण भी मौत की वजह बन जाएगा। उल्टी दस्त की समस्या बिगड़ जाए तो एंटीबायोटिक कारगर साबित नहीं होगा। किडनी पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है और उसके खराब होने का खतरा पैदा हो जाता है.
एंटीबायोटिक एक ग्रीक शब्द है, जो एंटी और बायोस से मिलकर बना है. एंटी का मतलब है विरोध और बायोस के मायने हैं जीवाणु (बैक्टीरिया). यानी बैक्टीरिया का विरोध करने वाली चीज. यह जीवाणुओं के विकास को रोकती है. बैक्टीरिया के संक्रमण को रोक उपचार में मदद करती है. एक आंकड़े के मुताबिक दुनियाभर में 60 हजार से अधिक नामों से एंटिबॉयोटिक दवायें मौजूद हैं, जबकि डब्यूएचओ ने मात्र 160 दवाओं को ही वैध माना है.
एंटीबायोटिक्स सिर्फ़ बैक्टीरियल इंफेक्शन से होने वाली बीमारियों पर असरदार है. वायरल बीमारियों, जैसे- सर्दी-ज़ुकाम, फ्लू, ब्रॉन्काइटिस, गले में इंफेक्शन आदि में ये कोई लाभ नहीं देती. हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता इन वायरल बीमारियों से ख़ुद ही निपट लेती हैं. लेकिन इसकी सबसे बड़ी कमी है कि एंटीबायोटिक्स दवाएं अच्छे और बुरे बैक्टीरिया के बीच फ़र्क़ नहीं कर पातीं, ये हेल्दी बैक्टीरिया को भी मार देती हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार, एंटीबायोटिक दवाओं के नियमित सेवन की वजह से बैक्टीरिया धीरे-धीरे एंटीबायोटिक के खिलाफ प्रतिरोध क्षमता विकसित करने में सफल हो जाते हैं। कोई भी दवा शरीर पर असर डालना छोड़ देती है। इसका सीधा असर किडनी पर होता है। कई बार यही लापरवाही मरीज के मौत की वजह बन जाती है। वर्तमान आंकड़ों के मुताबिक़ दुनियाभर में 85 करोड़ लोग गुर्दों से संबंधित किसी न किसी समस्या से जूझ रहे हैं। प्रतिवर्ष 24 लाख लोगों की मृत्यु गुर्दों की बीमारियों के कारण होती है। विश्वभर में गुर्दों से संबंधित बीमारियां मृत्यु का छठा सबसे प्रमुख कारण है। उम्रदराज लोग ही नहीं, युवा और बच्चे भी तेजी से इनकी चपेट में आ रहे हैं। इसकी एक बड़ी वजह एंटीबायोटिक दवाओं का बेहिसाब और अनुचित प्रयोग है. इसलिए यदि अपनी किडनी को स्वस्थ्य रखना है तो एंटीबायोटिक दवाइयों से दूरी बनाइये और जहाँ तक हो सके आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा का उपयोग करे. लेकिन ध्यान रहे कि चिकित्सक की सलाह के बिना आयुर्वेदिक दवा भी न ले.
लंबे समय तक एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल से किडनी में स्टोन यानी किडनी की पथरी की समस्या हो सकती है। दरअसल एंटीबायोटिक दवाओं में मौजूद सल्फोनामाइड (एंटीमाइक्रोबियल्स का समूह) ऐसे क्रिस्टल पैदा कर देते हैं, जो यूरिन में घुल नहीं पाते हैं और मूत्रमार्ग में आकर किडनी की पथरी बनाते हैं। वैसे दवाइयों के सेवन से किडनी को नुकसान होने की संभावना ज्यादा रहने के दो मुख्य कारण हैं:
1- किडनी अधिकांश दवाओं को शरीर से बाहर निकालती है। इस प्रक्रिया के दौरान कई दवाइँ या उनके रूपान्तरित पदार्थों से किडनी को नुकसान हो सकता है।
2-हृदय से प्रत्येक मिनट में निकलने वाले खून का पाँचवां भाग किडनी में जाता है। कद और वजन के अनुसार पुरे शरीर में सबसे ज्यादा खून किडनी में जाता है। इसी कारण किडनी को नुकसान पहुँचनेवाली दवाईयाँ तथा अन्य पदार्थ कम समय में एवं अधिक मात्रा में किडनी में पहुँचते हैं, जिसके कारण किडनी को नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है।
1- डॉक्टर की देखरेख के बिना लम्बे समय तक ज्यादा मात्रा में दवाइँ का उपयोग करने से किडनी खराब होने का खतरा ज्यादा रहता है।
2-लम्बे समय तक ऐसी दवा का इस्तेमाल करने, जिसमें कई दवाएँ मिली हों उनसे किडनी को क्षति पहुँच सकती है।
3- बड़ी उम्र, किडनी डिजीज, डायबिटीज और शरीर में पानी की मात्रा कम हो तो ऐसे मरीजों में दर्दशामक दवाईयो का उपयोग खतरनाक हो सकता है।
‘अमेरिकन सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी’ जर्नल में छपी एक स्टडी के मुताबिक एंटीबायोटिक गोलियां लेने से किडनी में पथरी होने का खतरा बढ़ सकता है. गुर्दे की पथरी आपकी आंत और पेशाब की नली में पाए जाने वाले बैक्टीरिया में बदलाव से जुड़ी होती है.उन्होंने पाया कि कम से कम पांच तरह के एंटीबायोटिक जैसे सल्फास, सेफलोस्पोरिन, फ्लोरोक्विनोलोन, नाइट्रोफ्यूरेंटाइन / मिथेनैमाइन और ब्रॉड-स्पेक्ट्रम पेनिसिलिन किडनी में पथरी होने के हाई रिस्क से जुड़े थे.
CEO, NirogStreet & Ayurveda Expert
He is a proactive evangelist of Ayurveda whose aim is to make Ayurveda the first call of treatment