AYURVEDA
MedicineDOCTOR
e-ConsultAYURVEDA
ClinicsBy Dr Pushpa | NIrog Tips | Posted on : 20-Apr-2020
स्वस्थ्य शरीर के लिए भोजन एक महत्वपूर्ण घटक है। भोजन पौष्टिक होना चाहिए , सही अनुपात में लेना चाहिए और नियमबद्ध तरीके से उसका सेवन करना चाहिए. यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो इसका हमारे शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है. कहने का तात्पर्य है कि स्वस्थ व्यक्ति के लिये भोजन के कुछ सामान्य नियम होते है जिसका ध्यान रखा जाना चाहिए. ऐसे ही नियमों के बारे में बता रहे हैं धर्मार्थ आयुर्वेद पंचकर्म एवं पाँचभौतिक चिकित्सालय के वैद्य(डॉ)आशीष कुमार. आइये उनसे जानते हैं भोजन के सामान्य नियम (रोगी के लिये अलग नियम पालन करना होगा जो हर रोगी का अलग निश्चित करना होता है) -
स्वस्थ व्यक्ति के लिये भोजन के सामान्य नियम
1- सुबह का खाना पेट का 100% भाग,दोपहर का 75% एवं शाम या रात्रि का 50% खाएं।
(इसमे भी भूख लगने पर ही खाये,जो पहले से ऐसा नही कर पा रहे है वो थोड़ा थोड़ा कर के आदत बना सकते है।)
2 -भूख से बहुत अधिक या बहुत कम मात्रा में भोजन करने से शरीर मे असन्तुलन होता है।
3 -खाने में 6 तरह के रस(स्वाद) का समावेश अवश्य हो,भोजन के शुरू में मीठा खाये।
4 –समय पर भोजन अवश्य करे।
5 –दिन का भोजन शारीरिक श्रम के अनुसार एवं रात का भोजन हल्का व सुपाच्य होना चाहिए। रात्रि का भोजन सोने से दो या तीन घंटे पूर्व करना चाहिए। तीव्र भूख लगने पर ही भोजन करना चाहिए।
6— टीवी देखते या अखबार पढ़ते हुए खाना नहीं खाना चाहिये।
7 –भोजन के तुरंत बाद पानी या चाय नहीं पीना चाहिए। भोजन के पश्चात घुड़सवारी, दौड़ना, बैठना, शौच आदि नहीं करना चाहिए।
8–रात्रि को दही, मुली ,सत्तू, तिल एवं गरिष्ठ भोजन नहीं करना चाहिए। दूध के साथ नमक, दही, खट्टे पदार्थ, मछली, कटहल का सेवन नहीं करना चाहिए। शहद व घी का समान मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए। दूध-खीर के साथ खिचड़ी नहीं खाना चाहिए।
9–(भोजन के पश्चात क्या करें)
दिन के भोजन के पश्चात वज्रासन एवम थोड़ा बाई करवट लेतना(सोना कभी नही) एवं रात में सौ कदम टहलकर बाईं करवट लेटने अथवा वज्रासन में बैठने से भोजन का पाचन अच्छा होता है।
10 –दुबारा भोजन करने के बीच में कम से कम 5 से 6 घंटे का फासला होना चाहिए।
11 –बासी भोजन करने से कई तरह के रोग हो जाते हैं।(खाना बनने के 3 घंटे में)
12 –भोजन करते समय बीच-बीच में घूंठ घूंठ कर पानी पी सकते है अगर खाना रूखा सूखा और इच्छा हो तब पीये।
13 -भोजन से 30 मिनट पहले पानी पिये या भोजन के 40 से 60 मिनट बाद पानी पिये।(प्यास लगने पर ही)
14 –मैदा, सफेद, चीनी, पॉलिश किया हुआ चावल आदि पदार्थों के सेवन से बचें।
15 –चाय, कॉफी, तली हुई चीज धूम्रपान, शराब, और खाने के तंबाकू आदि के सेवन से बचें।
16 –सप्ताह में एक दिन या 1 समय फलों का रस या दूध,पानी पीकर रहना चाहिए।
17-भोजन के साथ सलाद या मौसमी फल साथ मे लेवे।
18 –भोजन करते हुए चलचित्र या टेलीविजन नहीं देखना चाहिए।
19–बहुत ज्यादा गर्म व बहुत ज्यादा ठंड़ी वस्तुएं खाने से हमारी पाचनक्रिया पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
20 –भोजन के बाद मट्ठा पीना बहुत ही लाभदायक होता है।(दोपहर में )
21 –भोजन करने के बाद 3 घंटे तक ब्रम्हचर्य का पालन अवश्य करना चाहिए।
22 -भोजन को इतना चबाये की वो पानी बन जाये जिस से खाना जल्दी पच जायेगा |दांतो से चबाओगे तो आंतो से नही चबाना पड़ेगा।
वैद्य(डॉ)आशीष कुमार (सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी,मध्य प्रदेश शासन)
धर्मार्थ आयुर्वेद पंचकर्म एवं पाँचभौतिक चिकित्सालय
एम आई जी 1354,न्यू दर्पण कॉलोनी,ग्वालियर,मध्यप्रदेश
9076699800
और पढ़े - रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक काढ़ा बनाने की विधि