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ClinicsBy NS Desk | Herbs and Fruits | Posted on : 05-Jul-2021
गुग्गुलु में कई प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं. यह आयुर्वेद शास्त्रों में वर्णित सर्वश्रेष्ठ वात शामक द्रव्य है.
आयुर्वेद में गुग्गुल या गुग्गुलु को एक महत्वपूर्ण औषधि माना गया है और इसका प्रयोग विविध रोगों के उपचार में सदियों से किया जाता रहा है. गुग्गुलु में कई प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं. यह आयुर्वेद शास्त्रों में वर्णित सर्वश्रेष्ठ वात शामक द्रव्य है. यह रसायन, त्रिदोष नाशक, वृष्य (नपुंसकता नाशक), बलकारक तथा वातानुलोमक होता है. गुग्गुलु एंटीसेप्टिक गुण युक्त घाव को भरने वाला, शोथहर, रक्तवर्धक एवं आर्तव जनक है. नया गुग्गुलु ब्रिंहण और वृष्य होता है और पुराना गुग्गुलु लेखन का कार्य करता है.
गुग्गुलु या गुग्गुल एक वृक्ष है. इससे प्राप्त राल जैसे पदार्थ को गुग्गुलु कहा जाता है. गुग्गुल का पेड़ छोटे आकार का होता है और सामान्यतया इसकी उंचाई 3 से 4 मीटर के बीच होती है. बारिश के मौसम में ये तेजी से बढ़ता है. इसके तने से सफेद रंग का दूध निकलता है जो इसका उपयोगी भाग है. प्राकृतिक रूप से गुग्गल भारत के कर्नाटक, राजस्थान, गुजरात तथा मध्य प्रदेश राज्यों में उगता है.
भारत में इस जाति के दो प्रकार के वृक्ष पाए जाते हैं. एक को कोमिफोरा मुकुल (commiphora mukul) तथा दूसरे को कोमिफोरा विगटी (commiphora wightii) कहते हैं. उत्तम गुग्गुलु चमकीला, चिपचिपा, मधुरगंध वाला, स्वाद में कड़वा होता है. कुछ स्थानों से प्राप्त गुग्गुल का रंग पीलापन लिए श्वेत तथा अन्य का गहरा लाल होता है. इसमें मीठी महक रहती है. इसको अग्नि में डालने पर स्थान सुंगध से भर जाता है. गुग्गुल के वृक्ष से निकलने वाला गोंद ही गुग्गुल नाम से प्रसिद्ध है. इस गुग्गुल से ही महायोगराज गुग्गुलु, कैशोर गुग्गुलु, चंद्रप्रभा वटी आदि योग बनाए जाते हैं. इसके अलावा त्रिफला गुग्गुल ,गोक्षरादि गुग्गुल, सिंहनाद गुग्गुल और चंद्रप्रभा गुग्गुल आदि योगों में भी यह प्रमुख द्रव्य प्रयुक्त होता है.
आयुर्वेद में गुग्गुल का प्रयोग कई रोगों के इलाज में किया जाता है. आर्थराइटिस, रूमेटाइड अर्थराइटिस / आमवात (Rheumatoid Arthritis), मेद रोग / मोटापा (Obesity), त्वचा सम्बन्धी रोग, मूत्र रोग, सूजन, सायटिका(Sciatica), बवासीर (Piles), भगन्दर(Fistula), प्रमेह रोग व समस्त वातविकारों में गुग्गुल / गुग्गुलु का औषधीय प्रयोग विशेष रूप से लाभ देता है. आइये जानते हैं कि गुग्गुल के क्या - क्या फायदे हैं और किन रोगों के इलाज में इसका प्रयोग विशेष लाभकारी सिद्ध होता है -
►गुग्गुल हड्डियों से संबंधित रोगों में फायदेमंद
हड्डियों से संबंधित विविध रोगों में गुग्गुलु के उपयोग से काफी फायदा होता है. यह प्राकृतिक कैल्शियम का अच्छा स्रोत है जिसकी वजह से टूटी हड्डी जल्दी जुड़ जाती है. यह कमजोर हड्डियों में कैल्शियम के जमाव को बढाकर उन्हें मजबूती प्रदान करती है. साथ ही मांसपेशियों के दर्द व जकड़न में भी आराम पहुंचाता है.
जोड़ो की सूजन और दर्द को भी यह कम करता है.
► गुग्गुल पेट से सबंधित रोगों में फायदेमंद
पेट से संबंधित रोगों में गुग्गुलु का सेवन विशेष उपयोगी सिद्ध होता है. यह पाचन को ठीक कर लीवर की कार्यप्रणाली का ठीक करता है और अपक्व रस का पाचन करता है जिसके परिणामस्वरूप उत्तम धातुओं का निर्माण होता है.
रेचकगुण होने के कारण पेट साफ़ करता है एवं विषात्क तत्वों को बाहर निकालता है. साथ ही पेट के कृमि का शमन करता है एवं कब्ज को दूर करता है.
आँतों की चाल को बढ़ाता है जिसे पाचन ठीक होता है और कब्ज से छुटकारा मिलता है. गैस, पेट दर्द इत्यादि में इसके सेवन से फायदा होता है.
► गुग्गुल त्वचा से संबधित रोगों में फायदेमंद
गुग्गुल सभी प्रकार के त्वक विकार (Skin Problems) यानी त्वचा सम्बन्धी रोगों में लाभकारी सिद्ध होता है. गंधक की उपस्थिति के कारण त्वचा विकारों में यह विशेष उपयोगी है. यह त्वचा विकारों का शमन करता है और घावों को जल्द भरने में मदद करता है. सोरायसिस (Psoriasis), एक्जिमा (Eczema) रोगों के इलाज में भी इसका उपयोग किया जाता है. यह शरीर में रक्त को बढ़ाता है और त्वचा पर मौजूद अनावश्यक दाग-धब्बों को हटाता है.
► गुग्गुल थाइरोइड रोग में फायदेमंद
थाइरोइड ग्रंथि को उत्तेजित करता है जिससे शरीर की उपापचय दर (बी.एम.आर.) बढ़ जाती है
► गुग्गुल मेद रोग या मोटापा कम करने में सहायक
गुग्गुल मोटापा कम करने में भी सहायक सिद्ध होता है. यह शरीर से वसा के स्तर को कम करने में मदद करता है. यह फैट (वसा) मेटाबोलिज्म को ठीक करता है.
► गुग्गुल मूत्र सम्बन्धी रोगों में फायदेमंद
► गुग्गुल मधुमेह / प्रमेह (Diabetes) रोग में फायदेमंद
एक रसायन औषधि होने की वजह से गुग्गुल मधुमेह को नियंत्रित करने में भी उपयोगी साबित होता है. इसमें वात और कफ को भी कम करने का गुण होता है. गौरतलब है कि मधुमेह खराब जीवनशैली (Lifestyle) के कारण होता है जिससे वात और कफ में असंतुलन पैदा हो जाती है. गुग्गुल इस असंतुलन को कम करता है.
► गुग्गुल रक्त के शुद्धिकरण में फायदेमंद
मूत्रल होने के कारण मूत्र निर्माण अधिक करता है जिससे रक्त की अशुद्धि मूत्र के साथ बाहर निकल जाती है. इस तरह से यह रक्त की शुद्धि भी करता है
► गुग्गुल शारीरिक बल को बढ़ाने में फायदेमंद
गुग्गुल शरीर में बल की वृद्धि करता है. यह शरीर में खराब कोलेस्ट्राल के निर्माण को भी कम करता है. यह वीर्यवर्द्धक है और इसलिए वीर्य की मात्रा को बढ़ाता है.
► गुग्गुल गठिया रोग के उपचार में फायदेमंद
शरीर में यदि कहीं भी उतकों में अनियंत्रित वृद्धि हो रही हो तो गुग्गुलु के सेवन से रूक जाती है. यह शरीर में बन रही गांठों को समाप्त करता है.
► गुग्गुल भगंदर (Fistula) रोग के उपचार में फायदेमंद
भगंदर और फिस्टुला जैसे रोगों को ठीक करने में भी गुग्गुल काफी प्रभावी है. यह कब्ज आदि पेट की समस्याओं को ठीक करने में मदद करता है जिससे भगन्दर और फिस्टुला रोग में फायदा होता है.
गुग्गुल का उपयोग और उसकी खुराक बीमारियों पर निर्भर करता है. अलग-अलग बीमारियों में इसका उपयोग और इसकी खुराक अलग-अलग हो सकती है. इसलिए उचित होगा कि इसके सेवन के पहले किसी आयुर्वेद के चिकित्सक से सलाह लिया जाए और उनके निर्देशानुसार उचित अनुपान में लिया जाए. तभी उसका ज्यादा मिलेगा. वैसे एक से दो टेबलेट सुबह और शाम रोगानुसार अनुपान में लेने की सलाह दी जाती है.
गुग्गुल का सेवन तब हानिकारक सिद्ध होता है जब अधिक मात्रा में इसका सेवन रोगी के द्वारा किया जाता है. मात्रा अधिक होने पर यह लीवर को नुकसान पहुंचा सकता है. स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी गुग्गुल के सेवन से भी समस्या हो सकती है, इसलिए सेवन के पहले आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह जरुर लेनी चाहिए.
औषधियों के निर्माण में गुग्गुलु को शास्त्रोक्त विधि से शुद्ध करके इस्तेमाल करना चाहिए. गुग्गुल शोधन इस प्रकार से होनी चाहिए -
गुग्गुल से कई तरह की औषधियों का निर्माण किया जाता है जिसका प्रयोग विविध रोगों के लिए किया जाता है. गुग्गुल से बनने वाली कुछ प्रमुख औषधियों के नाम -
किसी भी प्रकार की दवाई लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है। आयुर्वेद के अनुभवी डॉक्टर से निशुल्क: परामर्श लें @ +91-9205773222
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