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ClinicsBy NS Desk | Herbs and Fruits | Posted on : 18-Apr-2019
अश्वगंधा किसी भी तनाव को कम करने में मदद करता है.अपने इस औषधीय गुण की वजह से तकरीबन 3,000 वर्षों से यह आयुर्वेद चिकित्सा का हिस्सा है.
आयुर्वेद (ayurveda) के अनुसार अश्वगंधा (ashwagandha) औषधीय गुणों (herbal properties) से भरपूर जड़ी-बूटी (herbs) है और अपने स्वास्थ्यवर्धक गुणों (restorative properties) के कारण इसे सबसे अधिक प्रभावी जड़ी-बूटियों में से एक माना जाता है. इसका वानस्पतिक नाम विथानिया सोम्निफेरा (withania somnifera) है. विंटर चेरी (winter cherry) और इंडियन जिनसेंग (indian ginseng) के नाम से भी यह जाना जाता है. इसके लिए शुष्क जलवायु (arid climate) उपयुक्त है इसलिए यह भारत, मध्यपूर्व और अफ्रीका में आसानी से उगाया जाता है.
अश्वगंधा नाम संस्कृत से लिया गया है और इसका मतलब घोड़े की गंध (smell of a horse) है. गौरतलब है कि अश्वगंधा के पौधों से घोड़े जैसी ही गंध आती है. इसकी जड़ों और पत्तियों का उपयोग जड़ी-बूटियों के रूप में किया जाता है. यह कई स्वास्थ्य समस्याओं से निजात दिलाने के साथ-साथ हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है. वैसे तो अश्वगंधा के अनेक लाभ है, लेकिन हम यहाँ इसके 6 फायदे बता रहे हैं -
अश्वगंधा शारीरिक प्रक्रियाओं को सामान्य करने में मदद कर किसी भी तनाव को कम करने में मदद करता है. अपने इस औषधीय गुण की वजह से तकरीबन 3,000 वर्षों से यह आयुर्वेद चिकित्सा का हिस्सा है. अध्ययनों से यह प्रमाणित हो चुका है कि अश्वगंधा के रासायनिक प्रक्रियाओं को नियमित कर तनाव को नियंत्रित करता है. क्लिनिकल ट्रायल में भी यह बात प्रमाणित हो चुकी है और पुराने तनाव के मरीज के मामले में भी यह उपयोगी साबित हुआ.
अश्वगंधा मधुमेह में भी फायदेमंद है। यह ग्लूकोज स्तर को नीचे लाने के लिए जाना जाता है। एक टेस्ट-ट्यूब शोध में पाया गया कि जड़ी बूटी मांसपेशियों की कोशिकाओं में इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाती है जिसके परिणामस्वरूप बेहतर इंसुलिन स्राव होता है। दूसरे अध्ययनों ने निष्कर्ष निकला कि जड़ी बूटी मधुमेह और गैर-मधुमेह दोनों के साथ-साथ सिज़ोफ्रेनिया (schizophrenia) से पीड़ित रोगियों में रक्त शर्करा के स्तर को कम कर सकती है।
एक औषधीय जड़ी बूटी के रूप में अश्वगंधा के स्वास्थ्य लाभ आयुर्वेद में वर्णित है। यह जड़ी-बूटी अवसाद जैसी मानसिक बीमारियों के खिलाफ भी प्रभावी है। कुछ साल पहले किए गए एक अध्ययन के अनुसार अश्वगंधा लेने वाले रोगियों में गंभीर अवसाद में 79% की कमी देखी गई थी। दूसरे अध्ययन में अश्वगंधा न लेने वाले समूह में लोगों के अवसाद के स्तर में 10% की वृद्धि दर्ज की गयी।
अश्वगंधा कैंसर से लड़ने में मददगार साबित होता है. यह न केवल नई कैंसर कोशिकाओं के विकास को धीमा करता है, बल्कि कैंसर कोशिकाओं में एपोप्टोसिस (प्रोग्राम्ड डेथ) को भी प्रभावित करता है।
अश्वगंधा दिल के लिए भी अच्छा है।
कई अध्ययनों में प्रमाणित हो चुका है कि अश्वगंधा यादाश्त को बेहतर करने में मदद करता है. यह मस्तिष्क संबंधी रोगों या वहां लगे किसी भी तरह के चोट में उपयोगी साबित होता है. तंत्रिका संबंधी रोगों के अलावा यह अनिंद्रा और मिर्गी तक में भी फायदेमंद साबित होता है.
लेकिन इन तमाम औषधीय गुणों के बावजूद अश्वगंधा का उपयोग आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह से ही करना चाहिए. खुराक में अंतर होने पर फायदे की बजाए नुकसान हो सकता है. इसलिए चिकित्सक की सलाह जरुरी है. तभी इस दिव्य औषधि का सही फायदा मिलेगा.
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