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ClinicsBy NS Desk | Herbs and Fruits | Posted on : 23-Mar-2021
हिंदू संस्कृति में मेहंदी या हीना को खुशहाली, सौंदर्य और धार्मिक अनुष्ठान आदि का प्रतीक माना जाता है। मेहंदी एक परिष्कृत औषधि होती है और इसका उपयोग विविध उद्देश्यों, जैसे कि प्रसाधन सामग्री, दवाइयों आदि के उत्पादन के लिए किया जाता है। मेहंदी के पौधे के सभी भागों पत्तियों, फूलों, जड़, तना, बीजों आदि में औषधीय गुण मौजूद पाए जाते हैं। मेहंदी में ‘लासन’ नामक रंग का यौगिक पाया जाता है जिसमें लाल-संतरिया रंजक निहित होता है। यह इसके पौधे की पत्तियों का मुख्य घटक होता है।
इसमें उपस्थित एंटीबैक्टीरियल और एंटीइनफ्लेमेट्री तत्वों के कारण इसका प्रयोग प्रसाधन सामग्री या अन्य उत्पादों के निर्माण में किया जाता है। मेहंदी का प्रयोग सामान्यतः त्वचा से संबंधित कई समस्याओं जैसे खुजली, एलर्जी, पित्तिका, घावों आदि के उपचार के लिए किया जाता है। मेहंदी बालों के लिए भी उपयोगी होती है। यह बालों को कुदरती चमक देने के साथ-साथ कई अन्य प्रकार के फायदे भी पहुंचाती है। यह बालों के लिए कुदरती रंग है तथा उनकी वृद्धि व परिस्थिति में सुधार भी करती है। मेहंदी की ताजा पत्तियों का इस्तेमाल अच्छा रहता है किन्तु बाजार में इसका पाउडर भी मिलता है। अगर मेहंदी के सेवन की आवश्यकता पड़े तो चिकित्सक के परामर्श के बाद ही करें, क्योंकि यह एलर्जी आदि की समस्या का कारण बन सकती है।
मेहंदी का वैज्ञानिक नाम ‘लासोनिया इनर्मिस’ जिसकी उत्पत्ति एशिया से मानी जाती है और शायद इसी वजह से मेहंदी के फायदों को ध्यान में रखते हुए इसे एशिया की प्रमुख औषधियों की सूची में स्थान दिया गया है। मेहंदी का सर्वाधिक प्रयोग बालों, नाखूनों तथा शरीर के अन्य भागों को रंगने के लिए किया जाता है। यह एशिया के विविध भागों में पायी जाती है। मेहंदी की पत्तियों का लेप या पेस्ट गहरे भूरे या लाल रंग की उत्पत्ति करता है और इसका प्रयोग मुख्यतः बालों, नाखूनों, त्वचा आदि को रंगने के लिए किया जाता है। इसके उपयोग का कोई दुष्प्रभाव सामने नहीं आता है।
हालांकि मेहंदी की पत्तियों का उपयोग झातक नहीं होता है और इससे अनेक फायदे भी मिलते हैं फिर भी इसके उपयोग को लेकर कुछ सावधानियां रखना जरूरी होता है। इसका चयन बड़ी ही सावधानी से करना चाहिए क्योंकि इसकी अनेक प्रकार की प्रजातियां मौजूद पायी जाती हैं और अध्ययन के मुताबिक इसकी कुछ किस्में जैसे की काली मेहंदी को अत्यधिक नाजुक या संवेदनशील त्वचा के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।
सामान्यतः देखने में आता है कि लोग आजकल उस प्रसाधन सामग्री को ज्यादा पसंद करते हैं जिसको बनाने में मेहंदी का इस्तेमाल किया गया हो। फिर भी कह सकते हैं कि इसके उपयोग से बने उत्पाद इतने अधिक फायदे नहीं देते हैं जितने फायदे इसकी पत्तियों के इस्तेमाल से मिलते हैं। इसका कारण यह है कि इसके प्रयोग से बने इन उत्पादों में कुछ हानिकारक रसायन निहित पाए जाते हैं।
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मेहंदी के कुछ अन्य नाम इस प्रकार हैं- मदरंगी, मैलनैतू, हीना, हिन्ना, कोरते, मेंदी, मेहंदी, गोरांता, मरुदम, गोरिंता, लासोनिया इनर्मिस, निल मदयंतिका, मेहदी आदि।
मेहंदी का स्रोत क्या है?
मेहंदी का स्रोत पादप या पौधा है।
1. पेट के अल्सर के लिए मेहंदी कैसे लाभप्रद है?
आयुर्वेदिक मत- मेहंदी आमाशय या आंतों के अल्सर के इलाज में मदद करती है। जठरीय अम्ल की उत्पत्ति आमाशय व आंतों में अल्सर का कारण बनती है। ऐसा साधारणतः पित्त की गड़बड़ी के कारण होता है।
अपनी शीत तासीर की वजह से मेहंदी आमाशय में इस अम्ल को नियंत्रित करती है और साथ ही अपने उपचारात्मक गुणों का प्रभाव दिखाती है जिसके फलस्वरूप अल्सर में राहत मिलती है।
मेहंदी एसिडिटी का शमन करती है तथा साथ ही जठरीय रस का स्राव कम करती है जिस कारण अल्सर में आराम मिलता है।
2. सिरदर्द में मेहंदी कैसे लाभप्रद होती है?
आयुर्वेदिक मत- मेहंदी सिरदर्द के उपचार में मदद करती है, विशेषतः यदि सिरदर्द आपकी कनपटी से शुरू होकर सिर के केंद्रीय भाग में फैलता है। आयुर्वेद के अनुसार यह पित्त से उत्पन्न सिरदर्द होता है अथवा पित्त दोष के कारण ही पैदा होता है। मेहंदी पित्त दोष को दूर करके सिरदर्द में आराम प्रदान करती है।
3. पेचिस की समस्या में मेहंदी कैसे लाभप्रद होती है?
आयुर्वेदिक मत- मेहंदी बार-बार आने वाले दस्त का उपचार कर सकती है। आयुर्वेद में इसे अतिसार कहा जाता है और इसका कारण बनते हैं- अनुपयुक्त खान-पान, अशुद्ध जल, टोक्सिन या जीव विष, मानसिक तनाव, अनिद्रा आदि। ये समस्त कारण वात दोष का परिणाम होते हैं। यह वात की गड़बड़ी शरीर के विभिन्न ऊतकों से आंत में ऐसा तरल उत्पन्न करती है जो मल के साथ मिलकर पतले दस्त या पेचिस की समस्या पैदा करती है। मेहंदी अपनी कसाय या तीक्ष्ण प्रकृति के कारण इस समस्या की रोकथाम करके दस्त से निजात दिलाती है।
4. त्वचा की खुजली, एलर्जी, पित्तिका, घावों आदि के इलाज में मेहंदी क्या लाभ पहुंचाती है?
आयुर्वेदिक मत- मेहंदी त्वचा की सभी प्रकार की समस्याओं जैसे खुजली, एलर्जी, पित्तिका, घावों आदि के इलाज में सक्षम होती है। ऐसा यह अपने रोपन या उपचारात्मक गुणों की वजह से कर पाती है। इसकी शीतल प्रकृति जलन और सूजन से विशेष राहत प्रदान करती है।
निर्देश:
5. मेहंदी रूसी में क्या लाभ पहुंचा सकती है?
आयुर्वेदिक मत- रूसी शिरोवल्क या सिर की खाल की शुष्क पपड़ी या शल्कल होती है। आयुर्वेद में इसे वात तथा पित्त की गड़बड़ी का परिणाम माना जाता है। मेहंदी अपनी कसाय या रुक्ष प्रकृति के परिणामस्वरूप सिर की खाल से अतिरिक्त तेल को हटा कर उसे शुष्क बनाती है और इसी कारण रूसी खत्म हो जाती है।
निर्देश:
● स्तनपान: यदि महिलाएं स्तनपान करा रही हों तो उनको मेहंदी के उपभोग से परहेज करना चाहिए।
● संयत औषधीय अंतर्क्रिय: सीएनसी की दवाइयों के साथ मेहंदी के उपयोग की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि यह मेहंदी के साथ अंतर्क्रिया का कारण बन सकती है।
● गर्भावस्था: गर्भावस्था के दौरान भी मेहंदी का उपभोग करना वर्जित है।
● एलर्जी: यदि आपको एलर्जी की शिकायत है तो मेहंदी के उपभोग से परहेज ही करें।
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मेहंदी के कुछ प्रमुख दुष्प्रभाव हैं-
मेहंदी की उपयुक्त मात्रा
• मेहंदी पाउडर: आवश्यकतानुसार 3-4 चम्मच मेहंदी पाउडर का इस्तेमाल किया जा सकता है।
1. मेहंदी की पत्तियों का लेप या पेस्ट
2. मेहंदी का हेयर पैक
3. मेहंदी के टैटू
4. मेहंदी के बीजों का पाउडर
5. मेहंदी के पत्तों का रस
प्र. मुलायम या चिकने बालों के लिए मेहंदी में क्या मिलाकर प्रयोग करना चाहिए?
उ. आयुर्वेदिक मत- हां, अगर मेहंदी में अंडा मिलाकर बालों पर लगाया जाए तो रूसी से छुटकारा मिल सकता है। रूसी सिर की खाल पर बनी शुष्क त्वचा की पपड़ी होती है और यह शरीर में वात एवं पित्त दोष के कारण बनती है। मेहंदी अपनी कसाय या रूक्ष प्रकृति के कारण सिर की खाल से अतिरिक्त तेल को हटा कर उसे शुष्क बनाए रखती है और इसी कारण रूसी से छुटकारा मिल जाता है।
निर्देश:
अन्य विधि:
निर्देश:
प्र. बालों में मेहंदी का प्रयोग कैसे करें?
उ. आयुर्वेदिक मत- सामान्य रूप से मेहंदी का इस्तेमाल बालों को चिकना या मुलायम बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह बालों को कुदरती रंग देती है और सिर की खाल से अतिरिक्त तेल को हटा कर उसे शुष्क कर रूसी से छुटकारा दिलाती है।
निर्देश:
अन्य विधि:
सामान्यतः मेहंदी को बालों को रंगने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके उपयोग का निम्न तरीका है ।
http://www.ayurveda.hu/api/API-Vol-1.pdf
https://www.researchgate.net/publication/262001210_An_Overview_on_Ajwain_Trachyspermum_ammi_Pharmacological_Effects_Modern_and_Traditional
https://www.nepjol.info/index.php/IJASBT/article/view/14728
https://www.academia.edu/37617792/PHARMACOLOGICAL_ACTIVITIES_OF_LAWSONIA_INERMIS_LINN_A_REVIEW
https://ijpsr.com/bft-article/a-pharmacological-and-toxicological-review-of-lawsonia-inermis/?view=fulltext
https://www.easyayurveda.com/2016/08/09/henna-mehndi-benefits-usage-research-side-effects/
https://www.researchgate.net/publication/318489787_AYURVEDIC_MEDICINAL_PLANT_LAWSONIA_INERMIS_LINN_A_COMPLETE_REVIEW
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