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ClinicsBy NS Desk | Disease and Treatment | Posted on : 26-Feb-2019
- डॉ. बीरेंद्र नाथ मौर्य
यूरिक एसिड एक कार्बनिक यौगिक है जिसमें कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और नाइट्रोजन तत्वों का यौगिक होता है. यह शरीर को प्रोटीन से अमीनो एसिड के रूप में प्राप्त होता है. पाचन प्रक्रिया के दौरान जब प्रोटीन टूटता है तो शरीर में यूरिक एसिड बनता है. जब शरीर में प्यूरिन न्यूक्लिओटाइडो टूट जाती है तब भी यूरिक एसिड बनता है, शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाने की स्थिति को हाइपरयूरेकेमिया कहते हैं -
शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं -
-भोजन के रूप में लिए जाने वाले प्रोटीन पयुरेन्स व साथ में उच्च मात्रा में शर्करा का लिया जाना व्यक्ति में यूरिक एसिड को बढ़ाता है.
-कई लोगों में यह आनुवंशिक भी होता है.
-किडनी के द्वारा सीरम यूरिक एसिड के कम उत्सर्जन के कारण भी इसका स्तर रक्त में बढ़ जाता है.
-आयरन की अधिकता भी यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ाती है.
-पेशाब बढ़ाने वाली एलोपैथिक / डायबिटीज की दवाओं के प्रयोग से भी यूरिक एसिड बढ़ जाता है.
-इसका सबसे बड़ा नुकसान शरीर के जोड़ों में दर्द जिसे हम गाउट के नाम से जानते हैं. इस रोग में मोनो सोडियम यूरेट मोनो हाइड्रेट नामक क्रिस्टल का जमाव होता है जो कि एरिक एसिड की अधिकता से उत्पन्न होता है.
-यूरिक एसिड का मनुष्य के उत्सर्जन तंत्र पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है जिसमें प्रायः गुर्दे की आंतरिक दीवार की एपिथेलियम कोशिकाओं की लाइनिंग क्षतिग्रस्त हो जाती है. ऐसे में किडनी में स्टोन का बनना तथा नेफ्रोपैथी की शिकायत शुरू हो जाती है.
-यूरिक एसिड के स्तर का रक्त में ज्यादा समय तक बढे रहने पर टोफी या टोफसोउस गाउट की शिकायत हो जाती है, यह साधारण गाउट की ही एक एडवांस अवस्था है जिसमें पेशियों में जमा यूरिक एसिड अपर रूप मोनो - सोडियम यूरेट मोनो टाइड्रेट जोड़ो में छोटी-छोटी विकृत संरचनाएं बनाती हैं.
- बढ़ी हुई यूरिक एसिड की मात्रा शरीर में कई अन्य रोगों का कारण बनती है. इसके मूल रूप से किडनीस्टोन, डायबिटीज, मेटाबोलिक सिण्ड्रोम, कार्डियोवस्कुलर डिजीज, मायस्थेनिया (पेशियों की कमजोरी) इत्यादि.
-यह प्रयास करे कि अधिक से अधिक मात्रा में पानी पिया जाए जिससे रक्त में मौजूद अतिरिक्त यूरिक एसिड मूत्र के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाए.
-खानपान की आदत बदलें. शरीर में जमा अतिरिक्त यूरिक एसिड को न्यूट्रल करने के लिए भोजन में क्षारीय पदार्थों का अधिक सेवन करें. जैसे - हरी सब्जियां, फल, मूली का रस, दूध, अंकुरित अनाज.
-संतुलित आहार लेना चाहिए जिसमें कार्बोहाइड्रेट, वसा, खनिज, विटामिन्स सब कुछ सीमित मात्रा में शाकाहारी भोजन ज्यादा से ज्यादा लेना चाहिए.
-नियमित व्यायाम सबसे आसान उपाय है इसमें शरीर में अतिरिक्त यूरिक एसिड जमा नहीं हो पाता.
गिलोय रस 20 एमएल सुबह - शाम खाली पेट. सहजन (मुनगा) का प्रयोग भी लाभकारी होता है. दोनों वनस्पतियों से यूरिक एसिड के रोकथाम में मेरा सफल अनुभव रहा है. अत्यधिक तकलीफ होने पर अपने चिकित्सक से परामर्श लेकर दवा लें.
(लेखक पी.एच.एम.सी.एच. पटना में मेडिकल ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं. आयुर्वेद पर्व की स्मारिका से यह लेख साभार लिया गया है)
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