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बवासीर की क्षारसूत्र द्वारा चिकित्सा और बचाव

By NS Desk | Disease and Treatment | Posted on :   03-Jan-2020

Piles

- डॉ. अशोक चौधरी

गुदा मार्ग की नसों के फूलने या सूजने को बवासीर (piles) कहते हैं. यह एक सामान्य बीमारी है. इस रोग से स्त्री या पुरुष कोई भी ग्रस्त हो सकता है. सामान्य तौर पर यह बीमारी पहले 50 वर्ष के बाद देखने को मिलती थी, लेकिन आजकल की बदलती जीवन शैली में सामान्यतः 12 वर्ष के बाद किसी भी आयु ग्रुप में हो सकता है. पाइल्स (piles) या हेमोराइड्स (haemorrhoids) एक दूसरे के समानार्थी है. पाइल्स का मतलब लैटीन भाषा में पिला (pila) होता है जिसका अर्थ गेंद (ball like) या हेमोराइड्स (haemorrhoids) का अर्थ ग्रीक भाषा में रक्तस्त्राव होता है. आयुर्वेद में इसे अर्श कहा गया है. आयुर्वेद में अर्श के लिए कहा गया है जो शत्रु के समान प्राणों को हरता है उसे अर्श कहा गया है.

बवासीर के कारण -

बवासीर के कई कारण होते हैं. किसी एक को पिन प्वाइंट नहीं किया जा सकता है. लेकिन कुछ प्रमुख कारण इस तरह से हो सकते हैं –

- वंशानुगत पारिवारिक हिस्ट्री मिलती है

- कब्ज का रहना

- जोर लगाकर मल त्याग करना

- ज्यादा देर तक बैठे रहना

- बार-बार पेट का खराब होना

- प्रेगनेंसी

- लीवर डिजीज

- आरामदायक जीवनशैली (sedentary lifestyle)

बवासीर के प्रकार –

इंटरनल पाइल्स (खूनी बवासीर) – गुदा मार्ग के अंदर पाइल्स होते हैं.

एक्सटर्नल पाइल्स – गुदा मार्ग के बाहर पाइल्स हो जाते है .

डिग्री ऑफ़ पाइल्स -

फर्स्ट डिग्री – इसमें छोटा सा pedical मास बन जाता है और ब्लीडिंग होती है कई बार नहीं भी आती है. साथ ही गुदा मार्ग से बाहर नहीं आते हैं.

सेकेण्ड डिग्री – पाइल्स mass थोडा बड़ा हो जाता है और मल त्याग के समय बाहर आता है व अपने आप अंदर चला जाता है. ब्लीडिंग होती है या नहीं भी होती है.

थर्ड डिग्री – पाइल्स mass पहले के मुकाबले और बड़ा हो जाता है. मलत्याग के समय बाहर आता है फिर हाथ से गुदा मार्ग में अंदर करना पड़ता है. ब्लीडिंग होती है या नहीं भी होती है

फोर्थ डिग्री – पाइल्स मास गुदा मार्ग से बाहर आ जाता है. मैनुअल हाथ से अंदर करने पर अंदर नहीं जाता है. ब्लीडिंग होती भी है और नहीं भी. ज्यादा दिन तक गुदा मार्ग से बाहर रहने पर पेनफुल हो जाता है.

बवासीर के लक्षण –

- ब्लीडिंग और prolapse बाहर आना दो पाइल्स के मुख्य लक्षण है. सामान्यतया पाइल्स में दर्द (pain) नहीं होता है, अगर उनमें इन्फेक्शन न हुआ हो. लेकिन thurmbesd piles पेनफुल होते हैं.

- गुदा मार्ग में खुजली

- अगर लम्बे समय तक पाइल्स रही हो और रक्तस्त्राव होता है तो खून की कमी हो जाती है थकावट, वजन का कम होना श्वास का फूलना आदि लक्षण मिलते हैं.

विशेषज्ञ चिकित्सक के द्वारा जांच (examination should be under specialist)

- पाइल्स की प्रथम अवस्था में गुदा मार्ग के बाहर से देखने में कुछ दिखाई नहीं देता है

- दूसरी अवस्था में जब मरीज जोर लगाता है तो पाइल्स मास बाहर आ जाते हैं फिर स्वयं ही गुदा मार्ग के अंदर चले जाते हैं

- तीसरी अवस्था में पाइल्स मास स्थायी रूप से बाहर आ जाता है

सामान्यता 1st और 2nd डिग्री पाइल्स गुदा मार्ग में एक्जामिनेशन के समय palable नहीं होते हैं तीसरी और चौथी डिग्री में पाइल्स में fibrotic change हो जाते हैं जो एक्जामिनेशन के दौरान palpable होते हैं.

Practoscopy – सबसे महत्वपूर्ण स्टेप होता है पाइल्स को diagnosis करने के लिए practoscop को लुब्रिकेट करके गुदा मार्ग में इन्सर्ट किया जाता है. पेशेंट के जोर लगाने के लिए कहा जाता है. इन्टरनल पाइल्स bulg करने लगते है आसानी से पाइल्स को देखा जा सकता है.

Sigmoidscopy – इस जांच को तब करवाया जाता है जब किसी कारणवश ब्लीडिंग का सोर्स नहीं पता चलता है कि ब्लीडिंग रेक्टम (bleeding rectum) या celon (आंत) से नहीं हो रही है या पाइल्स की जगह कोई polyp या और growth तो नहीं है.

बवासीर की जटिलताएं (Complication of Piles) :

कई बार रक्तस्त्राव अधिक होने से emergency condition हो सकती है.

- Stranglation – तीसरी और चौथी अवस्था में पाइल्स गुदा मार्ग की मसल्स में .......... हो जाता है जिससे पाइल्स मास में स्वेलिंग swelling बढ़ जाती है जो बहुत पेनफुल हो जाता है

- Gangrene – पाइल्स मास की ब्लड सप्लाई रूकने की वजह से पाइल्स mass में सडन पैदा हो जाती है.

- portal pyaemia – बहुत कम इस तरह की अवस्था होती है खराब खून का थक्का haemorrhioded vain के द्वारा portal vain में पहुँच जाता है जिससे रोगी की मृत्यु भी हो सकती है.

बवासीर की चिकित्सा :

- प्रथम और द्वितीय अवस्था में किसी भी सर्जिकल intervension की आवश्यकता नहीं होती है, केवल लाइफस्टाइल और कुछ आयुर्वेदिक औषध के द्वारा ठीक हो जाती है.

- तीसरे और चौथे अवस्था में आयुर्वेद क्षार सूत्र विधि द्वारा चिकित्सा की जाती है जो विधि हानि रहित है और रोगी को अस्पताल में भर्ती रहने की आवश्यकता नहीं होती है.

क्षारसूत्र होता क्या होता है?

क्षारसूत्र एक मेडिकेटेड थ्रीड होता है जिसे 21 दिन में आयुर्वेदिक औषधियों के लेप से तैयार किया जाता है जो कटिंग , हीलिंग , स्क्रैपिंग एक साथ करता है.

बचाव / सावधानियां :

- प्रचुर मात्रा में फाइबर डाईट ले

- लम्बे समय तक शौच में बैठकर जोर न लगाएं

- पर्याप्त मात्रा में पानी / छाछ / हरी सब्जी, फलों तथा दूध का सेवन करे

- नियमित रूप से व्यायाम करे

- रात्री जागरण ना करे

- गरिष्ठ भोजन का सेवन न करे

- कब्ज न होने दे

नोट – रोगी अपनी चिकित्सा स्वयं ना करे. अपने निकटतम गुदा रोग विशेषज्ञ से परामर्श ले

(डॉ. अशोक चौधरी)

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डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।