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घुटनों के दर्द का आयुर्वेदिक इलाज

By Dr Ankur Kumar Tanwar | Disease and Treatment | Posted on :   25-Jan-2020

घुटनों के दर्द का आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार

घुटनों का दर्द और उसका आयुर्वेदिक उपचार : Knee Pain - Home and Ayurvedic Treatment in Hindi 

घुटनों की पीडा ( Knee Pain) - बढती उम्र के साथ घुटनों में दर्द की समस्या बेहद आम है. ज्यादातार बुजुर्ग इस समस्या से कभी न कभी रूबरू होते ही हैं. समस्या ज्यादा बढ़ने पर यह दर्द अत्यधिक तकलीफदेह और असहनीय हो जाता है और किसी भी दवा से कोई आराम नहीं मिलता है. कभी कभी इतना ज्यादा दर्द होता कि  नींद आना तक मुशकिल हो जाता है और घुटनों में सुजन तक भी आ जाती है | चलने - फिरने में बहुत परेशानी होती है और साथ ही घुटनों को मोड़ने में, उठने – बैठने में भी दिक्कत आती है |

उम्र के साथ हड्डियों की बीमारी बढती जाती है | शरीर के जोड़ों में सूजन उत्पन्न होने पर गठिया होता है या कहे कि जब जोड़ों में उपास्थि (कोमल हड्डी) भंग हो जाती है। शरीर के जोड़ ऐसे स्थल होते हैं जहां दो या दो से अधिक हड्डियाँ एकदूसरे से मिलती हैं जैसे कि कूल्हे या घुटने। उपास्थि जोड़ों में गद्दे की तरह होती है जो दबाव से उनकी रक्षा करती है और क्रियाकलाप को सहज बनाती है। जब किसी जोड़ में उपास्थि भंग हो जाती है तो आपकी हड्डियाँ एक दूसरे के साथ रगड़ खातीं हैं, इससे दर्द, सूजन और ऐंठन उत्पन्न होती है। सबसे सामान्य तरह का गठिया हड्डी का गठिया होता है। इस तरह के गठिया में, लंबे समय से उपयोग में लाए जाने अथवा व्यक्ति की उम्र बढ़ने की स्थिति में जोड़ घिस जाते हैं जोड़ पर चोट लग जाने से भी इस प्रकार का गठिया हो जाता है। हड्डी का गठिया अक्सर घुटनों, कूल्हों और हाथों में होता है। जोड़ों में दर्द और स्थूलता शुरू हो जाती है। समय-समय पर जोड़ों के आसपास के ऊतकों में तनाव होता है और उससे दर्द बढ़ता है।

गठिया क्या होता है?

गठिया एक लंबे समय तक चलने वाली जोड़ों की स्थिति होती है जिससे आमतौर पर शरीर के भार को वहन करने वाले जोड़ जैसे घुटने, कूल्हे, रीढ़ की हड्डी तथा पैर प्रभावित होते हैं। इसके कारण जोड़ों में काफी अधिक दर्द, अकड़न होती है और जोड़ों की गतिविधि सीमित हो जाती है। समय के साथ साथ गठिया बदतर होता चला जाता है। यदि इसका उपचार नहीं किया जाता है, तो घुटनों के गठिया से व्यक्ति का जीवन काफी अधिक प्रभावित हो सकता है। गठिया से पीडि़त व्यक्ति अपनी रोजमर्रा की गतिविधियां करने में समर्थ नहीं हो पाते और यहां तक कि चलने-फिरने जैसा सरल काम भी मुश्किल लगता है। इस प्रकार के मामलों में, क्षतिग्रस्त घुटने को बदलने के लिए डॉक्टर सर्जरी कराने के लिए कह सकता है।

क्यों होता है गठिया?

अनहेल्दी फूड, एक्सरसाइज की कमी और बढ़ते वजन की वजह से घुटनों का दर्द भारत जैसे देशों में एक बड़ी समस्या का रूप लेता जा रहा है। 40-45 की उम्र में ही घुटनों में दिक्कतें आने लगी हैं। सर्वेक्षण कहते हैं कि दुनिया में करीब 40 प्रतिशत लोग घुटनों में दर्द से परेशान हैं। इनमें से लगभग 70 प्रतिशत आर्थराइटिस जैसी बीमारियों से भी जूझ रहे हैं। इनमें से 80 फीसदी अपने घुटनों को आसानी से मोड़ तक नहीं सकते। घुटनों की खराबी के शिकार 25 फीसदी लोग अपने रोजमर्रा के कामों को भी आसानी से नहीं कर पाते हैं। भारत में यह समस्या काफी गंभीर है। घुटनों का दर्द काफी हद तक लाइफ स्टाइल की देन है। यदि लाइफ स्टाइल और खानपान को हेल्दी नहीं बनाया तो यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है। घुटने पूरे शरीर का बोझ सहन करते हैं। इन्हें बचाने का तरीका हेल्दी लाइफ स्टाइल, एक्सरसाइज और हैल्दी खानपान है। खाने में कैल्शियम वाला भोजन सही मात्रा में लें, सब्जियाँ जरूर खायें, फैट और चीनी से परहेज करें और मोटापे का पास भी न फटकने दें।

क्या वजन कम करने से (घुटनों के दर्द) गठिया में लाभ मिलता है?

घुटनो के गठिया से पीडि़त व्यक्ति के लिए निर्धारित वजन से अधिक वजन होना या मोटापा घुटनों के जोड़ों के लिए हानिकारक हो सकता है। अतिरिक्त वजन से जोड़ों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, मांसपेशियों तथा उसके आसपास की कण्डराओं (टेन्डन्स) में खिंचाव होता है तथा इसके कार्टिलेज में टूट-फूट द्वारा यह स्थिति तेजी से बदतर होती चली जाती है। इसके अलावा, इससे दर्द बढ़ता है जिसके कारण प्रभावित व्यक्ति एक सक्रिय तथा स्वतंत्र जीवन जीने में असमर्थ हो जाता है। यह देखा गया है कि मोटे लोगों में वजन बढ़ने के साथ साथ जोड़ों (विशेष रूपसे वजन को वहन करने वाले जोड़) का गठिया विकसित करने का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि मोटे लोगों को या तो अपने वजन को नियंत्रित करने अथवा उसे कम करने केलिए उचित कदम उठाने चाहिए। गठिया से पीडि़त मोटापे/अधिक वजन से पीडि़त लोगों में वजन में 1 पाउंड (0.45 किलोग्राम) की कमी से, घुटने पर पड़ने वाले वजन में 4 गुणा कमी होती है। इस प्रकार वजन में कमी करने से जोड़ पर खिंचाव को कम करने, पीड़ा को हरने तथा गठिया की स्थिति के आगे बढ़ने में देरी करने में सहायता मिलती है।

घुटनों के दर्द के कई कारण हो सकते है ( Cause of Knee Pain )

1. अधिक वजन होना,

2. कब्ज होना,

3. खाना जल्दी-जल्दी खाने की आदत,

4. फास्ट-फ़ूड का अधिक सेवन,

5. तली हुई चीजें खाना,

6. कम मात्रा में पानी पीना,

7. शरीर में कैल्सियम की कमी होना।

घुटनो में दर्द के बचाव के कुछ आसान तरीके । (Home treatment for knee pain)

1. खाने के एक ग्रास को कम से कम 32 बार चबाकर खाएं। इस साधरण से प्रतीत होने वाले प्रयोग से कुछ ही दिनों में घुटनों में साइनोबियल फ्रलूड बनने लग जाती है।

2. पूरे दिन भर में कम से कम 12 गिलास तक पानी अवश्य पिए। ध्यान दीजिए, कम मात्रा में पानी पीने से भी घुटनों में दर्द बढ़ जाता है।

3. भोजन के साथ अंकुरित मेथी का सेवन करें।

4. बीस ग्राम ग्वारपाठे अर्थात् एलोवेरा के ताजा गूदे को खूब चबा-चबाकर खाएं साथ में 1-2 काली मिर्च एवं थोड़ा सा काला नमक तथा ऊपर से पानी पी लें। यह प्रयेाग खाली पेट करें। इस प्रयोग के द्वारा घुटनों में यदि साइनोबियल फ्रलूड भी कम हो गई हो तो बनने लग जाती है।

5. चार कच्ची-भिंडी सवेरे पानी के साथ खाएं। दिन भर में तीन अखरोट अवश्य खाएं। इससे भी साइनोबियल फ्रलूड बनने लगती है। अनुभूत प्रयोग है।

6. एक्यूप्रेशर-रिंग को दिन में तीन बार, तीन मिनट तक अनामिका एवं मध्यमा अंगुलि में एक्यूप्रेशर करें।

7. प्रतिदिन कम से कम 2-3 किलोमीटर तक पैदल चलें।

8. दिन में दस मिनट आंखें बंद कर, लेटकर घुटने के दर्द का ध्यान करें। नियमित रूप से अनुलोम-विलोम एवं कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास करें। अनुलोम-विलोम धीरे-धीरे एवं कम से कम सौ बार अवश्य करें। इससे लाभ जल्दी होने लगता है।

हल्दी चुने का लेप (Lime and turmeric paste)

1. हल्दी और चुना दर्द को दूर करने में अधिक लाभदायक साबित होते है ।

2. हल्दी और चुना को मिलकर सरसो के तेल में थोड़ी देर तक गरम करे फिर उस लेप को घुटने में लगाकर रखे ।

3. कुछ समय बाद दर्द मेा आराम मिलेगा

4. इस प्रक्रिया को दिन मेा दो बार करे ।

हल्दी वाला दूध (Turmeric Milk) :-

एक ग्लास दूध में एक चम्मच हल्दी के पावडर को मिलाकर सुबह शाम काम से काम दो बार पीए यह एक प्राकृतिक दर्द निवारक का काम करता है

नेचुरल ट्रीटमेंट ( Natural treatment):-

विटामिन डी (vitamin D )का सबसे अच्छा स्रोत सूरज से उत्पन धुप ( sun light) है , जिससे आपको नेचुरल विटामिन डी (vitamin D ) मिलती है जो हड्डी (bones)के लिए अधिक लाभदायक है

आयुर्वेद के अनुसार में बनाई गयी औषधियां ( Natural Medicine made in Ayurveda)

1. अमृता सत्व,

2. गोदंती भस्म,

3. प्रवाल पिष्टी,

4. स्वर्ण माक्षिक भस्म,

5. महावत विध्वंसन रस,

6. वृहद वातचितामणि रस,

7. एकांगवीर रस,

8. महायोगराज गुग्गुल,

9. चंद्रप्रभावटी,

10. पुनर्नवा मंडुर इत्यादि औषधियों का सेवन आयुर्वेदिक डॉक्टर के परामर्श से करे। औषधियों के सेवन से बिना किसी साइडइपैफक्ट के अधिक लाभ मिलता है।

दर्द के दौरान क्या न खाये। (Donot eat during Pain)

1. अचार,

2. चाय तथा रात के समय हलका व सुपाच्य आहार लें।

3. रात के समय चना, भिंडी, अरबी, आलू, खीरा, मूली, दही राजमा इत्यादि का सेवन भूलकर भी नहीं करें

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Dr Ankur Kumar Tanwar

Ayurvedic Herbal Health Care Center

Dr. Ankur Kumar Tanwar is an Ayurveda Health Practitioner with an experience of more than six years. He completed his Bachelor in Ayurvedic Medicine and Surgery (B.A.M.S) from Delhi University in the year 2010. He further pursued his Diploma in Nutrition and Health Education (DNHE) from the Indira Gandhi Open University (IGNOU) in 2010 and PG Diploma in Hospital Management from Annamalai University in 2016. Besides being an Ayurveda specialist, Dr. Ankur Kumar Tanwar is also an Asthma Specialist, Panchakarma specialist, a Dietician/ Nutritionist, a Diabetologist, an Infertility Specialist and a Sexologist. He has previously worked as an Ex - House Surgeon / Physician at A & U Tibbia College & Hospital from Gov of NCT Delhi and is presently working as a Part Time Executive Doctor at Paras Med Care in Mumbai. He has also worked as a Health Consultant at Smarth HRC Project for one and a half years. He is a professional member of the Delhi Bhartiya Chikitsa Parisad and the National Ayurveda Student and Youth Association. In six years of his career Dr. Ankur Kumar Tanwar has had many happily satisfied patients. The treatment services provided by Dr. Ankur Kumar Tanwar include anti- ageing treatment, lifestyle disorder treatment, sexual problem treatment, acne treatment,skin problem and Ayurvedic Massage treatment.

डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।