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ClinicsBy Dr Abhishek Gupta | Disease and Treatment | Posted on : 22-Nov-2019
आयुर्वेद के माध्यम से अपने ह्रदय को रखे स्वस्थ्य ( तस्वीर का स्रोत : गूगल चित्र)
आपके दिल का तंदरुस्त रहना जितना किसी से मोहब्बत करने के लिए जरुरी है उतना ही बेहतर और लम्बी जिंदगी के लिए भी जरुरी है, इसलिए अपने दिल का विशेष ख्याल अवश्य रखें। आयुर्वेद में दिल को हृदय के नाम से भी जाना जाता है व इसे शरीर का मर्म स्थान (शरीर का ऐसा हिस्सा जहाँ कोई चोट या आघात लगने से व्यक्ति की तत्काल मृत्यु हो सकती है) भी माना गया है।
हमारे भारत देश में हृदय रोगों से होने वाली मृत्यु दर बहुत तेजी से बढ़ रही है, जहाँ वर्ष 1990 में प्रतिवर्ष हृदय रोगों के कारण लगभग 13 लाख लोगों की मृत्यु होती थी अब यह आकंड़ा लगभग 30 लाख प्रतिवर्ष तक पहुंच चुका है। यानि लगभग प्रत्येक 2 सेकेंड में कोई न कोई व्यक्ति हृदय रोग के कारण मृत हो जाता है।
(Ref: https://www.business-standard.com/article/health/15-of-deaths-in-india-were-due-to-heart-diseases-in-1990-now-up-to-28-118091800130_1.html)
हृदय समबन्धी कई समस्यायें होती हैं लेकिन हार्ट स्टोक व कोरोनरी आर्टरी डिजीज जिसे इस्केमिक हार्ट डिजीज भी कहते हैं इन रोगों के कारण सबसे ज्यादा मौतें होती हैं।
कई रिसर्चों में यह बात पता लगी है कि अधिक तला-भुना, अधिक मिर्च-मसालेदार, देर से पचने वाले आहार, मैदा से बने पदार्थ, मिठाई, आरामतलब जीवन जीने वाले, कम व्यायाम करने वाले, सिगरेट, तम्बाकू, शराब, अधिक मात्रा में मांसाहार आदि का नियमित सेवन करने वालों को हृदय सम्बन्धी रोग होने का खतरा बहुत अधिक होता है, इसके अतरिक्त जिन लोगों को लम्बे समय से कोलेस्ट्रॉल सम्बन्धी परेशानी या हाई बी.पी. की समस्या बनी रहती है उन्हें भी हृदय रोगों का खतरा अधिक होता है।
आयुर्वेद के सिद्धांत के अनुसार जो लोग लगातार अनियमित खान-पान का सेवन व अनियमित दिनचर्या में बने रहते हैं, ऐसे लोगों के शरीर में लगातार दूषित चीजें इकट्ठा होने लगती हैं (आयुर्वेद में इसे "आम" कहते हैं) जिसके कारण शरीर के छोटे-छोटे श्रोत (चैनल्स) दूषित हो जाते हैं जिसकी वजह से हार्ट की आर्टरीज में ब्लॉकेज बढ़ने लगती है और यह हृदय रोग का रूप ले लेता है।
आयुर्वेद में इन समस्याओं का बेहतर समाधान मौजूद है, हृदय रोगों में यह बात भी बेहद ध्यान रखने वाली है कि आर्टरी के ब्लॉकेज के बाद यदि आप ऑपरेशन करवा लेते हैं तब भी आपको सही तरह से अपने खान-पान व दिनचर्या को सुधारना होता है, इसलिए बेहतर होता है कि जैसे ही हार्ट से सम्बंधित परेशानी आपको पता लगे तुरंत आप अपनी अनियमित दिनचर्या व खान-पान में सुधार करें!
इसके अतरिक्त अनावश्यक तनाव, चिंता आदि से बचें, आयुर्वेद में पंचकर्म प्रक्रिया के माध्यम से शरीर में मौजूद दूषित चीज़ों को व्यवस्थित रूप से डेटॉक्स कर दिया जाता है (आयुर्वेद पंचकर्म विशेषज्ञ चिकित्सक से मिलकर इसे अवश्य करवायें)
हल्दी, आमला, अदरक, हरी पत्तेदार व फलीदार सब्जियां, टमाटर, अखरोट, लहसुन, मल्टी-ग्रेन आटा, संतरा, पपीता, ओलिव ऑइल, ग्रीन टी आदि का नियमित प्रयोग हृदय सम्बन्धी रोगों में लाभदायक रहता है।
हृदय रोगों में एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि शाम के समय में विशेष रूप से हल्का भोजन ही करें क्योंकि शाम के भोजन के पश्चात हम प्रायः सोते ही है जिसके कारण शरीर में वसा अधिक इक्कठी होती है व पाचन भी ठीक से नहीं होता इसलिए शाम को स्टीम सलाद, ओट्स, बिना मलाई का दूध, पोआ, उपमा, इडली, सांभर-बड़ा, डोसा, चीला, सब्जियों के सूप आदि जैसे हल्के खाने का प्रयोग अधिक करना चाहिए।
कई बार लोग शाम के भोजन के बाद टहलते हैं ऐसा करने से बचना चाहिए क्योंकि हम सारे दिन कार्य करके मानसिक व शारीरिक रूप से थक जाते हैं ऐसे में और अधिक शरीर को थकाने से नींद अच्छी आ सकती है लेकिन शरीर के ऑर्गन में हल्कापन नहीं आता। वहीं इसके विपरीत सुबह के समय में जब हम सोकर उठते हैं तब शरीर व मन में प्राकृतिक रूप से हल्कापन रहता है ऐसे में जब हम खाली पेट में कोई व्यायाम करते हैं या टहलते हैं तो उससे शरीर में वास्तविक हल्कापन आता है जो स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक रहता है।
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