Home Blogs Disease and Treatment पीलिया के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपाय - Peeliya Ke Karan, Lakshan Aur Upchar

पीलिया के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपाय - Peeliya Ke Karan, Lakshan Aur Upchar

By Dr. Bhawana Bhatt | Disease and Treatment | Posted on :   29-Jan-2021

जॉन्डिस , सामान्य बोल चाल की भाषा में इसे पीलिया कहा जाता है। इस रोग में रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा सामान्य से ज्यादा बढ़ जाने पर त्वचा तथा आंख के सफ़ेद भाग का रंग पीला हो जाता है। यह बीमारी नवजात शिशु तथा वयस्क दोनों में ही देखने को मिलती है। नवजात शिशुओं में इसे निओनेटल जॉन्डिस के नाम से जाना जाता है। यह निओनेटल जॉन्डिस दो प्रकार का होता है - फिजियोलॉजिकल जॉन्डिस और पैथोलॉजिकल जॉन्डिस। 

आयुर्वेद में जॉन्डिस - Jaundice in Ayurveda in Hindi

आयुर्वेद में जॉन्डिस के लक्षण कामला रोग से मिलते जुलते है। आयुर्वेद के  कुछ लोगो ने कामला को स्वतंत्र रोग माना है तो कुछ ने पाण्डु रोग की प्रवर्धमानावस्था को कामला माना है तथा कुछ लोगो का मानना है की कामला रोग पाण्डु तथा अन्य किसी व्याधि के बाद होने वाला उपद्रव है। 

जॉन्डिस के लक्षण - Symptoms of Jaundice in Hindi

  • नेत्र , त्वचा , मुख एवं नाखून का वर्ण हल्दी के समान पीला हो जाना।
  • अपच होना अर्थात भोजन का ठीक प्रकार से न पचना।
  • मल तथा मूत्र का रक्त मिश्रित पीले रंग का हो जाना।
  • पूरे शरीर में कमजोरी होना।
  • अरुचि ( खाना खाने की अथवा किसी कार्य को करने की इच्छा न होना।
  • दाह
  • नासिका तथा मसूड़ो से रक्तस्राव होना।

जॉन्डिस के कारण - Causes of Jaundice in Hindi

  • अत्यधिक मात्रा में पित्त्तवर्धक आहार ( खट्टे , तीखे , मिर्च मसालों युक्त ) का सेवन करना। 
  • किन्ही कारणों के चलते या मलेरिआ , ब्लैक वाटर फीवर जैसे रोगो से ग्रसित होने के कारण अधिक मात्रा में रक्त कणों का नष्ट हो जाना। 
  • यकृत सम्बंधित बिमारियों जैसे अल्कोहलिक हेपेटाइटिस , अल्कोहलिक सिरोसिस से ग्रसित होना। 
  • पित्त ( बाइल जूस ) का वहन करने वाली नली का पित्ताश्मरी ( गॉल ब्लैडर स्टोन ) के कारण ब्लॉक हो जाना। 
  • लिवर पर बुरा प्रभाव डालने वाली दवाइयों जैसे पेनिसिलिन , बर्थ कण्ट्रोल पिल्स और स्टेरॉइड्स का अधिक मात्रा में प्रयोग करना।

जॉन्डिस डायग्नोसिस - Jaundice Diagnosis

  • सी बी सी (कम्पलीट ब्लड सेल काउंट ) 
  • एल अफ टी( लिवर फंक्शनल टेस्ट )

क्या करे?

  • पचने में आसान चीजों का सेवन करे। 
  • तक्र का सेवन करे। 
  • उबली हुए सब्जी का सेवन करे। 
  • दलिया , पोहा , उपमा , बेसन का चीला , हरी पत्तेदार सब्जी , मूली , नारियल पानी आदि चीजों को अपने आहार में शामिल करे।
  • खाने में कम मात्रा में सैन्धा नमक का प्रयोग करे। 

क्या न करे? 

  • अल्कोहल का सेवन न करे।
  • दूध या दूध से बने खाद्य पर्दाथ का सेवन न करे।
  • अधिक मात्रा में फिजिकल वर्क न करे।
  • कच्ची सब्जी का प्रयोग न करे।

जॉन्डिस के घरेलू उपाय - Home Remedies for Jaundice in Hindi

  • प्रातः काल आंवले या आंवले के जूस का सेवन करे।
  • करेले का जूस तिक्त रस होने से पित्त दोष का शमन करने से कामला में उपयोगी होता है अतः इसका सेवन करे।
  • ऐसे फलों का सेवन करे जो अग्नि ( डाइजेस्टिव पावर ) को बढ़ाये जैसे पपीता , अन्नानास आदि।
  • गन्ने के जूस का सेवन करे यह यकृत को बल देता है।
  • एक चम्मच भूने हुए जौ का चूर्ण और एक चम्मच शहद को आपस में मिलाकर गुनगुने पानी के साथ लेने से यह योग शरीर में संचित आम को कम करने में मदद करता है। 

प्रश्न उत्तर - FAQ's

प्रश्न- निओनेटल जॉन्डिस के क्या क्या कॉम्प्लीकेशन्स हो सकते है?
उत्तर-
निओनेटल जॉन्डिस को सामान्य समझ के अगर उपचार न किया जाये तो नवजात शिशु का ब्रेन डैमेज होने के साथ साथ वह सेरिब्रल पाल्सी , बहरापन से भी ग्रसित हो सकता है। 

प्रश्न- जॉन्डिस होने पर अल्कोहल और मांसाहार का सेवन करना चाहिए ?
उत्तर-
जॉन्डिस होने पर अल्कोहल और मांसाहार में साथ साथ ऐसे किसी भी खाद्य पदार्थ का प्रयोग नहीं करना चाहिए जो पचने में भारी हो या जिसके सेवन से यकृत पे बुरा प्रभाव पढ़े।

प्रश्न- क्या जॉन्डिस होने से किसी की मृत्यु भी हो सकती है?
उत्तर-
हाँ , जॉन्डिस होने पर यदि व्यक्ति समय रहते उचित उपचार न कराये तो मृत्यु भी हो सकती है।

प्रश्न- उपचार के पश्चात्  जॉन्डिस सही हो जाने पर पुनः जॉन्डिस हो सकता है ?
उत्तर-
उपचार के पश्चात् यदि जॉन्डिस करने वाले कारणों का त्याग नहीं किया जाये या उपचार करते समय सिर्फ लक्षणों की चिकित्सा कर, जॉन्डिस होने के मूल कारण की चिकित्सा न की गयी हो तो एक बार ठीक होने पर भी पुनः जॉन्डिस होने की सम्भावना रहती है। 

प्रश्न- जॉन्डिस सही हो जाने के पश्चात कितने समय तक पथ्य पालन करना होता है?
उत्तर-
जॉन्डिस सही हो जाने पर पथ्य पालन कितने समय तक करना होगा ये रोगी व्यक्ति के शारीरिक  बल और अग्नि बल पर निर्भर करता है। सामान्यतया रोग सही हो जाने पर दो से तीन महीने तक पथ्य पालन करते हुए धीरे धीरे सामान्य आहार लेना चाहिए। 

प्रश्न- जॉन्डिस के केस में आयुर्वेदिक उपचार कितना कारगर है ?
उत्तर-
जॉन्डिस हो या अन्य कोई व्याधि सभी में आयुर्वेदिक उपचार काफी कारगर है क्योकि आयुर्वेद रोग के लक्षण की चिकित्सा करने के साथ साथ रोग के मूल कारण की भी चिकित्सा करता है। जॉन्डिस को आयुर्वेद में कामला नाम से बोला गया है तथा जॉन्डिस होने पर मृदु विरेचन देने और पथ्य अपथ्य के द्वारा चिकित्सा करने का वर्णन मिलता है।

डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।