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ClinicsBy NS Desk | CoronaVirus News | Posted on : 27-Apr-2022
बेंगलुरु: भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के नये शोध से यह खुलासा हुआ है कि दमे की एक दवा कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को रोकने में कारगर साबित हुई है।
आईआईएससी ने सोमवार को जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा कि 'मोंटल्यूकास्ट' नाम की दमे की दवा पिछले 20 साल से बाजार में है और इसका इस्तेमाल दमा, हे फीवर और हाइव्स से ग्रसित मरीज करते हैं। यह अमेरिका के एफडीए से अनुमोदित दवा है।
आईआईएससी का यह शोध ईलाइफ में प्रकाशित हुआ है। शोध के दौरान पता चला कि यह दवा कोरोना वायरस के प्रोटीन एनएसपी1 के एक अंतिम सिरे यानी 'सी टर्मिनल' से मजबूती से जुड़ जाती है। यह उन पहले वायरल प्रोटीन में से एक है, जो मानव शरीर में प्रवेश करती है।
यह प्रोटीन राइबोजोम से जुड़ सकता है, जो हमारी रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं के भीतर होती है और वायरल प्रोटीन की सिंथेसिस को बंद कर सकता है। इसकी वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है। इसी वजह से एनएसपी1 को लक्षित करने से वायरस के कारण होने वाली क्षति को कम किया जा सकता है।
शोधकर्ताओं ने एफडीए से अनुमोदित 1,600 दवाओं की स्क्रीनिंग की थी ताकि एनएसपी1 से तेज जुड़ने वाली दवा का पता लगाया जा सके। उन्होंने इस तरीके से 12 दवाओं को शॉर्टलिस्ट किया, जिनमें से मोंटल्यूकास्ट और एचआईवी की दवा साक्वि नाविर भी शामिल है।
शोध में पाया गया कि यह दवा लंबे समय तक प्रोटीन से जुड़ी रहती है। एचआईवी की दवा भी जुड़ती अचछे से है लेकिन यह प्रभाव देर तक नहीं रह पाता है। (एजेंसी)
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