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ClinicsBy NS Desk | CoronaVirus News | Posted on : 09-Dec-2020
फाइजर की एमआरएनए प्रौद्योगिकी पर आधारित वैक्सीन की डबल डोज के साथ प्रभावकारिता 90 प्रतिशत से अधिक और एक डोज के साथ 67 प्रतिशत है। लेकिन इसके लिए माइनस 70 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत होती है और भारत की कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं में इतना कम तापमान नहीं होता है।
इस मुद्दे पर स्पष्ट करते हुए फाइजर के सीईओ अल्बर्ट बोरला ने इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्च र्स एंड एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, हम एक नए फॉर्मूलेशन पर काम कर रहे हैं, जिसे माइनस 70-डिग्री पर स्टोर करने की जरूर नहीं होगी और इसे सिंपल रेफ्रिजरेशन में रखा जा सकता है।
हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कंपनी अभी माइनस 70 डिग्री सेल्सियस पर उत्पाद वितरित करने की अपनी क्षमता को लेकर आश्वस्त है। इसके अलावा उन्होंने वैक्सीन स्टोरेज, तापमान की निगरानी और वैक्सीन के परिवहन के लिए एक विस्तृत लॉजिस्टिक प्लान तैयार किया है।
बहुराष्ट्रीय बायोफार्मास्युटिकल कंपनी ने यूके और बहरीन में मंजूरी मिलने के बाद 6 दिसंबर को भारत में अपने वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मांगी थी।
मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि 8 कोविड -19 वैक्सीन उम्मीदवार क्लिनिकल ट्रायल के अलग-अलग चरणों में हैं, जो जल्द ही ऑथराइजेशन के लिए तैयार हो सकते हैं। फाइजर के अलावा, भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने हाल ही में अपने वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की मांग की है।
--आईएएनएस
एसडीजे/एएनएम
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