Home Blogs CoronaVirus News प्रत्यारोपण रोगियों पर पहले परीक्षण से पता चला, कोविड बूस्टर टीका काफी प्रभावी

प्रत्यारोपण रोगियों पर पहले परीक्षण से पता चला, कोविड बूस्टर टीका काफी प्रभावी

By NS Desk | CoronaVirus News | Posted on :   12-Aug-2021

टोरंटो, 12 अगस्त (आईएएनएस)। यूनिवर्सिटी हेल्थ नेटवर्क (यूएचएन) के वैज्ञानिकों ने यहां ट्रांसप्लांट के मरीजों के लिए कोविड-19 बूस्टर वैक्सीन की तीसरी खुराक का दुनिया में पहला यादृच्छिक प्लेसबो-नियंत्रित परीक्षण किया है, जो काफी हद तक बेहतर सुरक्षा दर्शाता है।

जिन व्यक्तियों का अंग प्रत्यारोपण हुआ है, उन्हें कोविड-19 के लिए और गंभीर परिणाम के लिए जोखिम में माना जाता है, क्योंकि उनके प्रत्यारोपण को सफल और स्थायी बनाने के लिए उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को आवश्यक रूप से दबा दिया जाता है।

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि कोविड वैक्सीन की तीसरी खुराक उनमें सुरक्षा बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है।

टीम ने 25 मई से 3 जून के बीच 120 प्रत्यारोपण रोगियों को नामांकित किया। उनमें से किसी को भी पहले कोविड नहीं था और उन सभी को मॉडर्न वैक्सीन की दो खुराक मिली थी। आधे प्रतिभागियों को टीके का तीसरा शॉट (दूसरी खुराक के बाद 2 महीने के निशान पर) और दूसरे आधे को प्लेसबॉस मिला।

प्राथमिक परिणाम वायरस के स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ 100 यू/एमएल से अधिक एंटीबॉडी स्तर पर आधारित था। प्लेसीबो समूह में - तीन खुराक के बाद (जहां तीसरी खुराक प्लेसीबो थी), प्रतिक्रिया दर केवल 18 प्रतिशत थी, जबकि मॉडर्न तीन-खुराक समूह में प्रतिक्रिया दर 55 प्रतिशत थी।

अजमेरा ट्रांसप्लांट सेंटर, यूएचएन के चिकित्सा निदेशक डॉ. अतुल हमर ने कहा, यह हमारे रोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण जीत है, क्योंकि परिणाम काफी निर्णायक हैं।

उन्होंने कहा, तीसरी खुराक सुरक्षित और अच्छी तरह से सहन करने योग्य थी और इससे इस कमजोर आबादी को तीसरी खुराक देने की प्रथा में बदलाव आना चाहिए।

इसके अलावा, मॉडर्ना समूह के 60 प्रतिशत रोगियों ने प्लेसीबो समूह में 25 प्रतिशत की तुलना में निष्क्रिय एंटीबॉडी विकसित की।

रोगियों को वायरस के खिलाफ एक मजबूत टी-सेल प्रतिक्रिया विकसित करने की अनुमति देने के लिए तीन-खुराक मॉडर्ना समूह की क्षमता में भी काफी सुधार हुआ था।

शोधकर्ताओं ने कहा, इसके अलावा तीसरे बूस्टर वैक्सीन को केवल हल्के साइड इफेक्ट के साथ बहुत अच्छी तरह से सहन किया गया था और तीव्र अंग अस्वीकृति का कारण नहीं था। यह एक महत्वपूर्ण खोज है, क्योंकि ऐसी चिंताएं थीं कि बार-बार टीकाकरण प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ताओं में अंग अस्वीकृति की घटनाओं को बढ़ा सकता है।

--आईएएनएस

एसजीके/एएनएम

NS Desk

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