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ClinicsBy NS Desk | CoronaVirus News | Posted on : 05-Jan-2021
मरीज संजय बत्रा न्यूमोथोरैक्स से पीड़ित था। उसकी छाती की गुहा में हवा की मौजूदगी के कारण फेफड़ा ठीक से काम नहीं कर रहा था।
कोविड संक्रमण से उबरने के बाद उसका फेफड़ा फैल नहीं पा रहा था।
अस्पताल के अनुसार, मरीज इतना कमजोर था कि उसके सीने की खुली सर्जरी संभव नहीं थी।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट व प्रमुख सर्जन डॉ. शैवाल खंडेलवाल ने कहा, भारत में यह पहली बार है, जब कोविड-19 से संक्रमित मरीज के फंसे हुए फेफड़े की कीहोल सर्जरी की गई।
यह मरीज सितंबर में कोविड-19 से संक्रमित हुआ था और अगले महीने उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी।
डॉ. खंडेलवाल ने कहा कि संक्रमण से उबरने और घर लौटने के कुछ दिनों बाद मरीज को अचानक सांस लेने में तकलीफ होने लगी और उसे पास के अस्पताल ले जाया गया और दाहिने फेफड़े में न्यूमॉथोरैक्स का निदान किया गया। मरीज की छाती से एक ट्यूब की मदद से हवा निकाली गई।
डॉक्टर ने वीडियो-असिस्टेड थोरैकोस्कोपिक सर्जरी (वैट्स) (कीहोल चेस्ट सर्जरी) के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया, जो सफल रहा और अगले दिन ही रोगी का दाहिना फेफड़ा ठीक होने लगा और ऑक्सीजन के स्तर में सुधार होने लगा।
मरीज के दाहिने फेफड़े का विस्तार वैट सर्जरी के अंत तक होने लगा, जब मरीज ऑपरेशन टेबल पर था। अस्पताल ने कहा कि मरीज की सांस लेने की क्षमता में सुधार हुआ और छह दिन बाद उसे छुट्टी दे दी गई।
इस तरह की सर्जरी में मरीज की छाती की दीवार पर छोटे-छोटे कट बनाए जाते हैं और इंडोस्कोपिक कैमरों और विशेष उपकरणों की मदद ली जाती है। इस तकनीक से सर्जरी होने पर मरीज को दर्द भी कम होता है और तेजी से रिकवरी होती है।
--आईएएनएस
एसजीके/एएनएम
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