AYURVEDA
MedicineDOCTOR
e-ConsultAYURVEDA
ClinicsBy NS Desk | CoronaVirus News | Posted on : 09-Aug-2021
याचिकाकर्ता जैकब पुलियेल का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने जोरदार तर्क दिया कि चिकित्सा साहित्य में इस बात के प्रमाण हैं कि सुरक्षा या प्रभावकारिता के लिए पर्याप्त रूप से परीक्षण नहीं किए गए और टीकों को जनता के सामने डेटा का खुलासा किए बिना आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण के तहत लाइसेंस प्राप्त है।
भूषण ने इन कथित अपर्याप्त परीक्षण किए गए टीकों के उपयोग के लिए जबरदस्ती जनादेश पर जोर दिया, जो व्यक्तिगत स्वायत्तता का उल्लंघन करता है और यह लोगों की आजीविका को भी प्रभावित करता है, खासकर जब अधिकारियों ने टीकाकरण नहीं कराए जाने पर खास निर्देश दिए हैं, जिनमें सेवाओं से वंचित किए जाने की बात भी है।
न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने जनहित के खिलाफ व्यक्तिगत स्वायत्तता पर जोर देने बात स्वीकार नहीं की।
पीठ ने एक अमेरिकी अदालत के फैसले का हवाला दिया, जिसमें एक विश्वविद्यालय के पक्ष में फैसला सुनाया गया था, जिसने परिसर में प्रवेश के लिए टीकाकरण अनिवार्य कर दिया था। हालांकि इसने यह भी कहा कि इसे अमेरिका में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई है।
पीठ ने कहा कि यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि अदालत वैक्सीन की दक्षता पर सवाल उठा रही है। पीठ ने कहा, हम अभी कोई आदेश नहीं देंगे, क्योंकि वैक्सीन में हिचकिचाहट पहले से ही एक समस्या है।
पीठ ने बताया कि 50 करोड़ लोगों ने टीके ले लिए हैं। इसने आगे सवाल किया, क्या इस याचिका से उन लोगों के मन में कोई संदेह नहीं होगा, जिन्होंने पहले ही टीके ले लिए हैं?
भूषण ने जवाब दिया कि वह टीकाकरण अभियान के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन लोगों को डेटा देखने का अधिकार है और अगर डेटा सार्वजनिक नहीं किया जाता है, तो लोगों सूचित सहमति कैसे देंगे।
भूषण ने तर्क दिया कि यह इतिहास में पहली बार है कि एक सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम को परीक्षण पूरा किए बिना या नैदानिक डेटा को सार्वजनिक डोमेन में रखे बिना अनियंत्रित तरीके से किया गया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता भूषण ने कहा कि यह अब तक की सबसे महत्वपूर्ण जनहित याचिका है और उन्होंने कहा कि किसी को भी अपनी पसंद के खिलाफ टीका लगाने या कुछ सुविधाएं प्राप्त करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। पीठ इस बात की जांच करने के लिए सहमत हुई कि कैसे व्यक्तिगत स्वायत्तता को बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य के साथ संतुलित किया जा सकता है।
सुनवाई का समापन करते हुए पीठ ने भूषण से कहा, आपने मौलिक मुद्दा उठाया है, हम इस पर विचार करेंगे।
शीर्ष अदालत ने याचिका पर नोटिस जारी किया और टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह के पूर्व सदस्य पुलियेल द्वारा दायर याचिका पर केंद्र से चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा।
बता दें कि भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल (डीसीजीआई) द्वारा दिए गए आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण के तहत देश के नागरिकों को दिए जा रहे टीकों के क्लीनिकल परीक्षणों के अलग-अलग डेटा को सार्वजनिक करने के निर्देश देने के लिए याचिका दायर की गई है। अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में भारत में टीकों के लिए किए जा रहे परीक्षण के प्रत्येक चरण के लिए संपूर्ण पृथक परीक्षण डेटा जारी करने के निर्देश देने की मांग की गई है।
--आईएएनएस
एकेके/एएनएम
Are you an Ayurveda doctor? Download our App from Google PlayStore now!
Download NirogStreet App for Ayurveda Doctors. Discuss cases with other doctors, share insights and experiences, read research papers and case studies. Get Free Consultation 9625991603 | 9625991607 | 8595299366