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ईसीएमओ सपोर्ट पर रहने के 41 दिनों के बाद कोविड रोगी ठीक

By NS Desk | CoronaVirus News | Posted on :   10-Aug-2021

हैदराबाद, 10 अगस्त (आईएएनएस)। यहां के मेडिकवर अस्पताल में एक्सट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन (ईसीएमओ) की मदद से 41 दिनों तक गंभीर कोविड निमोनिया से ग्रसित 36 वर्षीय महिला मरीज ठीक हो गई।

सांस की गंभीर समस्या से पीड़ित महिला को 11 मई को अस्पताल लाया गया था। शुरू में डॉक्टरों ने हाई फ्लो ऑक्सीजन सपोर्ट के साथ प्रबंधन करने की कोशिश की, लेकिन वह इसे बर्दाश्त नहीं कर सकी और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया।

डॉक्टरों ने कहा कि एक स्थिति में वेंटिलेटर पर होने के बावजूद उनके ऑक्सीजन के स्तर में बहुत सुधार नहीं हुआ और डॉक्टरों के पास ईसीएमओ सहायता शुरू करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। धीमी गति से ठीक होने के साथ, वह 90 दिनों में से 41 दिनों तक ईसीएमओ सपोर्ट पर रही, इस दौरान उनकी स्थिति में बहुत उतार-चढ़ाव आया और कुछ मौकों पर डॉक्टरों को लगा कि वह जीवित नहीं रहेगी।

डॉक्टरों ने उन्हें हालत से लड़ने में मदद करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया। उन्हें ईसीएमओ से हटाने के कई प्रयास किए गए और यह असफल रहा। समय के साथ, डायलिसिस सहायता की आवश्यकता के कारण उसकी किडनी भी प्रभावित हुई।

लेकिन धीरे-धीरे, ईसीएमओ सपोर्ट कम हो गया और अंत में, 41 दिनों के बाद उन्हें ईसीएमओ समर्थन से हटा दिया गया और पूर्ण वेंटिलेटर समर्थन पर रखा गया। इसके बाद, ट्रेकियोस्टोमी के माध्यम से, उन्हें उच्च प्रवाह ऑक्सीजन से जोड़ा गया और वेंटिलेटर से हटा दिया गया। इस बीच, उनकी किडनी भी ठीक होने लगी और उन्हें डायलिसिस से हटा दिया गया।

क्रिटिकल केयर के निदेशक, डॉ. गांश्याम एम. जगतकर ने कहा, जिस स्थिति में रोगी पहुंचे और ईसीएमओ सपोर्ट की लंबी अवधि को ध्यान में रखते हुए, रोगी को एक पूर्ण चक्र में ठीक होना वास्तव में आश्चर्यजनक है। लंबे ईसीएमओ समर्थन पर रोगी इतनी आसानी से बाहर नहीं आते हैं। गहन चिकित्सकों की बहुआयामी टीम, सीटी -सर्जन, आईसीयू नर्स, फिजियोथेरेपिस्ट, और क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट ने उन्हें वापस सामान्य स्थिति में लाने के लिए हर संभव प्रयास सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

उन्हें मांसपेशियों की गंभीर कमजोरी हो गई थी, जिससे उनके लिए खड़ा होना या बैठना बहुत मुश्किल हो गया था। प्रारंभिक काल से ही गहन फिजियोथेरेपी शुरू कर दी गई थी, जिससे उन्हें कुछ हद तक अपनी ताकत वापस पाने में मदद मिली। ट्रेकियोस्टोमी ट्यूब को भी हटा दिया गया था और वह अपने आप बोलने और खाने में सक्षम थी।

--आईएएनएस

एचके/एएनएम

NS Desk

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