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ClinicsBy NS Desk | CoronaVirus News | Posted on : 10-Aug-2021
आईआईटी दिल्ली के मुताबिक यह एक गैर-आक्रामक, गैर-आयनीकरण, कम लागत वाला, तेज व प्रभावी उपकरण है। यह रोगी की देखभाल और अनुवर्ती परीक्षणों में अत्यधिक उपयोगी है।
यह सिस्टम रोबोटिक आर्म, रिमोट अल्ट्रासाउंड एक्सेस को संभव बनाता है। नियमित अल्ट्रासाउंड में सभी सेटिंग, डॉक्टर्स (रेडियोलॉजिस्ट) स्कैन के लिए रोगी के निकट संपर्क में रहते हैं। यह तकनीक अधिक महंगी और कम गतिशील है।
आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर चेतन अरोड़ा और प्रोफेसर सुबीर कुमार साहा ने कहा, जून 2020 में,जब पूरे देश में तालाबंदी की गई थी। इस दौरान मामलों और मौतों की संख्या तेजी से बढ़ रही थी। तब एम्स नई दिल्ली ने यह आवश्यकता जताई। उस समय मौजूदा स्थिति ने नियमित स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित किया, विशेष रूप से उन्हें जो प्रत्यक्ष रुप से रोगियों के उपचार में शारीरिक रूप से शामिल थे, जैसे अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग के जरिए रोगियों के साथ संपर्क में आने वाले स्वास्थ्य कर्मी।
प्रोफेसर चेतन अरोड़ा ने कहा कि हम रोबोटिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा में योगदान देना चाहते थे।
एम्स, नई दिल्ली के डॉ. चंद्रशेखर कहा, यह प्रणाली स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा देगी और हमारी प्रणाली को भविष्य में महामारियों के लिए और अधिक तैयार करेगी। महामारी के अलावा, भारत के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में अल्ट्रासाउंड इमेजिंग की बेहतर पहुंच भी इससे संभव हो सकेगी। रेडियोलॉजिस्ट दूरस्थ स्थान से अल्ट्रासाउंड जांच करता है और फिर उन्हें वाई के माध्यम से डॉक्टर के मॉनिटर तक पहुंचाता है। लेकिन अब डॉक्टर एक दूरस्थ स्थान पर बैठकर भी, सभी छवियों को सीधे देख सकता है और मूल्यांकन कर सकता है।
--आईएएनएस
जीसीबी/एएनएम
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