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ClinicsBy NS Desk | CoronaVirus News | Posted on : 18-Dec-2020
राजभवन के दरबार हॉल में हरिचंदन ने कहा, टीबी लगातार एक जानलेवा बीमारी बनी हुई है और इसका प्रसार विकसित दुनिया में भी चिंता का कारण है।
उन्होंने याद दिलाया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने टीबी को वैश्विक आपातकाल घोषित किया है और भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जहां सभी मामलों का एक चौथाई हिस्सा शामिल है।
राज्यपाल ने कहा कि 2019 में भारत में लगभग 27 लाख टीबी के मामले दर्ज हुए, जबकि आंध्र प्रदेश में लगभग एक लाख मामले सामने आए। हालांकि राहत की बात यह रही कि 91 प्रतिशत रोगियों का सफल इलाज हो सका। इसमें राष्ट्रीय टीबी नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) के कार्यान्वयन के साथ सभी जिलों में बेहतर उपचार और निगरानी से यह संभव हो सका।
उन्होंने टीबी उन्मूलन में केंद्र सरकार की भूमिका की सराहना भी की। राज्यपाल ने कहा कि केंद्र की ओर से सक्रिय मामले की खोज और इसके निदान के लिए ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र टीबी रणनीति को लागू कर रहा है।
राज्यपाल ने सरकार द्वारा कार्यान्वित किए दैनिक उपचार से लेकर आहार तक की चीजों को भी रेखांकित किया।
हालांकि उन्होंने टीबी एसोसिएशन, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, रेड क्रॉस, लेप्रा इंडिया, टीबी अलर्ट, वल्र्ड विजन, एएमजी इंडिया इंटरनेशनल और आरोग्यवरम मेडिकल सेंटर जैसे स्वयंसेवी संगठनों की सक्रिय भागीदारी के साथ जमीनी स्तर पर कार्यक्रम गतिविधियों को बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
इस बीच, राज्यपाल ने जनता से टीबी सील सेल अभियान में उदारतापूर्ण योगदान और 2025 तक इस बीमारी को मिटाने के लिए भागीदारी की भी अपील की।
--आईएएनएस
एकेके/एएनएम
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