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लिव 52 के फायदे और नुकसान - Liv 52 Benefits In Hindi

By NS Desk | Ayurvedic Medicines | Posted on :   06-Apr-2021

लीवर के लिए आयुर्वेदिक औषधि लिव 52 किसी रामवाण से कम नहीं। फैटी लीवर समेत लीवर की सभी समस्याओं में ये उपयोगी सिद्ध होता है। यही वजह है कि लीवर को स्वस्थ्य रखने वाली औषधियों में लिव 52 का अपना विशिष्ट स्थान है।

लीवर से संबंधित समस्याओं के लिए बाज़ार में ढेरों दवाइयां मौजूद है, लेकिन लीवर की इन दवाइयों के बीच लिव 52 का विशिष्ट स्थान है। यह भारत की सबसे अधिक बेची जाने वाली दवाओं में से एक है। ख़ास बात है कि यह एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका निर्माण भारत की जानी-मानी आयुर्वेदिक कंपनी 'हिमालय' के द्वारा किया जाता है। लिव 52 पर 300 से अधिक शोध लेख अबतक प्रकाशित हो चुके हैं। बाजार में यह सिरप और टेबलेट दोनों रूपों में मौजूद है। गौरतलब है कि लिव.52 के प्रत्येक हर्बल घटक का विश्लेषण फार्माकोपोइया द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार किया गया है।

लिव 52 के फायदे - Liv 52 Benefits In Hindi

लीवर को ठीक करने में सहायक - लीवर के लिए आयुर्वेदिक औषधि लिव 52 किसी रामवाण से कम नहीं। फैटी लीवर समेत लीवर की सभी समस्याओं में ये उपयोगी सिद्ध होता है। यही वजह है कि लीवर को स्वस्थ्य रखने वाली औषधियों में लिव 52 का अपना विशिष्ट स्थान है।

पाचन क्रिया और भूख में सुधार - लिव 52 पाचन क्रिया में सुधार कर भूख को बढाने में मदद करता है। कब्ज को कम करने में भी यह सहायक सिद्ध होता है। लब्बोलुआब है कि यह लीवर को ठीक कर सही तरह से काम करने में मदद करता है जिसके परिणामस्वरुप पाचनक्रिया में सुधार होती है और साथ ही अच्छी भूख भी लगती है।

पीलिया, हेपेटाइटिस और एनीमिया में फायदेमंद - लिव 52 में पीलिया को ठीक करने की क्षमता निहित है। यह पीलिया को कम करता है। हेपेटाइटिस की बीमारी में भी इसका उपयोग है। आयुर्वेद के चिकित्सक इन बीमारियों से पीड़ित मरीजों को इस औषधि के सेवन की सलाह देते हैं। इसके अलावा यदि आपके शरीर में खून की कमी है तो उसमें भी यह फायदेमंद साबित होता है। एनीमिया के रोगियों को भी यह औषधि दी जाती है।

लीवर का शुद्धिकरण - शराब पीने, जंक फ़ूड आदि खाने की वजह से शरीर में कई तरह के विषाक्त तत्व जमा हो जाते हैं जो लीवर को नुकसान पहुंचाते हैं। लीव 52 शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर लीवर को ख़राब होने से बचाती है। यह डिटॉक्स कर लीवर का शुद्धिकरण करती है।

हेपेटोप्रोटेक्टिव एक्शन: Liv.52 में प्राकृतिक सामग्री रासायनिक रूप से प्रेरित हेपेटोटॉक्सिसिटी के खिलाफ शक्तिशाली हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण प्रदर्शित करती है। यह हेपेटिक पैरानचिमा की रक्षा करके और हेपेटोसेलुलर उत्पादन को बढ़ावा देकर लिवर की कार्यात्मक दक्षता को पुनर्स्थापित करता है। Liv.52 की एंटीपेरोक्सिडेटिव गतिविधि कोशिका झिल्ली की कार्यात्मक अखंडता को होने वाले नुकसान को रोकती है, साइटोक्रोम P-450 (एंजाइमों का एक बड़ा और व्यापक समूह, जो कार्बनिक पदार्थों के ऑक्सीकरण को उत्प्रेरक करता है), रिकवरी अवधि को तेज करता है और संक्रमित हेपेटाइटिस में हेपेटिक कार्यों की शीघ्र बहाली सुनिश्चित करता है। यह एसीटलडिहाइड (इथेनॉल के ऑक्सीकरण द्वारा उत्पादित है जो लोकप्रिय रूप से हैंगओवर का कारण माना जाता है) का तेजी से उन्मूलन करता है और अल्कोहल प्रेरित हेपेटिक क्षति से सुरक्षा सुनिश्चित करता है। Liv.52 पुराने अल्कोहलिज्म में लिपोट्रोपिक (यौगिकों जो वसा के टूटने को प्रेरित करने में मदद करते हैं) को भी कम करते हैं और लिवर की फैटी समावेश को रोकते हैं। प्री-सिरोटिक की स्थिति में, Liv.52 सिरोसिस की प्रगति को रोकता है और आगे लिवर की क्षति को रोकता है।

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लिव 52 के अन्य फायदे - Other Benefits of Liv 52 in Hindi

  • वायरल हेपेटाइटिस, अल्कोहलिक लिवर रोग, प्री-सिरोटिक की स्थिति और प्रारंभिक सिरोसिस, एनोरेक्सिया, विकिरण चिकित्सा के कारण होने वाली भूख की कमी और लिवर के नुकसान की रोकथाम और उपचार में उपयोगी।
  • प्रोटीन-एनर्जी कुपोषण से जुड़े फैटी लिवर सहित लिवर के विकार में उपयोगी।
  • लंबी बीमारी और स्वास्थ्यलाभ के दौरान एक सहायक के रूप में उपयोगी।
  • एंटी-ट्यूबकुलर दवाओं, स्टेटिन, कीमोथेरेपी एजेंटों और एंटीरेट्रोवायरल जैसी हेपेटोटॉक्सिक दवाओं के लिए एक सहायक के रूप में उपयोगी।

लिव 52 का दुष्प्रभाव - Liv 52 Side Effects In Hindi 

लिव 52 (Liv 52) को यदि सही मात्रा में लिया जाए तो इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। हालांकि इस औषधि के सेवन के लिए चिकित्सक की पर्ची की कोई आवश्यकता नहीं होती, लेकिन आयुर्वेद चिकित्सक द्वारा निर्धारित खुराक लेना ही श्रेयस्कर होगा।

लिव 52 में शामिल जड़ी-बूटियाँ / घटक - द्रव्य - Herbs / components Used in the Liv 52

लिव 52 के मुख्य घटक कासनी (चिकोरी) और कैपर बुश (हिमसरा) है। दोनों के गुण इस प्रकार हैं -  

कासनी (चिकोरी): शराब विषाक्तता के खिलाफ यकृत की रक्षा करता है। यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट भी है, जिसे इसकी फ्री रैडिकल सफाई गुण के रूप मेंं देखा जा सकता है और इसमें हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण मौजूद रहता है।

कैपर बुश (हिमसरा):  एक शक्तिशाली हेपेटोप्रोटेक्टिव है। यह प्लाज्मा और हेपेटिक कोशिकाओं में मैलोनडिएल्डिहाइड (ऑक्सीडेटिव तनाव के लिए बायोमार्कर) के स्तर की वृद्धि को रोकता है। कैपर बुश भी ALT और AST एंजाइम के स्तर को रोकता है और लिवर की कार्यात्मक दक्षता में सुधार करता है। साथ ही, कैपर बुश में मौजूद फ्लेवोनॉइड महत्वपूर्ण एंटीऑक्सीडेंट गुणों का प्रदर्शन करते हैं।

कासनी (चिकोरी) और कैपर बुश (हिमसरा) के अलावा लिव 52 में मकोय,अर्जुन,कासमर्द,बरंजासिफ,झावुका भी होते हैं जिनकी मात्रा का विवरण नीचे दिया गया है - 

  • लिव 52 सिरप में शामिल घटक (प्रत्येक 5 मिलीलीटर) - 
  • हिमस्रा Himsra (Capparis spinosa) 34mg
  • कासनी Kasani (Cichorium intybus) 34mg
  • मकोय Kakamachi (Solanum nigrum) 16mg
  • अर्जुन Arjuna (Terminalia arjuna) 16mg
  • कासमर्द Kasamarda (Cassia occidentalis) 8mg
  • बरंजासिफ Biranjasipha (Achillea millefolium) 8mg
  • झावुका Jhavuka (Tamarix gallica) 8m


लिव 52 सिरप की खुराक - Liv 52 Syrup Dose in Hindi

बच्चों के लिए - 1 चम्मच(5ML)

वयस्क के लिए - 2 चम्मच(10ML)

(***किसी भी प्रकार की दवाइयों का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें।***)

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लिव 52 से संबंधित प्रश्न - Liv 52 FAQs in Hindi

► लिव 52 सिरप और टेबलेट कौन सी कंपनी बनाती है? 
लिव 52 का निर्माण भारत की प्रसिद्ध आयुर्वेदिक कंपनी 'हिमालय' के द्वारा की जाती है. 

► लिव 52 किस बीमारी के इलाज में काम आता है? 
लीवर सम्बन्धी रोगों के इलाज में लिव 52 का सेवन किया जाता है. फैटी लीवर के इलाज में तो यह किसी रामवाण से कम नहीं. 

► लिव 52 सिरप या टेबलेट किस रूप मे उपलब्ध है?
लिव 52 दोनों रूप में उपलब्ध है. दवाई की दुकानों पर जाकर लिव 52 सिरप या लिव 52 टेबलेट आसानी से खरीदी जा सकती है. 

► लिव 52 का क्या कोई साइड इफेक्ट भी है? 
उचित मात्रा में लिव 52 के सेवन से किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता. 

► क्या लिव 52 का सेवन गर्भवती महिला के लिए सुरक्षित है?
लिव 52 का सेवन गर्भवती महिला के लिए सुरक्षित है या नहीं, इसपर अबतक कोई शोध कार्य नहीं हुआ है. इसलिए सेवन के पहले आयुर्वेद चिकित्सक से सलाह लेना अनिवार्य है.

► क्या लिव 52 का सेवन दूध पिलाने वाली (स्तनपान) माताओं के लिए ठीक है?
लिव 52 का सेवन स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए सुरक्षित है या नहीं, इसपर अबतक कोई शोध कार्य नहीं हुआ है. इसलिए सेवन के पहले आयुर्वेद चिकित्सक से सलाह लेना अनिवार्य है.

► लिव 52 का पेट के लिए कितना सुरक्षित है?
लिव 52 पेट के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है. आप बेफिक्र होकर इसे ले सकते हैं. 

► क्या लिव 52 बच्चों के लिए सुरक्षित है?
लिव 52 बच्चों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है. निर्धारित खुराक उन्हें बेहिचक होकर दे सकते हैं. 

► क्या लिव 52 के सेवन के बाद ड्राइविंग करना सुरक्षित है? 
लिव 52 के सेवन के बाद आप अपने नियमित कार्यों को आराम से कर सकते हैं. कार या दूसरे किसी भी वाहन को भी आप चला सकते हैं. 

►हिमालय लिव 52 और हिमालय लिव 52 डीएस के बीच क्या अंतर है? 
वैसे देखा जाए तो दोनों के बीच कोई अंतर नहीं है. हिमालय लिव 52 और हिमालय लिव 52 डीएस दोनों ही लीवर से संबंधित बीमारियों के उपचार में मदद करता है और पाचनतंत्र की शक्ति बढाता है.  यदि अंतर की बात जाए तो अंतर सिर्फ इतना है कि दोनों टैबलेट के रंगों के साथ-साथ उनके पावर में भी अंतर होता है. हिमालय लिव 52 की तुलना में हिमालय लिव 52 डीएस एक डबल स्ट्रेंथ फॉर्म्युलेशन है. बाकी दोनों के गुण और उसमें प्रयुक्त तत्व समान ही हैं. 

►हिमालय लिव 52 और हिमालय लिव 52 डीएस के बीच किसका सेवन करना ज्यादा बेहतर होगा? 
लिव 52 और लिव 52 डीएस दोनों का ही निर्माण हिमालय के द्वारा किया जाता है और दोनों ही समान रूप से लीवर संबंधी बीमारियों में प्रभावी सिद्ध होते हैं. इसलिए इस संबंध में आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श कर उनके द्वारा बताई गयी दवा निर्धारित खुराक में लेनी चाहिए.

►क्या लिव 52 का दीर्घकालिक (long-term) उपयोग सुरक्षित है?
लिव 52 का सेवन लंबे समय तक किया जा सकता है। यह सुरक्षित है। वैसे अल्पकालिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए इसका प्रयोग कम से कम 3 महीने तक नियमित रूप से करना चाहिए। 

►लिव 52 के ओवरडोज (overdose) के क्या दुष्प्रभाव हैं?
अगर लिव 52 की हैवी डोज कम समय के लिए ली जाए तो कोई साइड इफेक्ट नहीं होना चाहिए।वैसे सच्चाई ये है कि लिव 52 की भारी खुराक के दीर्घकालिक दुष्प्रभाव ज्ञात नहीं हैं। इसलिए ध्यान रखना चाहिए और लिव 52 को आयुर्वेद चिकित्सक द्वारा अनुशंसित मात्रा में ही लेना चाहिए। 

►क्या लिव 52 स्टेरॉयड के दुष्प्रभाव (side effects of steroids) को कम करने में मदद करता है?
यदि आप किसी भी प्रकार का स्टेरॉयड ले रहे हैं और यह आपके लीवर के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है तो आप लिव 52 शुरू कर सकते हैं। लेकिन आयुर्वेद चिकित्सक की सलाहनुसार इसे लेना उत्तम होगा। 

►मैं कब तक लिव 52 ले सकता हूं?
लिव 52 के उपयोग की अवधि रोग के अंतर्निहित कारण पर निर्भर करती है। आम तौर पर इसे कम से कम 3 महीने तक इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। इसका उपयोग दीर्घकालिक आधार पर भी किया जा सकता है और कुछ बीमारियों जैसे हेपेटाइटिस बी और सी और यकृत कैंसर में इसका उपयोग जीवन भर किया जा सकता है।

►क्या यह लीवर फंक्शन टेस्ट (liver function test) के परिणामों में सुधार करता है?
हाँ। लिव 52 बढ़े हुए लिवर एंजाइम को कम करने में मदद करता है। हालांकि यह बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। 

►भूख लगने के लिए लिव 52 सप्लीमेंट का उपयोग किया लेकिन इसमें सुधार नहीं हुआ है। क्यों?
भूख में धीरे-धीरे सुधार होगा। ज्यादातर मामलों में, यह 2 से 4 सप्ताह के भीतर परिणाम दिखाता है। यदि आपको अभी भी परिणाम नहीं मिल रहा है तो आपको आयुर्वेद चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। 

►क्या लीवर 52 लीवर सिरोसिस (cirrhosis) के इलाज में मदद कर सकता है?
Liv.52 लीवर सिरोसिस में मदद करेगा क्योंकि इसमें महत्वपूर्ण हेपेटोप्रोटेक्टिव क्रिया (hepatoprotective action) है। शोध अध्ययनों के अनुसार लिव.52  से दीर्घकालिक समय में बेहतर परिणाम दिखायी देते हैं। 

►क्या मैं वजन बढ़ाने के लिए (increasing weight) अश्वगंधा (Ashwagandha) के साथ लिव 52 ले सकता हूं?
हाँ। अश्वगंधा चूर्ण, अश्वगंधारिष्ट और अन्य अश्वगंधा योगों के साथ लिव 52 फॉर्मूलेशन का उपयोग किया जा सकता है। वजन बढ़ाने के लिए Liv.52 को अश्वगंधा के साथ लेने से कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

►क्या स्वस्थ लोग लिव 52 का उपयोग सिर्फ स्वस्थ पाचन के लिए (healthy digestion) कर सकते हैं?
हाँ। पाचन और लीवर के कार्यों में सुधार के लिए कोई भी लिव 52 ले सकता है। लेकिन अच्छे परिणाम के लिए कम से कम 4 सप्ताह सेवन किया जाना चाहिए। हालांकि अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेकर दवा का सेवन करना उत्तम होगा। 

►क्या मैं लिव 52 को एलोपैथिक (allopathic) दवाओं के साथ ले सकता हूं?
हाँ। लिव 52 को लेने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। लेकिन एहतियात के तौर पर लिव 52 और एलोपैथिक दवाओं के बीच 3 घंटे का अंतर रखना चाहिए।

►क्या हेपेटाइटिस सी (Hepatitis C) के मरीज लंबे समय तक लिव 52 डीएस ले सकते हैं?
लिव 52 डीएस को लंबे समय तक बिना किसी समस्या के इस्तेमाल किया जा सकता है। लिव 52 एचबी हेपेटाइटिस बी और सी में उपयोगी सिद्ध होता है। 

►क्या पित्ताशय की पथरी (gall bladder) के मामले में लिव 52 मदद करेगा?
लिव 52 पित्ताशय की पथरी में मदद करने की संभावना नहीं है।

►क्या लिव 52 गैस (gas) और सूजन (bloating) को कम करता है?
लिव 52 गैस और सूजन को कम करने में मदद करता है। लिव 52 में मौजूद तत्व गैस्ट्रिक जूस के स्राव में सुधार करते हैं और लीवर के कार्यों में सुधार करते हैं जो अंततः प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट के पाचन में सुधार करते हैं। इस प्रकार, लिव 52 खराब पाचन क्रिया के कारण होने वाले लक्षणों को कम करता है। 

►क्या लिव 52 हीमोग्लोबिन (एचबी) में सुधार करता है?
लिव 52 का हीमोग्लोबिन स्तर पर कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ता है।

►क्या वजन बढ़ाने के लिए लिव 52 ले सकते हैं?
लिव 52 चयापचय को सही करने और भूख में सुधार करने में मदद कर सकता है, जो वजन बढ़ाने के लिए फायदेमंद हो सकता है। 

►लिव 52 हेपेटाइटिस बी के लिए कितना प्रभावी है?
हेपेटाइटिस बी में लिव 52 एचबी एक बेहतर विकल्प है।

►क्या भूमि आंवला (Bhumi Amla) और पुनर्नवादि काढ़ा (Punarnava Kadha) को लिव 52 टैबलेट के साथ लिया जा सकता है?
हाँ, LIV 52 को भूमि आंवला और पुनर्नवा क्वाथ या पुनर्नवादि काढ़ा के साथ लिया जा सकता है।

►क्या मैं भोजन के बाद लिव.52 सिरप और अश्वगंधारिष्ट दोनों ले सकता हूँ?
अगर आयुर्वेदिक चिकित्सक ने अनुशंसित किया है तो लिव.52 सिरप और अश्वगंधारिष्ट कोभोजन के बाद एक साथ लिया जा सकता है। 

►क्या हिमालय लिव 52 वजन बढ़ाता है?
लिव 52 भूख, पाचन, चयापचय और यकृत के कार्यों में सुधार करता है। यह सीधे वजन को प्रभावित नहीं कर सकता है। बढ़ी हुई भूख आपके कैलोरी सेवन को बढ़ा सकती है। इसलिए, भूख में सुधार और खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन शरीर के वजन में वृद्धि के लिए जिम्मेदार हो सकता है।

►लिव 52 का परिणाम दिखने में कितना समय लगता है? 
परिणाम एक सप्ताह के भीतर शुरू हो जाना चाहिए। 

►क्या मधुमेह का रोगी लिव 52 का उपयोग कर सकता है?
मधुमेह रोगी लिव 52 या लीवर 52 डीएस टैबलेट का उपयोग कर सकते हैं। चीनी की मात्रा के कारण सिरप से बचना चाहिए।

►क्या किडनी के मरीज ( kidney patients) लीवर 52 ले सकते हैं?
हाँ। यह गुर्दे (किडनी) के कार्यों को प्रभावित नहीं करती। यह गुर्दे के लिए कई आधुनिक दवाओं की तुलना में काफी सुरक्षित है जो आजकल आमतौर पर उपयोग की जाती हैं।

►क्या मैं लिव 52 को दूध के साथ ले सकता हूँ?
इसे दूध के साथ नहीं लेना चाहिए। यह गर्म पानी के साथ बेहतर काम करता है।

►क्या हृदय रोगी लिव 52 ले सकते हैं?
हाँ। लिव 52 दिल के मरीज ले सकते हैं। एहतियात के तौर पर एलोपैथिक दवाओं और लिव 52 के बीच कम से कम 3 घंटे का अंतर होना चाहिए।

►क्या मैं हिमालया लिव 52 टैबलेट का इस्तेमाल मोटापा घटाने के लिए कर सकता हूं?
लिव 52 मुख्य रूप से लीवर डिटॉक्सीफिकेशन को पूरा करता है और वसा खोने में आपकी मदद करने में कोई भूमिका नहीं निभाता है। ये टैबलेट आपके लीवर की सेहत के लिए हैं न कि वजन घटाने के लिए।

►क्या मैं पानी के साथ लिव 52 टैबलेट ले सकता हूं?
हाँ, आप लिव 52 टैबलेट को पानी के साथ ले सकते हैं।

►क्या मैं भोजन से पहले लिव 52 टैबलेट ले सकता हूं?
अपनी भूख बढ़ाने में मदद करने के लिए भोजन से 30 मिनट पहले लिव 52 टैबलेट लेने की सलाह दी जाती है। हालांकि, अगर आपको अच्छी भूख है और आप खराब पाचन से पीड़ित हैं तो आपको भोजन के बाद गोली लेनी चाहिए।

►क्या मधुमेह रोगी लिव 52 टैबलेट ले सकते हैं?
हाँ। डायबिटिक रोगी लिव 52 टैबलेट का सेवन कर सकते हैं। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। हालांकि, उन्हें लिव 52 सिरप का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें कुछ चीनी की मात्रा होती है।

►क्या लिव 52 टैबलेट लेना ठीक है?
हां, अगर आपको खाना पचाने में परेशानी होती है या भूख कम लगती है तो लिव 52 टैबलेट लेना बिल्कुल ठीक है। यह लीवर को डिटॉक्सीफाई करता है और इसके कामकाज को बढ़ाता है, जिससे आपका पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है।

संदर्भ - Reference 

1- हिमालय ड्रग कंपनी ( https://himalayawellness.in/products/liv-52?lang=hi ) 

अंग्रेजी में भी पढ़े ► Benefits And Side Effects of Himalaya Liv.52 Syrup

किसी भी प्रकार की दवाई लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है। आयुर्वेद के अनुभवी डॉक्टर से निशुल्क: परामर्श लें @ +91-9205773222

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डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।