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ClinicsBy NS Desk | Ayurvedic Medicines | Posted on : 29-Oct-2021
धूतपापेश्वर महायोगराज गुग्गुल एक शक्तिशाली कायाकल्प है जो तीनों दोषों (वात, पित्त, कफ) को शांत करता है। यह ऑस्टियोआर्थराइटिस, गाउट, सायटिका, पीठ दर्द, जकड़न (स्टीफनेस) , दर्द आदि के निदान में उपयोगी साबित होता है।
धूतपापेश्वर महायोगराज गुग्गुल वातज विकारों के उपचार की एक प्रभावी आयुर्वेदिक दवा है जिसका वर्णन आयुर्वेद के ग्रंथों में आचार्यों द्वारा की गई है। जड़ी-बूटियों और खनिज के सम्मिश्रण से बनी यह दवा गोली के रूप में मौजूद हैं। यह एक शक्तिशाली कायाकल्प है जो तीनों दोषों (वात, पित्त, कफ) को शांत करता है। अपनी इन्हीं विशेषताओं के वजह से यह ऑस्टियोआर्थराइटिस, गाउट, सायटिका, पीठ दर्द, जकड़न (स्टीफनेस) और दर्द यथा सूजन, मिर्गी, पाचन विकार, श्वसन संबंधी विकार, ब्रोंकाइटिस, मासिक धर्म संबंधी विकार, डिसमेनोरिया या मेंस्ट्रुअल क्रैम्प्स, वीर्य विकार और मधुमेह जैसी अन्य रोगों के उपचार में उपयोगी सिद्ध होता है। इसके अलावा नेत्र संबंधी समस्याएं, एनेमिया, पाइल्स, फिस्टुला और इंफर्टिलिटी जैसे रोगों के निदान में भी सहायक सिद्ध होता है।
महायोगराज गुग्गुल उस स्थिति में भी आशाजनक परिणाम देता है जिसमें वात पाचन में सुधार करके एएमए (AMA - जो अपच और कुअवशोषण के कारण शरीर द्वारा निर्मित विष है) की प्रबलता से जुड़ा होता है। इसी गुण के कारण इसका उपयोग रूमेटाइड अर्थराइटिस (संधिशोथ) में किया जाता है। आयुर्वेद में औषधियों के नाम उनके विशिष्ट गुणों या विशेषताओं के अनुसार रखे गए हैं। महायोगराज में गुग्गुल महा का उपयोग किया जाता है क्योंकि इसमें भस्म होते हैं और अन्य हर्बल संरचना योगराज गुग्गुल के समान होती है।
नागरं पिप्पलीमूलं पिप्पली चव्यचित्रको । भृष्टं हिङ्ग्वजमोदा च सर्षपा जीरकद्वयम् ||
रेणुकेन्द्रयवाः पाठा विडङ्ग गजपिप्पली । कटुकातिविषा भाङ्गी वचा मूर्वेति भागतः ।।
प्रत्येकं शाणिकानि स्युर्द्रव्याणीमानि विंशतिः । द्रव्येभ्यः सकलेभ्यश्च त्रिफला द्विगुणा भवेत् ।।
एभिश्चूर्णीकृतैः सर्वैः समो देयश्च गुग्गुलुः । वङ्गं रौप्यं च नागं च लोहसारस्तथा भ्रकम् ||
मण्डूरं रससिन्दूरं प्रत्येकं पलसम्मितम् । गुडपाकसमं कृत्वा इमं दद्याद्यथोचितम् ॥
एकपिण्डं ततः कृत्वा धारयेद्घृतभाजने । गुटिका: शाणमात्रास्तु कृत्वा ग्राह्या यथोचिताः ||
गुग्गुलुर्योगराजोऽयं त्रिदोषघ्नो रसायन: । मैथुनाहारपानानां त्यागो नैवात्र विद्यते ॥
सर्वान्वातामयान्कुष्ठानशंसि ग्रहणीगदम् । प्रमेहं वातरक्तं च नाभिशूलं भगन्दरम् ||
उदावर्ते क्षयं गुल्ममपस्मारमुरोग्रहम् । (शारंगधर संहिता 7/ 56-69)
आम तौर पर महायोगराज गुग्गुल का कोई दुष्प्रभाव शरीर पर दिखायी नहीं देता। लेकिन इसकी अधिक मात्रा (ओवरडोज) लेने से गैस्ट्र्रिटिस की समस्या हो सकती है। बहुत दुर्लभ मामले में ओवरडोज की वजह से गुर्दे को भी नुकसान पहुँच सकता है।
क्या धूतपापेश्वर महायोगराज गुग्गुल एक आयुर्वेदिक दवा है?
हाँ। धूतपापेश्वर महायोगराज गुग्गुल एक विशुद्ध आयुर्वेदिक दवा है।
किस रोग में धूतपापेश्वर महायोगराज गुग्गुल काम आता है?
धूतपापेश्वर महायोगराज गुग्गुल गठिया,साइटिका,त्वचा विकार,पेट दर्द,मधुमेह,श्वसन संबंधी विकार आदि में उपयोगी सिद्ध होता है।
धूतपापेश्वर महायोगराज गुग्गुल के क्या नुकसान है?
धूतपापेश्वर महायोगराज गुग्गुल का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। लेकिन ओवरडोज से गैस्ट्र्रिटिस की समस्या हो सकती है।
यह भी पढ़े ► महायोगराज गुग्गुलु के फायदे और नुकसान
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