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ClinicsBy NS Desk | Ayurveda Street | Posted on : 09-Jan-2019
उत्तराखंड के वैद्य बालेंदु प्रकाश (Vaidya Balendu Prakash) देश के जाने-माने वैद्य हैं। उन्हें 20 साल पहले अपने शोध के लिए पद्मश्री ( Padmashree) मिला था। उन्होंने 1997 में एक्यूट प्रोमाइलोसिटिक ल्यूकेमिया (Acute promyelocytic leukemia) (एक तरह का ब्लड कैंसर) के उपचार की आयुर्वेदिक दवा (Ayurvedic Medicine) पर शोध (Research) किया था। यह एक बेहद गंभीर बीमारी है, जिसमें प्लेटलेट्स (Platelets) की कमी और ब्लीडिंग (Bleeding) के कारण ज्यादातर मरीजों (Patient) की मौत हो जाती है।
वैद्य बालेंदु प्रकाश के पिता भी वैद्य थे और उन्होंने 1982 में उस दवा से एक बच्चे का उपचार किया था। वैद्य बालेंदु ने उसी दवा से कई मरीजों का उपचार किया। उनके अनुरोध पर सरकार ने उनके शोध प्रोजेक्ट को मंजूरी दी। जिसके तहत 3।30 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई और 15 मरीजों का उपचार करने को कहा गया। 90 दिन के उपचार के दौरान चार मरीजों की मौत हो गई, लेकिन जिन 11 मरीजों ने 90 दिन का उपचार करवाया, वह सभी जीवित रहे। इस पर नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ( National Research Development Corporation) ने इसका यूएस और यूरोपियन पेटेंट प्राप्त किया। साथ ही केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान परिषद (Central Council of Ayurveda Research) के साथ शोध को आगे बढ़ाने के लिए एमओयू (MOU) हुआ।
एक्यूट प्रोमाइलोसिटिक ल्यूकेमिया के उपचार की जिस आयुर्वेदिक दवा पर शोध के लिए वैद्य बालेंदु प्रकाश को पद्मश्री मिला था, वह अबतक एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया है। हाल ही यह मामला लोकसभा में उठा भी। इस मसले पर पद्मश्री वैद्य बालेंदु प्रकाश कहते हैं कि पिछले 20 वर्षों के दौरान इस शोध को लेकर कार्य किया जाता तो यह फायदेमंद होता।
(इनपुट - विकिपीडिया - अमर उजाला)
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