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ClinicsBy NS Desk | Ayurveda Street | Posted on : 22-Mar-2023
पंचकर्म आयुर्वेद चिकित्सा का अभिन्न अंग है और इसके कई गंभीर बीमारियों में चमत्कारिक लाभ होते हैं।
पंचकर्म थेरेपी आयुर्वेद उपचार की एक पुरानी और बेहद प्रभावशाली उपचार की पद्धति है जिससे शरीर की अशुद्धियों को निकालकर असाध्य -से- असाध्य रोगों का भी इलाज किया जा सकता है। शरीर के शुद्धिकरण की यह प्रक्रिया शरीर से विषैले पदार्थों, विषाक्तता और रोगाणुओं को निकालकर की जाती है।
अपने नाम के अनुरूप ही पंचकर्म के पाँच प्रकार होते हैं जिनका विशेष उद्देश्य शरीर की विभिन्न समस्याओं को ठीक करना होता हैं। पंचकर्म की पांच प्रमुख विधियां हैं: 1- वमन , 2- विरेचन, 3- नस्या , 4- रक्तमोक्षण , 5- बस्ती
वमन (Vaman): यह पंचकर्म की महत्वपूर्ण विधि है। वमन के माध्यम से उलटी करवाकर शरीर के विषैले पदार्थों को बाहर निकाला जाता है। यह वात, पित्त और कफ के साथ जुड़ी समस्याओं के लिए उपयोगी होता है।
विरेचन (Virechan): यह पित्त विकार, गति रहित आम, कब्ज, त्वचा विकार और स्नायु संबंधी रोगों के लिए उपयोगी होता है। इस प्रक्रिया में रोगी को शुद्धिकरण के लिए शरीर से मल निकालने के लिए प्रेरित किया जाता है। इस प्रक्रिया में, मरीज को एक विशेष प्रकार की औषधि दी जाती है जो शरीर से अतिरिक्त वसा, मल और अन्य अवशेषों को बाहर निकालने में मदद करती है।
बस्ती (Basti): इसमें आंतों के माध्यम से शुद्धिकरण किया जाता है जो गुदा संबंधी रोग, गर्भाशय संबंधी रोग और वात संबंधी रोगों के लिए उपयोगी होता है।
नस्या (Nasya): इसमें नसों के माध्यम से शुद्धिकरण किया जाता है, जो शिरोरोग, स्नायु संबंधी रोग और वात संबंधी रोगों के लिए उपयोगी होता है।
रक्तमोक्षण (Raktamokshan): रक्तमोक्षण एक प्राचीन चिकित्सा विधि है जिसमें शरीर से रक्त को हटाने के लिए कुछ विशेष तकनीकों का उपयोग किया जाता है। इस तकनीक के द्वारा विशेष रूप से शरीर के संबंधित भाग से कुछ रक्त को निकाला जाता है।
पंचकर्म एक आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति है जो शरीर, मन और आत्मा के संतुलन को बनाए रखने के लिए डिज़ाइन की गई है। पंचकर्म चिकित्सा का मुख्य उद्देश्य शरीर से विषमताएं, असुख, रोगाणु और अन्य अनुपयोगी तत्वों को बाहर निकालना होता है। यह शरीर की संतुलितता, स्वस्थता और लंबी आयु के लिए कई फायदों का प्रदान करता है।
इसके अनुसार, पंचकर्म के फायदे निम्नलिखित हैं:
शरीर के विषमताओं को हटाना: पंचकर्म चिकित्सा शरीर से जहरीली समग्री को बाहर निकालने में मदद करता है जो कि विभिन्न तत्वों, खाद्य पदार्थों और पर्यावरण के प्रभाव से शरीर में जमा हो जाती है।
मन की शांति: पंचकर्म चिकित्सा शरीर के साथ-साथ मन को भी शांत करती है। इसमें ध्यान और मेडिटेशन के तरीकों का उपयोग किया जाता है जो मानसिक तनाव को कम करते हैं और मन की शांति को बढ़ाते हैं।
शरीर के अतिरिक्त वजन को कम करना: वमन, विरेचन और बस्ती प्रक्रियाओं के माध्यम से, शरीर से अतिरिक्त मल, तोष और श्लेष्म को हटाया जाता है जो अतिरिक्त वजन का कारण बनते हैं।
श्वसन संबंधी समस्याओं को दूर करना: नस्य विधि श्वसन संबंधी समस्याओं को दूर करने में मददगार साबित होती है।
रोगों से निपटने में मदद: पंचकर्म अनेक रोगों के इलाज में मददगार साबित होता है, जैसे कि श्वसन तंत्र के रोग, मधुमेह, रक्तचाप, मोटापा आदि।
शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ाना: पंचकर्मा से शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ता है और इससे शरीर में अधिक शक्ति का आभास होता है।
स्वस्थ त्वचा: पंचकर्मा से शरीर से विषैले पदार्थों को निकालकर त्वचा स्वस्थ और चमकदार होती है।
बेहतर नींद: पंचकर्मा से शरीर में निश्चित तत्वों की वस्तुस्थिति में सुधार होता है जिससे नींद अच्छी आती है।
स्वस्थ जीवन शैली के विकास में मददगार होता है: पंचकर्म एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाने में मददगार होता है।
शरीर संतुलन: पंचकर्म शरीर को एक संतुलित अवस्था में लाता है, जो शरीर के विभिन्न अंगों को सक्रिय बनाने में मदद करता है।
पंचकर्म विधि क्या है?
पंचकर्म आयुर्वेद की प्रमुख उपचार पद्धति है जिसकी मदद से शारीरिक रोगों का प्रभावी तरीके से इलाज किया जाता है।
पंचकर्म कितने प्रकार के होते हैं?
पंचकर्म प्रक्रिया में पांच विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया जाता है। ये पाँच प्रकार हैं -
पंचकर्म कितने दिन का होता है?
पंचकर्म की पूरी प्रक्रिया लगभग 7 से 21 दिनों तक चलती है। हालांकि, इस प्रक्रिया की अवधि रोग के प्रकार, रोग की गंभीरता, रोग की समयावधि और रोगी के शारीरिक और मानसिक स्थिति पर निर्भर करती है।
पंचकर्म के क्या लाभ है?
पंचकर्म का सबसे बड़ा लाभ है कि यह शरीर, मन और आत्मा में संतुलन कायम करके संतुलित और स्वस्थ जीवन जीने में मदद करती है।
पंचकर्म में विभिन्न प्रकार के उपचारों से शरीर से विषैले पदार्थों को निकाला जाता है। इससे शरीर का अधिक बोझ कम होता है और संतुलित शरीर के साथ स्वस्थ जीवन जीना संभव होता है।
पंचकर्म शरीर को विश्राम देता है। यह शरीर के रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है और स्वस्थ जीवन की तरफ उन्मुख करता है।
पंचकर्म शरीर की शुद्धि करता है। इसमें शरीर के विभिन्न अंगों से तात्कालिक रूप से विषैले पदार्थ निकाले जाते हैं जिससे शरीर स्वस्थ बनता है।
पंचकर्म किस रोग में वर्जित है?
पंचकर्म निम्नलिखित स्थितियों में वर्जित हो सकती है:
पंचकर्म में 5 चरण कौन से हैं?
पंचकर्म के पाँच चरण हैं : 1- वमन , 2- विरेचन , 3- नस्या , 4- रक्तमोक्षण , 5- बस्ती
कौन सा पंचकर्म सबसे अच्छा है?
प्रत्येक पंचकर्म अलग-अलग लक्षणों और रोगों के उपचार के लिए उपयोगी होता है। जो पंचकर्म सबसे अच्छा होगा, वह रोगी की आवश्यकताओं और उनकी रोग अवस्था के आधार पर निर्धारित किया जाता है। इसलिए किसी एक पंचकर्म को सर्वश्रेष्ठ कहना उचित नहीं होगा।
पंचकर्म कितनी बार करना चाहिए?
पंचकर्म को एक शारीरिक उपचार के रूप में एक बार या एक सीजन में कई बार किया जा सकता है, इसका आधार रोग के प्रकार और उसके स्थिति पर निर्भर करता है। यदि रोग गंभीर है और शरीर के विषैले तत्वों को निकालने के लिए एक ही पंचकर्म प्रक्रिया अपर्याप्त होती है तो इसे कई बार दोहराया जा सकता है। इस प्रकार के रोगों के लिए उपचार के लिए अधिक से अधिक तीन से पांच पंचकर्म सत्र की आवश्यकता हो सकती है। इसके अलावा, सामान्य रोगों के उपचार के लिए एक से दो पंचकर्म सत्र काफी हो सकते हैं।
वजन घटाने के लिए कौन सा पंचकर्म सबसे अच्छा है?
वजन घटाने के लिए पंचकर्म एक अच्छा विकल्प हो सकता है। लेकिन इसके लिए सबसे अच्छा पंचकर्म व्यक्ति के शारीरिक स्थिति और उनकी चिकित्सा इतिहास पर निर्भर करता है। यह उसकी जड़ी-बूटियों, दवाओं या आहार और व्यायाम जैसी अन्य चिकित्सा विकल्पों से भी अलग होता है।
वजन घटाने के लिए निम्नलिखित पंचकर्म विकल्प हो सकते हैं:
वमन: इस प्रक्रिया में, रोगी को उल्टी के जरिए शरीर से नुकसानकारी तत्वों को निकालने में मदद मिलती है। इससे पाचन तंत्र को सुधारा जा सकता है जो भोजन को पचाने में मदद कर सकता है।
विरेचन: इस प्रक्रिया में, रोगी को अधिक से अधिक शैवाल, एलोवेरा जूस, ट्रिफला और दूसरी पाचन विशेषताओं वाली औषधियों का सेवन कराया जाता है। इससे अनावश्यक और अपच संबंधित तत्वों को शरीर से निकाला जा सकता है जो वजन कम करने में मदद कर सकता है।
क्या पंचकर्म से पेट की चर्बी कम होती है?
पंचकर्म एक होलिस्टिक आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति है जो शरीर के विभिन्न अंगों की स्वस्थता को सुधारने के लिए प्रयोग की जाती है। पंचकर्म से शरीर की चर्बी कम करने में मदद मिल सकती है, लेकिन सिर्फ पंचकर्म की मदद से पेट की चर्बी कम नहीं हो सकती। इसके लिए आहार-विहार व चिकित्सक द्वारा सुझाए अन्य उपयाओं का भी पालन करना आवश्यक होता है।
पंचकर्म उपयोग शरीर से अतिरिक्त वसा को कम करने में मदद कर सकता है। उदाहरणस्वरूप विरेचन उपकरण का उपयोग करके पाचन तंत्र को सुधारा जाता है, जिससे शरीर के अतिरिक्त तत्वों को बाहर निकाला जा सकता है। नस्या तकनीक में तेल का उपयोग किया जाता है, जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में डाला जाता है जिससे वहाँ संकुचित होता है और शरीर की चर्बी कम हो सकती है
पंचकर्म करने में कितना खर्च आता है?
पंचकर्म की लागत निर्भर करती है कि आप कहाँ और कैसे पंचकर्म करवाना चाहते हैं। अस्पतालों और आयुर्वेदिक केंद्रों में, पंचकर्म की लागत अलग-अलग होती है और यह भी निर्भर करता है कि आप कौन सा पंचकर्म कराना चाहते हैं। आमतौर पर, पंचकर्म उपचार एक सप्ताह से दस दिनों तक का होता है और लागत लगभग 30,000 रुपये से 50,000 रुपये तक हो सकती है।
कुछ आयुर्वेदिक केंद्रों में, पंचकर्म के लिए अलग-अलग पैकेज भी उपलब्ध होते हैं जो आपके उपचार की आवश्यकताओं और बजट के अनुसार अलग-अलग होते हैं। इसलिए, पंचकर्म की लागत निर्भर करती है कि आप किस तरह के पंचकर्म और किस जगह पंचकर्म करवाना चाहते हैं। सरकारी पंचकर्म केंद्रों पर लागत और भी कम या नाममात्र की भी हो सकती है।
पंचकर्म से पहले क्या करें?
पंचकर्म एक आयुर्वेदिक उपचार है जो शरीर के विभिन्न अंगों को साफ करने में मदद करता है। पंचकर्म के पहले आपको इन चीजों का ध्यान रखना चाहिए:
चिकित्सक से परामर्श करें: पंचकर्म आपके शरीर के लिए अत्यधिक शक्तिशाली हो सकता है, इसलिए इससे पहले अपने चिकित्सक से संपर्क करें और उनसे सलाह लें कि क्या आपके लिए यह उपचार उपयुक्त है या नहीं।
संतुलित आहार: पंचकर्म से पहले संतुलित आहार लेना बहुत जरूरी है। आपको अपनी डाइट में फल, सब्जियां, दाल, पूर्ण अनाज और खासकर पानी की मात्रा बढ़ानी चाहिए। आपको समृद्ध फल, सब्जियों और नट्स का सेवन करना चाहिए जो आपके शरीर को विटामिन, मिनरल और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व प्रदान करते हैं।
विश्राम: पंचकर्म से पहले आपको अधिक विश्राम करना चाहिए। अपनी रात्रि की नींद लंबी करने का प्रयास करें और अत्यधिक शारीरिक श्रम और तनाव से बचें।
ध्यान योग: आप ध्यान या योग भी पंचकर्म से पहले कर सकते हैं।
पंचकर्म से पहले क्या सावधानियाँ बरतनी चाहिए?
पंचकर्म एक प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा विधि है, जो शरीर के विभिन्न अंगों से विषैले तत्वों को निकालकर शरीर को स्वस्थ बनाने में मदद करती है। पंचकर्म आयुर्वेदिक चिकित्सा के तहत की जाती है और इसे एक प्रशिक्षित आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा ही किया जाना चाहिए। अगर आप पंचकर्म करवाने की सोच रहे हैं, तो इससे पहले इन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए:
प्रशिक्षित आयुर्वेदिक चिकित्सक का चयन करें: पंचकर्म के लिए कोई भी आम चिकित्सक नहीं कर सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपका चिकित्सक प्रशिक्षित है और उनके पास पंचकर्म करने के लिए अनुभव है, आपको चिकित्सक के प्रमाणपत्रों की जांच करनी चाहिए।
स्वास्थ्य जांच: पंचकर्म से पहले अपनी स्वास्थ्य जांच करवाएं और अपने चिकित्सक को अपनी चिकित्सा इतिहास के बारे में बताएं। यदि आपके पास कोई विशेष समस्या है, जैसे गर्भावस्था, एलर्जी, सांस लेने में दिक्कत, डायबीटीज आदि है तो बिना चिकित्सक के परामर्श के पंचकर्म कतई न कराएं।
पंचकर्म के लिए सबसे अच्छा समय कौन सा है?
पंचकर्म के लिए सबसे अच्छा समय रोग की प्रकृति पर निर्भर करता है। वैसे आयुर्वेदिक विशेषज्ञ सर्दियों और वसंत ऋतु को पंचकर्म के लिए सबसे अनुकूल समय मानते हैं क्योंकि यह ऋतु शरीर की क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करती है।
क्या पंचकर्म से पित्ती ठीक हो सकती है?
हाँ, पित्ती की समस्या को पंचकर्म के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। पंचकर्म के माध्यम से पित्ती का उपचार करने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञ अपने मरीज के लिए उपयुक्त पंचकर्म विधि का चयन करते हैं। पित्ती का उपचार करने के लिए विरेचन चिकित्सा विधि आमतौर पर उपयोग की जाती है। इस चिकित्सा विधि में औषधियों का उपयोग करके शरीर के अतिरिक्त पित्त को बाहर निकाला जाता है।
पंचकर्म का कोर्स कैसे करें?
पंचकर्म का कोर्स किसी भी अच्छे आयुर्वेद के सरकारी या निजी संस्थान से किया जा सकता है। उदाहरणस्वरूप जयपुर स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (National Ayurveda of Ayurveda) में पंचकर्म का सर्टिफिकेट कोर्स होता है जहाँ प्रवेश लेकर पंचकर्म का विशेषज्ञ बना जा सकता है।
पंचकर्म कोर्स की फी क्या होती है?
सरकारी और निजी संस्थानों में पंचकर्म कोर्स की फी अलग-अलग होती है। वैसे कोर्स की फी पंचकर्म कोर्स की अवधि और उसके प्रकार पर भी निर्भर करता है। जैसे जयपुर स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में 45 दिन का पंचकर्म का सर्टिफिकेट कोर्स करवाया जाता है जिसकी फी महज 15,000 रुपया है।
पंचकर्म चिकित्सा कहाँ से करवाएं?
आयुर्वेद विशेषज्ञ की देखरेख में पंचकर्म चिकित्सा आप किसी भी अच्छे पंचकर्म सेंटर से करवा सकते हैं। दिल्ली, मुंबई समेत पूरे भारत में ऐसे अनेक आयुर्वेदिक सेंटर हैं जहाँ पंचकर्म थेरेपी की समुचित व्यवस्था है। किसी एक का नाम लेना तो वैसे मुश्किल है लेकिन गुरुग्राम स्थित 'निरोगस्ट्रीट 1वेदा आयुर्वेदिक सेंटर" से आप पंचकर्म की थेरेपी ले सकते हैं। आप वेबसाइट https://nirogstreet.com/smartcenter/ पर जाकर अपना एपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं या फिर 9205773222 मोबाइल नंबर पर संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा भी कई और अच्छे पंचकर्म सेंटर है जहाँ से आप पंचकर्म करवाया जा सकता है।
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