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ClinicsBy NS Desk | Ayurveda Street | Posted on : 30-Sep-2022
नौ दुर्गा के नौ रूपों में आयुर्वेद की महत्वपूर्ण औषधियाँ
नवरात्रि माँ दुर्गा की शक्तियों का प्रतीक होने के साथ-साथ स्वास्थ्य के हिसाब से भी बेहद महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद के अनुसार शरद ऋतु के आरंभ में व्रत उपवास और संयम रखना स्वास्थ्य के लिए उत्तम माना जाता है। आयुर्वेद में उपवास को भी निदान पद्धति माना गया है।
नवरात्र में दुर्गा जी के नौ रूपों की पूजा की जाती है और मान्यता है कि नवदुर्गा नौ विशिष्ट औषधियों में विराजमान हैं। इन औषधियों के सेवन से हमारे शारीरिक और मानसिक बल में वृद्धि होती है। साथ ही इन दिव्य औषधियों से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। आइए जानते हैं कि नवरात्रि के नौ दिनों की नौ विशिष्ट औषधियाँ जो मानसिक और शारीरिक रूप से हमे पुष्ट करता है।
हरड़ आयुर्वेदिक औषधियों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। ये कई तरह के होते हैं और इनका आकार भी अलग-अलग होता है। इसकी जड़ से लेकर फल तक का उपयोग होता है। इसमें ऐंटिबैक्टीरियल और ऐंटिइंफ्लामेट्री गुण मौजूद होते हैं जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को और अधिक मजबूत बनाती है। इसमें आयरन,कॉपर, मैग्नीज, पोटैशियम, प्रोटीन्स और विटामिन भी मौजूद होते हैं। गले और पाचन संबंधी व्याधियों से भी ये हमे बचाता है।
ब्राह्मी को सरस्वती भी कहा जाता है। आयुर्वेद में इससे सारस्वतरिष्ट नाम की औषधि बनती है जो बुद्धिबलवर्धक होती है। साथ ही यह आयु और स्मरण शक्ति को भी बढ़ाती है। स्वर में सुधार करने में भी ये उपयोगी सिद्ध होती है।
चन्दुसूर मोटापा दूर करने में उपयोगी होता है। इसलिए इसे चर्महंती भी कहा जाता है। इसका पौधा धनिये के समान दिखायी पड़ता है।
पेठा जिसे कुम्हड़ा और शीशकोहड़ा भी कहते हैं। इससे पेठा मिठाई बनती है। पुष्टिकारक और बलवर्द्धक होने के साथ-साथ यह रक्त के विकारों ठीक करता हैं और पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है। हृदय रोग, पित्त और गैस को भी ठीक करने में यह उपयोगी है।
देवी स्कंदमाता को अलसी में विद्यमान माना गया है। यह त्रिदोष यानि वात, पित्त और कफ का नाश करता है।
यह औषधि कंठ रोगों का विनाश करती है। कफ, पित्त और गले से संबंधित रोगों में विशेषकर लाभप्रद है। इसे अंबिका, अंबालिका, अंबिका, मोइया और माचिक नाम से भी जाना जाता है।
कालरात्रि के दिन की औषधि नागदौन को माना गया है। यह सर्वत्र रोगों का नाश करती है और मन-मस्तिष्क के सभी विकारों को दूर करती है।
अष्टमी महागौरी की औषधि तुलसी को माना गया है। आयुर्वेद में तुलसी को बेहद महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। तुलसी के ढेरों फायदे हैं। ये रक्त को साफ करती है और हृदय रोगों का भी नाश करती है।
शतावरी को नारायणी भी कहते हैं। यह बल - बुद्धिवर्द्धक और हृदयबल को बढ़ाने वाली महाऔषधि है। संक्षेप में यह बल, बुद्धि और विवेक के लिए उपयोगी है।
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