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ClinicsBy Ram N Kumar | Ayurveda Street | Posted on : 28-Dec-2018
India can be one of the leading countries in health care due to Ayurveda
किसी देश की स्वास्थ्य सेवा की पहुंच विश्व स्तर पर उसके आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक मानकों और विकास को दर्शाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (who) के अनुसार, दुनिया की आधी आबादी यानी तकरीबन 7.3 बिलियन आबादी के पास आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है। दूसरी तरफ लगभग 800 मिलियन लोगों को अपनी आय का 10 प्रतिशत अपनी स्वास्थ्य सेवा पर खर्च करना पड़ता है और इस खर्चीली चिकित्सा पद्धति के खर्चों के कारण 100 मिलियन से अधिक लोग गंभीर रूप से गरीब हो जाते हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है. स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और महंगी चिकित्सा पद्धति ने आम जनता की कमरतोड़ दी है।
वर्तमान में भारत का स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढाँचा अच्छी स्थिति में नहीं है। अनियमित जीवनशैली के कारण लोग कैंसर, मधुमेह, अस्थमा और हृदय संबंधी जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। इन बीमारियों का इलाज बेहद महंगा है और इस वजह से बहुत सारे लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर संकट पैदा हो गया है। ऐसे में आयुर्वेद जैसी परंपरागत चिकित्सा पद्धति ही आशा की किरण के रूप में उभरकर सामने आ रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी पारंपरिक चिकित्सा पर जोर देते हुए अपनी पारंपरिक चिकित्सा रणनीति पेश की है जिसका उद्देश्य लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए ऐसी रणनीति बनाना और विकसित करना है जिससे पारंपरिक चिकित्सा पद्धति और मजबूत हो। इस लिहाज से भारतीय स्वास्थ्य सेवाओं को बदलने की बहुत बड़ी क्षमता आयुर्वेद में अंतर्निहित है और बिलकुल सही समय पर स्वास्थ्य सेवा की कुंजी के रूप में आयुर्वेद की क्षमता को पहचानकर इसके प्रचार-प्रसार पर विशेष बल पूरे देश में दिया जा रहा है। दरअसल आयुर्वेद में ही वह क्षमता है जो स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत को विश्व में अग्रणी देशों की श्रेणी में ला खड़ा कर सकता है।
आयुर्वेद की मदद से भारत स्वास्थ्य संबंधी मामले में अग्रणी देश बन सकता है, इसे नीचे दिए गए बिन्दुओं से भली-भांति समझा जा सकता है।
पश्चिमी चिकित्सा पद्धति से अपेक्षाकृत सस्ती आयुर्वेद : आम नागरिक के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के संदर्भ में पश्चिमी चिकित्सा अधिक महंगी और अप्रभावी होती जा रही है। महंगे इलाज के कारण देश के सभी लोगों तक यह पहुँचने में एक तरह से अक्षम है। फिर इससे स्थायी उपचार भी नहीं होता। लेकिन दूसरी तरफ आयुर्वेद 3,500 वर्ष से अधिक पुरानी चिकित्सा पद्धति है जो मन और शरीर को गहराई से समझते हुए रोग का स्थायी समाधान करने का प्रयास करती है। प्राकृतिक जड़ी बूटियों पर आधारित इसका उपचार किसी भी बीमारी को ठीक कर सकता है। यह अपेक्षाकृत सस्ता भी है और आसानी से सुलभ भी। आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली को देश के ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में आसानी से पहुँचाया जा सकता है।
जीवनशैली में बदलाव कर रोग पर रोकथाम : आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति इतनी गहरी है कि जीवनशैली और खान-पान की सही सलाह का पालन करने से व्यक्ति बीमारियों की चपेट में कम से कम आकर स्वस्थ रह सकता है।
पुरानी और गंभीर बीमारियों में आयुर्वेद बेहद कारगर : आयुर्वेद पुरानी और गंभीर बीमारियों को ठीक करने में सबसे कारगर चिकित्सा पद्धति है जो इसे दूसरी चिकित्सा पद्धतियों से अलग बनाती है।
आयुर्वेद की इन्हीं खूबियों की वजह से अब शहरी भारत में भी आयुर्वेद की लोकप्रियता में तेजी से वृद्धि हुई है और अब यह देश के साथ-साथ दुनिया भर में गति पकड़ रहा है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को लोग अब पहली पसंद के रूप में भी अपनाने लगे हैं और यदि इस रफ्तार से हम आगे बढ़ते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में हमारी गिनती अग्रणी देशों में की जायेगी। लेकिन उसके लिए जरुरी है आयुर्वेद में नये प्रयोग और नयी शुरूआत के साथ-साथ उसके लिए बेहतर बाज़ार बनाने की। दरअसल यह आयुर्वेद को नयी ऊँचाइयों पर ले जाने और उसके बारे में सोंचने का सही समय है।
(राम एन. कुमार निरोगस्ट्रीट.कॉम आयुर्वेद को समर्पित निरोगस्ट्रीट.कॉम के संस्थापक और सीइओ हैं. उनसे ram@nirogstreet.com के जरिए संपर्क किया जा सकता है )
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CEO, NirogStreet & Ayurveda Expert
He is a proactive evangelist of Ayurveda whose aim is to make Ayurveda the first call of treatment