Home Blogs Ayurveda Street आयुर्वेद को पांचवा वेद माना जाता है: प्र. मोदी

आयुर्वेद को पांचवा वेद माना जाता है: प्र. मोदी

By NS Desk | Ayurveda Street | Posted on :   20-Apr-2022

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को गुजरात के जामनगर में मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक डॉ. ट्रेडोस घेब्रेयसस की उपस्थिति में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (जीसीटीएम) की आधारशिला रखी।

जीसीटीएम दुनिया भर में पारंपरिक चिकित्सा के लिए पहला और एकमात्र वैश्विक आउटपुट केंद्र होगा। यह वैश्विक कल्याण के अंतरराष्ट्रीय केंद्र के रूप में उभरेगा।

इस अवसर पर बांग्लादेश, भूटान और नेपाल के प्रधानमंत्रियों तथा मालदीव के राष्ट्रपति के वीडियो संदेश चलाए गए। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया, सर्बानंद सोनोवाल, मुंजापारा महेंद्रभाई और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल उपस्थित थे।

डब्ल्यूएचओ महानिदेशक ने इसे वास्तव में एक वैश्विक परियोजना करार दिया, क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के 107 सदस्य देशों के अपने देश विशिष्ट सरकारी कार्यालय हैं, जिसका अर्थ है कि दुनिया पारंपरिक चिकित्सा में नेतृत्व के लिए भारत आएगी।

उन्होंने कहा कि पारंपरिक दवाओं के उत्पाद विश्व स्तर पर प्रचुर मात्रा में हैं और यह पारंपरिक चिकित्सा के वादे को पूरा करने में एक लंबा सफर तय करेगा। दुनिया के कई क्षेत्रों के लिए पारंपरिक चिकित्सा उपचार की शुरुआत है।

उन्होंने कहा, "नया केंद्र डेटा, नवाचार और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करेगा और पारंपरिक चिकित्सा के उपयोग का अनुकूलन करेगा। केंद्र के पांच मुख्य क्षेत्रों में अनुसंधान एवं नेतृत्व, साक्ष्य एवं शिक्षा, डेटा एवं विश्लेषण, स्थायित्व एवं समानता तथा नवाचार एवं प्रौद्योगिकी शामिल होंगे।"

उन्होंने जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना के लिए हर संभव समर्थन प्रदान करने में उनके नेतृत्व के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने डॉ. ट्रेडोस घेब्रेयसस को उनके सहृदय निवेदन के लिए धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने घेब्रेयसस के भारत के साथ जुड़ाव और डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की परियोजना में उनकी व्यक्तिगत भागीदारी के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि उनका स्नेह डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के साकार होने से प्रकट हुआ है। प्रधानमंत्री ने महानिदेशक को आश्वासन दिया कि भारत से उनकी उम्मीदें पूरी होंगी।

प्रधानमंत्री ने मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ और उनके परिवार के साथ तीन दशक लंबे जुड़ाव पर भी प्रकाश डाला और उनके शब्दों और उनकी उपस्थिति के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।

मोदी ने उन नेताओं को भी धन्यवाद दिया जिनके वीडियो संदेश चलाए गए थे।

प्रधानमंत्री ने कहा, "डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन इस क्षेत्र में भारत के योगदान और क्षमता की मान्यता है। भारत इस साझेदारी को पूरी मानवता की सेवा के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी के रूप में लेता है।"

डब्ल्यूएचओ केंद्र के आयोजन स्थल पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, "अब विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह ग्लोबल सेंटर, वैलनेस के क्षेत्र में जामनगर के योगदान को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाई देगा।"

मोदी ने कहा कि पांच दशक से भी ज्यादा पहले, जामनगर में विश्व की पहली आयुर्वेद यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई थी। यहां एक बेहतरीन आयुर्वेद संस्थान - इंस्टीट्यूट ऑफ टीचिंग एंड रिसर्च इन आयुर्वेद है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि हमारा अंतिम लक्ष्य अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करना होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि रोगमुक्त रहना जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है लेकिन अंतिम लक्ष्य स्वस्थ होना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि महामारी की अवधि के दौरान स्वास्थ्य के महत्व को काफी महसूस किया गया था।

प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली उपचार तक सीमित नहीं है। यह जीवन का समग्र विज्ञान है। आयुर्वेद में उपचार के अलावा सामाजिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य-प्रसन्नता, पर्यावरणीय स्वास्थ्य, सहानुभूति, करुणा और उत्पादकता शामिल हैं।"

मोदी ने कहा, "आयुर्वेद को जीवन के ज्ञान के रूप में लिया गया है और इसे पांचवां वेद माना गया है।"

पीएम मोदी ने 'वसुधैव कुटुम्बकम' की भारतीय अवधारणा का आह्वान किया और पूरी दुनिया के हमेशा स्वस्थ रहने की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ-जीसीटीएम की स्थापना से यह परंपरा और समृद्ध होगी।
यह अंग्रेजी में भी पढ़े► PM Modi Lays Foundation Stone of WHO Global Centre for Traditional Medicine

NS Desk

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डिस्क्लेमर - लेख का उद्देश्य आपतक सिर्फ सूचना पहुँचाना है. किसी भी औषधि,थेरेपी,जड़ी-बूटी या फल का चिकित्सकीय उपयोग कृपया योग्य आयुर्वेद चिकित्सक के दिशा निर्देश में ही करें।